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फिर बोतल से बाहर आएगा बोफोर्स का जिन्न, रंग लाई बीजेपी नेता की मुहीम
नई दिल्ली : बोफोर्स तोप सौदे में कथित दलाली मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर उच्चतम न्यायालय इस अक्तूबर महीने के अंत तक सुनवाई करेगा। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में दिल्ली की तीस हजारी अदालत से ओरिजिनल दस्तावेज मांगे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तीस हजारी अदालत को पत्र भेजा है।
बोफोर्स मामले में जनहित याचिका बीजेपी के नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अजय अग्रवाल ने दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने तीस हजारी अदालत से बोफोर्स से जुडे सभी दस्तावेज देने का आदेश तीस हजारी अदालत को दिया है। दस्तावेज 2010 के बक्से में भर कर तीस हजारी अदालत में रखे हुए हैं।
सीबीआई के आग्रह पर इसे सुप्रीम कोर्ट से तीस हजारी अदालत भेजा गया था। सीबीआई ने क्वात्रोची के खिलाफ मामला बंद करने के लिए सभी दस्तावेज तीस हजारी अदालत को देने का आग्रह किया था। सीबीआई ने क्वात्रोची के खिलाफ मामला बंद करने का आवेदल अक्तूबर 2009 को दिया था जिसका विरोध अजय अग्रवाल ने किया था।
अजय अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि क्वात्रोची के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ गहरे रिश्ते हैं। दिल्ली के मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने सीबीआई के आवेदन को 4 मार्च 2011 को मंजूर कर लिया। जिससे क्वात्रोची का नाम बोफोर्स मामले से हटा दिया गया।
अजय अग्रवाल ने आरोप में कहा था कि सोनिया गांधी के माता पिता के परिवार से क्वात्रोची के गहरे रिश्ते हैं और दलाली की रकम कवाखेत्री के खाते में डाली गई। दलाली का बडा हिस्सा गांधी परिवार को मिला।
यही कारण था कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार में बोफोर्स मामले में हिन्दुजा परिवार के खिलाफ कोई याचिका 2005 में दायर नही की गई और 2006 में क्वात्रोची के लंदन के बैंक के खाते में लगी रोक हटा ली गई। जिस समय रोक हटाई गई उसवक्त उस खाते में 21 करोड रूपए थे।
क्वात्रोची को जब फरवरी 2007 में अर्जेंटीना में हिरासत में लिया गया जब भी सीबीआई ने कहा कि क्वात्रोची कहां हैं इसका पता उसे नहीं है। जबकि अर्जेंटीना में उसके हिरासत में होने की जानकारी सरकार और सीबीआई दोनों को थी।
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में भी 12 फरवरी 2007 को क्वात्रोची के बारे में कोई जानकारी नहीं होने का हलफनामा दिया।क्वात्रोची के खिलाफ कोई दस्तावेज नहीं होने के कारण अर्जेंटीना की सरकार ने उसे रिहा कर दिया । साल 2009 में क्वात्रोची के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस भी वापस ले ली।
क्या है ये बोफोर्स घोटाला
स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने साल 1986 में भारतीय सेना को होवित्जर तोपों की सप्लाई करने का सौदा हथियाने के लिये 80 लाख डालर की दलाली चुकायी थी। उस समय केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी, जिसके प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। स्वीडन की रेडियो ने सबसे पहले 1987 में इसका खुलासा किया था।
कारगिल का हीरो
बोफोर्स तोपों ने वर्ष 1999 के कारगिल के युद्ध में शानदार प्रदर्शन किया था। बोफोर्स तोपों ने पहाड़ की चोटियों पर बने पाकिस्तानी बंकरों को उड़ा दिया था। इस युद्ध की विजय में इनका बड़ा हाथ रहा है।
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