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ब्लैकमनी पर बड़ी जीत! स्विट्जरलैंड भारत को जानकारी देने को तैयार
आधी एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना चेन्नै में वर्ष 2014 में हुई। कंपनी ने कई तरह के कारोबार में हाथ डाला और तेजी से तरक्की की लेकिन कई दागी नेताओं से रिश्तों और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने के चलते कंपनी जांच एजेंसीज के निशाने पर आ गई।
नई दिल्ली : ब्लैकमनी का सुरक्षित दुर्ग बना चुका स्विट्जरलैंड अब अपनी तस्वीर बदलने के लिए मचल रहा है। स्विट्जरलैंड भारत सरकार को दो कंपनियों और तीन व्यक्तियों के बारे में जानकारी देने को तैयार हो गया है।
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कौन सी हैं कंपनी
मिली जानकारी के मुताबिक भारत की जियोडेसिक लिमिटेड और आधी एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के बारे में स्विट्जरलैंड प्रशासनिक सहायता देने को तैयार हो गया है।
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जानिए काले धन के सौदागरों के बारे में
पहले तो ये समझ लीजिए कि भारत सरकार की कई एजेंसीज ने स्विट्जरलैंड से कुछ कंपनीज और कई व्यक्तियों के बार में जानकारी साझा करने का अनुरोध किया था। इनमें जियोडेसिक लिमिटेड से जुड़े पंकज कुमार ओंकार श्रीवास्तव, प्रशांत शरद मुलेकर और किरन कुलकर्णी शामिल हैं।
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अब बात करते हैं जियोडेसिक लिमिटेड की, नई प्रौद्योगिकी समाधान उपलब्ध कराने वाली जियोडेसिक की स्थापना वर्ष 1982 में हुई। फिलहाल यह एक सूचीबद्ध इकाई नहीं रह गई है, क्योंकि शेयर बाजार ने इनके शेयरों के कारोबार को प्रतिबंधित कर दिया है। कंपनी और इसके निदेशक इस समय सेबी के साथ प्रवर्तन निदेशालय और मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के राडार पर हैं।
अब आपको बताते हैं आधी एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के बारे में। इसकी स्थापना चेन्नै में वर्ष 2014 में हुई। कंपनी ने कई तरह के कारोबार में हाथ डाला और तेजी से तरक्की की लेकिन कई दागी नेताओं से रिश्तों और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने के चलते कंपनी जांच एजेंसीज के निशाने पर आ गई।
कैसे काम करती है प्रशासनिक सहायता
किसी भी देश को प्रशासनिक सहायता में वित्तीय और टैक्स संबंधित गड़बड़ियों के बारे सबूत पेश करने होते हैं। इसमें बैंक और अन्य वित्तीय आंकड़े होते हैं। इसके बाद संबंधित देश को वो देश मदद करता है।
क्या कर सकते हैं अब आरोपी
आरोपी कंपनियां और व्यक्ति भारत को प्रशासनिक सहायता देने के संघीय कर प्रशासन के निर्णय के खिलाफ अर्जी दायर कर सकते हैं।
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