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UP: राहुल और अखिलेश के बीच बैठक का खाका हो रहा तैयार, जल्द हो सकता है गठबंधन
Uma Kant Lakhera
नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी (सपा) कुनबे में मचे बवाल के बीच यूपी के सीएम अखिलेश यादव खेमे और कांग्रेस में उच्च स्तर पर सीटों के तालमेल पर वार्ता प्रकिया निर्णायक मुकाम पर आगे बढ़ गई है।
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि यूपी मामलों के प्रभारी और महासचिव गुलाम नबी आजाद के नव वर्ष के लखनऊ प्रवास के दौरान अखिलेश से मुलाकात और सीटों के तालमेल के बारे में सैद्धांतिक सहमति कायम हो चुकी है। अखिलेश के साथ चुनाव लड़ने की औपचारिक भेंट के बाद कांग्रेस सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि अगले सप्ताह के बाद कभी भी यूपी के सीएम और राहुल गांधी के बीच सीधी बातचीत का रोडमैप तैयार किया जा रहा है।
कांग्रेस के लिए सपा से गठबंधन मुफीद
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बातचीत में स्वीकारा कि पार्टी आगामी चुनावों में अकेले मैदान में उतरने के बजाय किसी मजबूत गठबंधन के साथ मिलकर ही चुनाव लड़ेगी, ऐसी दशा में उनके लिए अखिलेश यादव के नेतृत्व वाले पार्टी के गुट के साथ चुनाव लड़ना ही सबसे अधिक फायदे का सौदा है।
मुस्लिम वोट बैंक पर नजर
दूसरी ओर, अखिलेश यादव का गणित भी बहुत साफ है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि मुस्लिम वोट बैंक जो बीजेपी को हराने के लिए बसपा की ओर ताक रहा है उसे यह भरोसा दिलाना आसान हो जाएगा कि अखिलेश-राहुल गठबंधन बसपा पर भारी है। साथ ही सबसे बड़े प्रदेश यूपी में बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने में ये दोनों नेता ही कामयाब हो सकते हैं।
बिगाड़ सकते हैं बीजेपी का गणित
सपा के अंदरूनी जानकारों का भी मानना है कि मौजूदा हालात में अखिलेश और राहुल मिलकर साझा वोट बैंक 33 फीसदी वोट हासिल करने के आंकड़े को पार कर गए तो समझो कि 250 सीटें जीतना मुश्किल नहीं होगा। प्रेक्षकों का मानना है कि अखिलेश और राहुल की यह रणनीति परवान चढ़ी तो बिहार की तर्ज पर यूपी में भी बीजेपी के गणित को पछाड़ा जा सकता है।
राहुल ने अखिलेश से साझा की थी हकीकत
बता दें, कि पिछले तीन-चार महीने से राहुल और अखिलेश एक-दूसरे से लगातार संपर्क में हैं। दोनों के बीच भरोसे के रिश्ते हैं। लेकिन कांग्रेस का एक बड़ा तबका इस बात को लेकर आशंकित था कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव और अमर सिंह की तिकड़ी कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के तालमेल की रणनीति का विरोध कर रही थी। बताते हैं कि इन्हीं पेचीदगियों के चलते राहुल ने दिसंबर के आखिर में विदेश जाने के पहले अखिलेश को यह हकीकत भी साझा कर ली थी कि कांग्रेस का उनके साथ तभी आना मुमकिन हो पाएगा जब वे अपने पिता और चाचा की छाया से सपा को बाहर निकालने में कामयाब हो जाएंगे।
कुछ ठोस वोट बैंक अब भी कांग्रेस के पास
कांग्रेस के पास यूपी में सबसे बड़ी समस्या वोट बैंक की है। उसके जनाधार को पिछले लोकसभा चुनावों में तगड़ा झटका लगा है। लेकिन बीजेपी, सपा, बसपा के बाद जनाधार के मामले में कांग्रेस के पास कुछ ठोस वोट बैंक अभी भी बचा है।
बसपा का वोट प्रतिशत बढ़ा, सीटें खिसकीं
साल 2007 के विधानसभा चुनावों में बहुकोणीय मुकाबले में बसपा को 30 प्रतिशत वोट मिले और 206 सीटों के साथ उसकी सामान्य बहुमत के साथ सरकार बन गई, लेकिन उसके बाद 2012 के शुरू में हुए विधानसभा चुनावों में सपा को 29.13 फीसदी वोट मिलने पर भी सपा 226 सीटें हथियाने में कामयाब हो गई।