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Black Magic: हर साल जाने कितनों को लील जाता हैं टोना-टोटका, जानें 'काला जादू' को लेकर क्या है हकीकत और इसकी रोकथाम के लिए कानून के बारे में
Black Magic Tricks in Hindi: हर घड़ी हर साल अनगिनत लोग ब्लैक मैजिक के जद में फंसकर अपने जीवन को तबाह कर रहें हैं। हैरानी की बात तो ये है कि समाज में अंध विश्वास और काला जादू से जुड़ी दुर्दांत घटनाओं के घटने के बाद भी लोगों की आंखें नहीं खुल रहीं।
Black Magic Tricks in Hindi: काला जादू एक ऐसा घातक विषैला वृक्ष है जो हमारे समाज के भीतर अपनी जड़ों को फैलाकर समाज को खोखला कर रहा है, इसके जहर में कुछ ऐसा नशा है कि पढ़ा लिखा उच्च वर्ग भी इसके आकर्षण से खुद को दूर नहीं रख पा रहा है। हर घड़ी हर साल अनगिनत लोग ब्लैक मैजिक के जद में फंसकर अपने जीवन को तबाह कर रहें हैं। हैरानी की बात तो ये है कि समाज में अंध विश्वास और काला जादू से जुड़ी दुर्दांत घटनाओं के घटने के बाद भी लोगों की आंखें नहीं खुल रहीं। मदान्ध हो चुके लोग समस्याओं का निवारण करने का दावा करने वाले अघोरी, ढोंगी साधु संयासियों के जाल में लगातार फंस रहें हैं।
ब्लैक मैजिक जैसे दुष्प्रचार अवैज्ञानिक होने के बावजूद कुछ दकियानूस किस्म के राजनेताओं ने अपने राजनीतिक करियर को चमकाने के लिए इस पर अंधा विश्वास करते हैं, जिन्हे इस पर कड़ाई से रोक लगानी चाहिए वो खुद इसके चंगुल में फंसे हुए हैं।
प्रत्येक 10 व्यक्ति में से 4 को है जादू-टोना में विश्वास
जर्नल में अमेरिका के एक अर्थशास्त्री की यह स्टडी प्रकाशित हुई है। इस स्टडी के हिसाब से, कुछ लोगों के पास ऐसी शक्तियां होती हैं जिनसे वे मंत्र, श्राप आदि का इस्तेमाल कर किसी दूसरे को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हैरानी की बात हैं कि इस स्टडी के मुताबिक लोगों के बीच जादू-टोना की मान्यता के पीछे केवल अंधविश्वास या अशिक्षा ही कारण नहीं है, बल्कि लोगों से प्रतिशोध लेना भी इसके पीछे की एक नहीं कई वजह पाई गई हैं जो कि बेहद घातक है। नई स्टडी में सामने आया कि जादू-टोने में विश्वास रखने वालों की संख्या उम्मीद से कहीं अधिक है।
दाभोलकर हत्या: काला जादू पर रोक लगाने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य पर रहा असफल
महाराष्ट्र काला जादू, जादू टोना और अन्य अंधविश्वासी प्रथाओं पर रोक लगाने वाला कानून का बिल लाने के बाद भारत का पहला राज्य बन गया है। लेकिन इस तरह के अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति नरेंद्र दाभोलकर की ही हत्या कर दी गई। नरेंद्र दाभोलकर जो कि एक भारतीय तर्कवादी और महाराष्ट्र के लेखक थे। वो महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (MANS), अंधविश्वास उन्मूलन के लिए गठित एक संगठन, के संस्थापक एवं अध्यक्ष भी थे। MBBS भी की भी डिग्री उनके पास थी। उन्होंने समाज को खोखला कर रहे अंधविश्वास से दूर रहने की मुहिम चलाई तो उन्हें जान से हाथ धोना पड़ा। उनके उपदेश उनके प्रयास इस अंधविश्वास के आगे फीके साबित हुए। 2013 से पहले भी 1995 में यह विधेयक राज्य विधानसभा में लाया गया था और अब तक कम से कम 29 बार इसमें संशोधन हो चुका है। इस दौरान सभी राजनीतिक दलों की सरकारें बनीं। लेकिन कट्टरवादी समूहों के दबाव में इसे पारित नहीं करवा सकीं, क्योंकि ये समूह इस कानून को ′हिंदू विरोधी′ बता रहे हैं।
धर्म कर्म में विश्वास रखने वाले भारत देश में काला जादू जैसे अंधविश्वास के प्रति क्या महत्व हैं?
वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के अमेरिकी अर्थशास्त्री बोरिस ग्रेशमैन ने अपने शोध में पाया कि 1.4 लाख लोगों में से लगभग 40 फीसदी लोग काला जादू जैसी शक्तियों में विश्वास रखते हैं। साथ ही 71 साल के डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के बाद अंधविश्वास और बुद्धिवाद जैसे विषय फिर चर्चा में आ गए। पुणे के मशहूर तर्कवादी दाभोलकर देश में फैले अंधविश्वास के खिलाफ वर्षों से अभियान चला रहे थे और काला जादू जैसे तंत्र-मंत्र को एक कानून लाकर प्रतिबंधित करने के लिए करीब दो दशक से सरकार पर दबाव बना रहे थे। महाराष्ट्र के नागपुर में पांच साल की एक बच्ची के माता-पिता ने ''बुरी शक्तियों को भगाने के लिए'' बच्ची पर ''काला जादू'' करते हुए उसे पीट-पीट कर मार डाला।
आस्था के नाम पर काला जादू, टोना-टोटका और दूसरे अंधविश्वासों को खत्म करने के प्रयासों का विरोध करने वालों की अच्छी खासी तादाद है। अंधविश्वास केवल भारत में ही नहीं है, बल्कि अमेरिका में भी लोग इसको पसंद करते हैं। भारत में, अंधविश्वास खतरा-ए-जान भी हो सकता है और यह समस्या केवल महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं है।हर साल सैकड़ों औरतों को प्रताड़ित किया जाता है। कई बार तो उनकी हत्या कर दी जाती है। इन औरतों का कसूर सिर्फ इतना है कि कुछ सिरफिरे लोग उन्हें डायन घोषित कर देते हैं। इसी तरह दैवीय शक्तियों को खुश करने के लिए बच्चों की बलि के मामले भी सामने आते हैं।
राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, अकेले 2012 में ही टोने-टोटके के नाम पर 119 लोगों की हत्या हो गई। ये सरकारी आंकड़े हैं और यह बात भी किसी से छिपी नहीं है, बहुत से मामले पुलिस के पास दर्ज ही नहीं होते। दरअसल, टोना-टोटका इस देश में एक बहुत बड़ा धंधा है। दिल्ली में काले जादू का धंधा करने वाले एक शख्स ने खुद को काला जादू समाधान विशेषज्ञ बताते हुए सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट लिंक्डइन पर भी इसका प्रचार-प्रसार किया है। उसकी वेबसाइट पर दावा किया गया है कि वह एक काला जादू विशेषज्ञ बाबा है, जिसने न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर के हजारों परिवारों की समस्याओं का समाधान किया है। जाहिर है कि आम लोगों को मूर्ख बनाकर ठगी करने वालों पर शिकंजा कसने की अब तत्काल जरूरत है।
देश के सबसे पढ़े-लिखे राज्य केरल में दो महिलाओं की बलि देने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। केरल में जादू-टोने से हालात इतने भयावह हैं कि इसके खिलाफ दो बार कानून लाने की कोशिश भी हुई। भारत में जादू-टोना या काला जादू रोकने के लिए कोई केंद्रीय कानून नहीं है। लेकिन कई राज्यों में इसके खिलाफ कानून हैं। दो महिलाओं को घर बुलाया।जादू-टोना किया और फिर गला रेतकर हत्या कर दी। उनके शरीर को टुकड़ों में काटा और फिर दफना दिया। महिलाओं की हत्या के बाद उनके खून को दीवारों और फर्श पर छिड़का। ये सब इसलिए किया ताकि घर में धन-दौलत आए।
दिल दहला देने वाली ये घटना केरल में सामने आई है। यहां के पथानामथिट्टा में महिलाओं की बलि दी गई। इस मामले में पुलिस ने एक दंपति समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। दोनों महिलाओं की बलि दंपति ने वित्तीय समस्या से निपटने और जीवन में समृद्धि लाने के लिए दी। बताया जा रहा है कि आरोपी मोहम्मद शफी ने उनसे महिलाओं की बलि देने के लिए कहा था।
पुलिस ने बताया कि पहली महिला 26 सितंबर से गायब थी। दूसरी की हत्या जून में हुई। पुलिस की मुताबिक, बलि देने से पहले महिलाओं को बुरी तरह टॉर्चर किया गया था। एक महिला के स्तन काटे गए थे और दूसरी के शरीर को 56 टुकड़ों में काट दिया गया था। मामले में मोहम्मद शफी के अलावा भगावल सिंह और उसकी पत्नी लैला को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। देश के सबसे पढ़े-लिखे राज्य में अंधविश्वास अभी भी कितना हावी है, ये इस घटना ने बता दिया। अंधविश्वास और जादू-टोने से हालात यहां इतने भयावह हैं कि इसके खिलाफ कानून बनाने की मांग फिर से उठने लगी है। केरल में चार साल पहले 2019 में बिल बना भी था। लेकिन विधानसभा में पेश नहीं हो सका। इसमें काला जादू और मानव बलि रोकने के प्रावधान थे।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी NCRB के आंकड़े बताते हैं कि जादू-टोने ने 10 साल में एक हजार से कहीं ज्यादा लोगों की जान ले ली है। इन सालों के बीच करीब 1,098 लोगों की मौत का कारण जादू-टोना ही था.
क्या देश में इसे रोकने का कोई कानून है?
अंधविश्वास, काला जादू, जादू-टोना या मानव बलि के विरोध में कोई सख्त कानून नहीं है जो देशभर में लागू होता हो सके। हालांकि, इंडियन पीनल कोड (IPC) की कुछ धाराएं हैं जिनमें ऐसे अपराध के लिए सजा का प्रावधान है। अगर मानव बलि दी जाती है तो धारा 302 (हत्या की सजा) के तहत सजा दी जाती है। इसके अलावा, धारा 295A के तहत भी केस दर्ज किया जा सकता है। ये धारा तब लगाई जाती है जब धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर कोई काम किया जाता है।
आइए जानते हैं किन राज्यों में अंधविश्वास के खिलाफ क्या है कानून?
इसमें कोई दोराय नहीं कि अंधविश्वास और काला जादू जैसी प्रथा की जड़ें धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी हैं इसलिए सरकारें उनके खिलाफ कानून लाने से बचती हैं। महाराष्ट्र में 2013 से इसे लेकर कानून है। महाराष्ट्र का कानून जादू-टोना, काला जादू, मानव बलि और बीमारियों के इलाज के लिए तंत्र-मंत्र या लोगों के अंधविश्वास का फायदा उठाने के लिए काम करने वाले को सजा देता है। इस कानून के तहत 6 महीने से लेकर 7 साल तक की सजा हो सकती है। साथ ही 50 हजार रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। हालांकि, महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने दावा किया था कि इस कानून के नियम बनने अभी बाकी हैं।
बिहार देश का पहला राज्य है जहां जादू-टोने के खिलाफ सबसे पहले कानून लाया गया था। यहां 1999 से कानून है। ये कानून काला जादू, जादू-टोना, डायन प्रथा पर रोक लगाता है। ऐसा ही कानून झारखंड में भी है। साल 2015 में छत्तीसगढ़ सरकार टोनाही प्रताड़ना निर्वारण कानून लेकर आई थी। ये कानून ऐसे अपराधों के लिए सजा का प्रावधान करता है, जिसमें जादू-टोने के जरिए किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को नुकसान पहुंचाया गया हो। ये कानून झाड़-फूंक, टोना-टोटका को भी रोकता है. इसके तहत 5 साल तक की कैद की सजा हो सकती है।
महाराष्ट्र की तर्ज पर ही कर्नाटक सरकार 2020 में इसके खिलाफ कानून लेकर आई थी। यह कानून काला जादू, जादू-टोना और अंधविश्वास के नाम पर लोगों को नुकसान पहुंचाने वाले 16 कृत्यों पर प्रतिबंध लगाता है। ऐसा करने पर आईपीसी की धारा के तहत कैद और जुर्माने की सजा हो सकती है। राजस्थान और असम में भी 2015 से इसके खिलाफ कानून हैं। ओडिशा में भी 2013 से इसे लेकर कानून है। ये कानून डायन शिकार और जादू-टोना करने से रोकता है। इसके तहत अगर किसी प्रथा से किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचता है, तो ऐसा करने वाले को 1 से 3 साल की कैद की सजा हो सकती है।