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ब्रह्मोस मामला : सीनियर सिस्टम इंजीनियर निशांत की जमानत अर्जी खारिज
लखनऊ : सेशन जज नरेंद्र कुमार जौहरी ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआई को गोपनीय सुचनाएं देने के मामले में निरुद्ध ब्रह्मोस एरोस्पेस, नागपुर के सीनियर सिस्टम इंजीनियर निशांत अग्रवाल की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया इसके अपराध को गंभीर करार दिया है।
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अदालत में अभियोजन की ओर से जमानत अर्जी का विरेध करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता फौदजारी मनोज त्रिपाठी का तर्क था कि इंटेलीजेंस विभाग से प्राप्त सूचना में अभियुक्त का नाम सामने आया है। अभियुक्त के व्यक्तिगत लैपटाप में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से संबधित महत्वपूर्ण डेटा व अन्य गोपनीय सूचनाएं पाई गई हैं। जबकि वह ऐसी सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं था। उसने गैरकानूनी तरीके से इन सूचनाओं को हासिल किया है। वो अपने इसी लैपटाप से नेहा शर्मा व पूजा रंजन (छद्म नाम) की फें्रड्स से चैट करता था। देश की सुरक्षा से जूड़े इस गंभीर मामले की विवेचना अभी प्रचलित है। लिहाजा अभियुक्त की जमानत अर्जी खारिज की जाए।
दूसरी तरफ बचाव पक्ष का कहना था कि अभियुक्त निशांत अग्रवाल एक प्रखर मस्तिष्क का वैज्ञानिक है। देश की रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े होने व रक्षा प्रतिष्ठान में सर्वोत्तम कार्य करने के कारण दुश्मन देश के लोगों ने षडयंत्र करके उसे इस मामले में फंसा दिया है। उसने ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट के संबध में किसी प्रकार की कोई गोपनीय जानकारी किसी व्यक्ति से कभी भी साझा नहीं की है। लिहाजा उसकी जमानत मंजूर की जाए।
अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जमानत अर्जी खारिज कर दी।
उल्लेखनीय है कि चार अक्टूबर, 2018 को एटीएस इकाई, कानपुर के निरीक्षक हरीशंकर मिश्रा ने इस मामले की एफआईआर थाना एटीएस, कानपुर में दर्ज कराई थी। बीते आठ अक्टूबर को यूपी एटीएस की टीम ने इसे नागपुर के उज्ज्वल नगर, सोनेगांव स्थित इसके आवास से गिरफ्तार किया था। बीते 11 अक्टूबर को उसे इस मामले में न्यायिक हिरासत में लखनऊ जेल भेजा गया था।
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