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Bombay HC: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया को बताया 'जनसंहार का हथियार', कहा- हम ऐसे युग में रहते हैं जहां...
Bombay High Court: बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस महेश सोनक ने कहा, 'आज, सोशल मीडिया या मास मीडिया बड़े पैमाने पर ध्यान भटकाने वाले हथियार बन गए हैं। बावजूद उनसे निपटने के कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए हैं।'
Bombay High Court : बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा पीठ के जस्टिस महेश सोनक (Justice Mahesh Sonak) ने शनिवार (30 सितंबर) को बड़ी बात कही। उन्होंने कहा, 'सोशल मीडिया या मास मीडिया 'जनसंहार का हथियार' (Social Media a Weapon of Mass Destruction) बन गया है। उनसे निपटने के लिए अब तक कोई 'समन्वित कोशिश' नहीं की गई है।
न्यायमूर्ति महेश सोनक ने ये बातें 'जी.आर. कारे कॉलेज ऑफ लॉ में व्याख्यान श्रृंखला 'जीआरके-लॉ टाक्स' के दौरान कही। उन्होंने आगे कहा, वो ऐसी खबरें नहीं पढ़कर या ना देखकर कई मुद्दों से अनजान बने रहने को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि इसे वह गलत सूचना पाने से कहीं बेहतर मानते हैं।
'कंप्यूटर-स्मार्टफोन पसंद, सोचने वाला शख्स नहीं'
जस्टिस महेश सोनक आगे कहते हैं, 'आज हम ऐसे युग में रहते हैं, जहां कंप्यूटर और स्मार्टफोन (Computers and smartphones) जैसी सोचने वाली मशीनों को पसंद करते हैं। उनका महिमामंडन किया जाता है। लेकिन, हम उन व्यक्तियों पर बेहद संदेह करते हैं या उनसे सावधान रहते हैं, जो सोचने की कोशिश करते हैं।'
... तो दुखद दुनिया होगी
न्यायमूर्ति महेश सोनक ने कहा, 'कृत्रिम बुद्धिमत्ता की अपनी खूबियां हैं। मगर, यदि हम अपनी सोचने की क्षमता, बुद्धि, कौशल और इसके अलावा संवेदनशील विकल्प चुनने की क्षमता को किसी मशीन या एल्गोरिदम (Algorithm) के पास गिरवी रख दें, चाहे वह कितना भी बुद्धिमान क्यों न हो, तो यह एक दुखद दिन और दुखद दुनिया होगी।'
स्पष्ट, स्वतंत्र, निर्भीक होकर सोचें छात्र
जस्टिस सोनक ने ये कहा कि, 'स्पष्ट रूप से, स्वतंत्र रूप से और निडर तथा निर्भीक होकर सोचने की यह क्षमता छात्रों को उन विचारों तथा विचारधाराओं को समझने और जरूरत पड़ने पर अस्वीकार करने में सक्षम बनाएगी, जो दिनों दिन शक्तिशाली होते जा रहे मास मीडिया उपकरणों (Mass media devices) द्वारा लगातार थोपे जा रहे हैं।'
'खबरों से परहेज'
उन्होंने आगे कहा, 'कुछ दशक पहले, दुनिया जनसंहार के हथियारों (weapons of mass destruction) के खिलाफ लड़ रही थी। आज के समय में सोशल मीडिया या मास मीडिया बड़े पैमाने पर ध्यान भटकाने वाले हथियार बन गए हैं। बावजूद उनसे निपटने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए।' न्यायाधीश ने कहा, वह अपने तरीके से, प्रयोग के माध्यम से, लगभग 4 वर्षों से 'खबरों से परहेज' किए हुए हैं।