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तय है, भाजपा के 'शत्रु' जाएंगे

seema
Published on: 18 Oct 2018 12:52 PM IST
तय है, भाजपा के शत्रु जाएंगे
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तय है, भाजपा के 'शत्रु' जाएंगे

शिशिर कुमार सिन्हा

पटना। नवरात्र में सप्तमी को देवी दुर्गा का पट खुला तो बिहार की वीआईपी लोकसभा सीट पटना साहिब से शत्रुघ्न सिन्हा को लेकर चल रही ऊहापोह का भी काफी हद तक पटाक्षेप हो गया। पटना साहिब के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा अपनी पार्टी (अब तक, भाजपा) के नेताओं के साथ नहीं निकले-दिखे, बल्कि राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव के साथ घूमे। इतना ही नहीं, यह भी साफ कहा-'हम साथ-साथ हैं। पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी कहा कि शत्रुघ्न सिन्हा उनके पिताजी के बुरे वक्त में लगातार साथ देते रहे हैं और आगे भी साथ देंगे। यह साथ हमेशा के लिए है। तेजस्वी और शत्रुघ्न कई पूजा स्थलों पर साथ घूमे और हर जगह लगभग एक ही संदेश देने का प्रयास किया कि भाजपा के 'शत्रु' अब राजद के मित्र हैं और कुछ नहीं।

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संकेत पहले भी दिए, लेकिन यह सबसे स्पष्ट

प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की मानें तो पार्टी सहानुभूति खिंचे चले जाने की आशंका के कारण शत्रुघ्न सिन्हा को अभी बाहर का रास्ता नहीं दिखा रही है, वरना उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। नवरात्र में जगह-जगह तेजस्वी के साथ घूमने के पहले भी शत्रुघ्न सिन्हा भाजपा के कट्टर विरोधी राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के घर पर कई बार देखे जा चुके हैं। एक तरफ भाजपा लालू प्रसाद और उसके परिवार को घेरने की जुगत में रहती है तो दूसरी तरफ शत्रुघ्न सिन्हा बार-बार उनके साथ खड़े होकर पार्टी को असहज स्थिति में ला दे रहे। ऐसे में भाजपा में संगठन स्तर पर काम कर रहे बड़े रणनीतिकारों का मानना है कि शत्रुघ्न के खिलाफ भाजपा के कैडर वोटरों के साथ आम वोटरों में भी माहौल बन रहा है और इसे चुनाव तक कायम रखना है।

हटाए जाने से बेहतर यही होगा कि वह पार्टी छोड़ कर खुद चले जाने की घोषणा कर दें। पार्टी शत्रुघ्न सिन्हा से ऐसी उम्मीद लगाए बैठी है, लेकिन शॉटगन भी कम नहीं। वह पिछले चुनाव से पहले भी भाजपा की चुनावी नीतियों के खिलाफ थे और चुनाव के समय शांत रहते हुए मोदी लहर में सीट पर बड़ी जीत बैठे-बिठाए ले गए। चुनाव जीतने के कुछ दिनों के बाद से शत्रुघ्न पुरानी लय में लौटे और भाजपा की चुनावी रणनीतियों के खिलाफ लगातार बोलते रहे। भाजपा में तय सारी हदों को तोड़ते हुए शत्रुघ्न सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर भी तल्ख टिप्पणियों को ट्वीट्स के जरिए सार्वजनिक किया। इतना ही नहीं, वह भाजपा के कट्टर विरोधी लालू प्रसाद यादव के पक्ष में हर जगह नजर आए। शत्रुघ्न ने भाजपा से अलग राह के संकेत बार-बार दिए, लेकिन अब नवरात्र में जिस तरह की बातें तेजस्वी और शत्रुघ्न ने एक-दूसरे के समर्थन में/से कही, उसके बाद भाजपा के पास शॉटगन के लिए कोई संभावना बची नजर नहीं आ रही।

भाजपा भी मिजाज भांपने के लिए नाम चला रही

शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब लोकसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी नहीं होंगे- भाजपा के अंदर यह स्पष्ट है, इसलिए पार्टी अपने स्तर से कैडर का मन-मिजाज भांपने की हर संभव कोशिश कर रही है। पिछले तीन महीनों के अंदर चार नाम पटना साहिब लोकसभा सीट के लिए चले। हर नाम के साथ अच्छी और बुरी बातें भी चलीं और यह सब कुछ भाजपा के अंदर ही हुआ। इसमें से तीन नाम 'सिन्हाÓ टाइटल से जुड़े हैं, जबकि एक नाम खुद उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का है। सबसे पहले भाजपा के उस राज्यसभा सांसद का नाम चला, जो पिछले दो-तीन वर्षों में बिहार भाजपा में लगातार अपनी मजबूत पैठ के लिए पहचाने जा रहे हैं। अब इसलिए उनका नाम मजबूती से दिखा कि संगठन में पहुंच जबरदस्त हो गई है। शत्रुघ्न सिन्हा को भी इसका अंदाजा लगा, तभी वह उनके खिलाफ मोर्चा खोलते नजर आए। यह नाम जब तेजी से चला तो अचानक इसके काट में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का नाम आया।

अब तक यह तय हो चुका है कि भाजपा के प्रदेश मुख्यालय से यह नाम आगे नहीं किया गया था। यह नाम आया कहीं से भी, लेकिन चला खूब। इतना चला कि प्रदेश भाजपा को अपने नेताओं के बीच स्पष्ट करना पड़ गया कि सुशील कुमार मोदी लोकसभा चुनाव लडऩे नहीं जा रहे हैं।

एक तरह से यह माना गया कि पहले जो नाम चला था, उसके काट में सबसे मजबूत नाम कहीं और से चलाया गया। खैर, यह नाम जब हट गया तो एक और 'सिन्हा' का नाम चला। इन्हें भी अब तक लोकसभा चुनाव का अनुभव नहीं है, हालांकि केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी मिलती रही है। इस नाम की चर्चा जब केंद्र तक पहुंची तो भाजपा नेता खुद क्षेत्र में नजर आने लगे। नाम चला था या इन्होंने खुद चलवाया था, लेकिन इतना तय है कि इस सीट पर नजर जरूर थी इनकी। तभी, अचानक पटना में ज्यादा नजर आने लगे। खैर, अब दो नाम पटना साहिब सीट पर भाजपा के कोटे से चल रहे हैं। एक इस केंद्रीय शक्ति संपन्न नेता का और एक बिल्कुल युवा नेता का। दोनों की जाति एक है, इसलिए भाजपा के अंदर यह मान लिया गया है कि दोनों में से किसी एक को पार्टी यहां से मौका देगी ही देगी। युवा नेता के साथ दो अच्छी बातें हैं, एक तो यह कि इनके पिताजी ने यहां जातिगत वोटरों में अच्छी पैठ का आधार बनाकर रखा है और दूसरी यह कि इन्होंने खुद प्रदेश भाजपा को आर्थिक रूप से काफी मजबूत पकड़ में रखा है।



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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