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समान नागरिक संहिता की तरफ भाजपा ने बढ़ाए कदम, राज्यसभा में हंगामा, जानें क्यों हो रहा है इसका विरोध
Uniform Civil Code: राज्यसभा में शुक्रवार को भारी हंगामे के बीच भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने से जुड़ा प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया।
Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता का मुद्दा काफी दिनों से भाजपा के एजेंडे में शामिल रहा है और अब पार्टी इस दिशा में कदम बढ़ाती हुई दिख रही है। राज्यसभा में शुक्रवार को भारी हंगामे के बीच भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने देश में समान नागरिक संहिता को लागू करने से जुड़ा प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया। इसे निजी विधेयक को पेश करने के संबंध में उच्च सदन में मतदान भी कराया गया। राज्यसभा में 23 के मुकाबले 63 मतों से समान नागरिक संगीता से जुड़े इस निजी विधेयक को पेश करने की अनुमति दी गई।
इस दौरान विपक्षी सांसदों की ओर से इस बिल का जमकर विरोध किया गया। विपक्षी सांसदों ने भाजपा सांसद की ओर से पेश किए गए इस निजी विधेयक को पूरी तरह संविधान विरुद्ध बताया।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस कानून को बनाए जाने पर देश में विविधता की संस्कृति खत्म होगी। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई कानून बनाए जाने की जरूरत नहीं है जिसके जरिए दूसरे वर्गों के अधिकारों का हनन होता हो।
बिल पर चर्चा के दौरान बोलेंगे मीणा
सभापति ने समान नागरिक संहिता से जुड़े बिल को सदन में रखने की अनुमति देते हुए भाजपा सांसद मीणा को इस मुद्दे पर अपनी बात रखने को कहा। सभापति की ओर से यह निर्देश दिए जाने के बाद मीणा ने कहा कि वे अभी इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने के इच्छुक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब इस बिल को चर्चा के लिए उचित सदन में लाया जाएगा तब वे इस बिल के संबंध में अपनी बात रखेंगे।
पीयूष गोयल ने दिया विपक्षी सांसदों को जवाब
सदन के नेता डॉक्टर पीयूष गोयल ने इस संबंध में कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर सहित अन्य संविधान निर्माताओं ने समान नागरिक संहिता के विषय को नीति निर्देशक सिद्धांतों में रखा था।
उन्होंने विपक्षी सांसदों को जवाब देते हुए कहा कि सदन के हर सदस्य को संविधान से जुड़े किसी भी विषय पर विधेयक लाने का अधिकार है। किसी भी सांसद के इस अधिकार पर कोई सवाल नहीं खड़ा किया जा सकता।
बाद में विपक्षी सांसदों की मांग पर इस विधेयक को पेश किए जाने के संबंध में मत विभाजन कराया गया। मत विभाजन के दौरान उच्च सदन में 23 के मुकाबले 63 मतों से इस विधेयक को पेश किए जाने की अनुमति दे दी। वोटिंग के दौरान बीजू जनता दल के सदस्यों ने सदन से वाकआउट कर दिया।
विपक्षी सांसदों ने किया जमकर विरोध
सभापति जगदीश धनखड़ की ओर से इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर विपक्षी सांसदों को भी अपनी बात रखने का मौका दिया गया। समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, आईयूएमएल के अब्दुल वहाब, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के इलामरम करीम, वी शिवदासन, डॉ जान ब्रिटास, ए ए रहीम, विकास रंजन भट्टाचार्य, वाइको, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संतोष कुमार पी, द्रमुक के तिरुचि शिवा, कांग्रेस के एल हनुमंथैया, जे बी हीशम एवं इमरान प्रतापगढ़ी, तृणमूल के जवाहर सरकार, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की फौजिया खान ने भाजपा सांसद की ओर से पेश किए गए इस विधेयक का जमकर विरोध किया।
सभी परंपराओं के सम्मान पर जोर
समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि मुसलमान अपनी चचेरी बहन से शादी को सही मानते हैं मगर क्या हिंदू धर्म में ऐसा किया जा सकता है? उन्होंने कहा कि सभी धर्मों की अलग-अलग परंपरा है और सभी धर्मों की परंपराओं का सम्मान किया जाना चाहिए।
माकपा सांसद जॉन ब्रिटास ने विधि आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि देश में समान नागरिक संहिता की जरूरत नहीं है। विपक्षी सांसदों ने समान नागरिक संहिता को संविधान विरुद्ध और देश की विविधता की संस्कृति को नष्ट करने वाला बताया।
कई राज्य कानून को लागू करने की तैयारी में
देश में पिछले कई महीनों से समान नागरिक संहिता का मुद्दा गरमाया हुआ है। भाजपा शासित राज्यों उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों ने पहले ही समान नागरिक संहिता को लागू करने की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही है।
ऐसे में भाजपा सांसद की ओर से उच्च सदन में आज पेश किए गए प्राइवेट मेंबर बिल को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वैसे संसद के इतिहास में अभी तक सिर्फ तीन प्राइवेट मेंबर बिल पारित हो चुके हैं। अंतिम प्राइवेट मेंबर बिल 1971 में पारित किया गया था।
भाजपा अपने घोषणापत्रों में समान नागरिक संहिता को लागू करने का वादा करती रही है। गुजरात में हाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के घोषणा पत्र में इसे लागू करने का वादा किया गया था। यह मुद्दा लंबे समय से भाजपा के एजेंडे में शामिल रहा है और अब इसे लेकर सियासी माहौल गरमाने के आसार हैं।