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वायुसेना के सुखोई फाइटर जेट से ब्रह्मोस मिसाइल का फायर टेस्ट सफल
भारत ने वायुसेना के सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस एयर लॉन्च क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण कर रिकॉर्ड कायम किया है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा बुधवार (22 नवंबर) को की।
नई दिल्ली: भारत ने वायुसेना के सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से ब्रह्मोस एयर लॉन्च क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण कर रिकॉर्ड कायम किया है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा बुधवार (22 नवंबर) को की।
भारत को रक्षा क्षेत्र में बड़ी कामयाबी मिली है। बुधवार को सुखोई फाइटर प्लेन से ब्रह्मोस मिसाइल को फायर करने का टेस्ट सफल रहा है। इस टेस्ट के लिए हल्के ब्रह्मोस मिसाइल का प्रयोग किया गया, जिसका वजन 2.4 टन था, जबकि असल में इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का वजन 2.9 टन होता है।
अधिक गति से हमला करने में सक्षम
ये टेस्ट बालासोर टेस्ट फायर रेंज के ऊपर किया गया। दो इंजन वाले सुखोई-30 MKI फाइटर जेट से ये टेस्ट किया गया। सुखोई और ब्रह्मोस की जोड़ी को 'डेडली कॉम्बिनेशन' के तौर पर देखा जा रहा है। बता दें, ब्रह्मोस मिसाइल आवाज की गति से करीब तीन गुना अधिक गति से हमला करने में सक्षम है। ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। ये कम ऊंचाई पर उड़ान भरती है इसलिए रडार की पकड़ में नहीं आती। ब्रह्मोस का 12 जून, 2001 को सफल लॉन्च किया गया था। इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है।
एमटीसीआर की सदस्यता मिलने के बाद भारत 300 किलोमीटर की रेंज वाली मिसाइलों को तैयार करने में सक्षम होगा। फिलहाल, ब्रह्मोस मिसाइल के हाइपरसोनिक वर्जन यानि ध्वनि से पांच गुना तेज रफ्तार (माक 5) को तैयार करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं और ब्रह्मोस को सुखोई से दागने की यह कवायद इस सिलसिले में देखी जा रही है।
यह मिसाइल अंडरग्राउंड परमाणु बंकरों, कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर्स और समुद्र के ऊपर उड़ रहे एयरक्राफ्ट्स को दूर से ही निशाना बनाने में सक्षम है। बीते एक दशक में सेना ने 290 किलोमीटर की रेंज में जमीन पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल को पहले ही अपने बेड़े में शामिल कर लिया है। ब्रह्मोस मिसाइल के लिए 27,150 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए गए हैं। इसके लिए सेना, नेवी और इंडियन एयर फोर्स ने अपनी रुचि दिखाई है।
-आईएएनएस