Corona Virus Effect: कोरोना होने के साल भर बाद तक भी हो सकता है दिमाग पर असर

Corona Virus Effect: कोरोना का असर दिमाग की क्षमताओं पर भी पड़ सकता है लेकिन ये असर लम्बे समय बाद भी हो सकता है, ये नई जानकारी है। नया अध्ययन कहता है कि कोरोना लोगों के वायरस से संक्रमित होने के एक साल या उससे अधिक समय बाद संज्ञानात्मक कार्य को प्रभावित कर सकता है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 2 March 2024 1:04 PM GMT
Corona can affect the brain even after a year
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कोरोना होने के साल भर बाद तक भी हो सकता है दिमाग पर असर: Photo- Social Media

Corona Virus Effect: एक नई कहावत है - दिमाग का दही बनना। मतलब दिमाग सही से कम न करना। तो आप ये जान लीजिए कि कोरोना संक्रमण दिमाग का दही कर सकता है, वह भी संक्रमण होने के साल भर से ज्यादा समय के बाद भी। ये बात एक नए अध्ययन से पता चली है।

क्या है नया अध्ययन?

ये तो पहले ही पता चल गया था कि कोरोना का असर दिमाग की क्षमताओं पर भी पड़ सकता है लेकिन ये असर लम्बे समय बाद भी हो सकता है, ये नई जानकारी है। नया अध्ययन कहता है कि कोरोना लोगों के वायरस से संक्रमित होने के एक साल या उससे अधिक समय बाद संज्ञानात्मक कार्य को प्रभावित कर सकता है।

इस अध्ययन में 1,40,000 से अधिक ऐसे प्रतिभागियों को जोड़ा गया जो कोरोना से संक्रमित हो कर उससे उबर चुके थे। उन लोगों की संज्ञानात्मक और स्मृति क्षमताओं का आकलन किया गया और उनसे तुलना की गई जो संक्रमित नहीं हुए थे।

इस अध्ययन में प्रतिभागियों को कॉग्निट्रॉन नामक मंच का उपयोग करके ऑनलाइन संज्ञानात्मक मूल्यांकन पूरा करने का काम सौंपा गया था। इस मूल्यांकन को याददाश्त, तर्क, ध्यान और आवेग जैसे अनुभूति में सूक्ष्म बदलाव की पहचान करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।

इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर और अध्ययन के लेखकों में से एक एडम हैम्पशायर ने एक बयान में कहा - बड़े पैमाने पर अनुभूति और याददाश्त के कई पहलुओं को मापने के लिए हमारे ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करके, हम संज्ञानात्मक कार्य प्रदर्शन में छोटी लेकिन मापने योग्य कमियों का पता लगाने में सक्षम थे। हमने यह भी पाया कि लोग बीमारी की अवधि, वायरस के प्रकार और अस्पताल में भर्ती होने जैसे कारकों के आधार पर अलग अलग तरीकों से प्रभावित हुए। अध्ययन के निष्कर्ष न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुए हैं।

Photo- Social Media

भुलक्कड़पन

अध्ययन से पता चला है कि कोरोना वायरस विशेष रूप से मेमोरी को प्रभावित करता है, जैसे कि कुछ मिनट पहले देखी गई वस्तुओं की छवियों को याद करना। इससे पता चलता है कि नई मेमोरी बनाने में दिक्कत जुड़ी हुई है।

इसके अलावा, योजना और मौखिक तर्क जैसी क्षमताओं का आकलन करने वाले कार्यों में भी छोटी कमियाँ देखी गईं। निष्कर्षों से यह भी पता चलता है कि जब जब ओमीक्रॉन मुख्य वेरिएंट के रूप में उभरा था तो उस अवधि के दौरान संक्रमित लोगों में संज्ञानात्मक प्रभाव कम स्पष्ट थे।

इंपीरियल कॉलेज लंदन: Photo- Social Media

इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर पॉल इलियट ने कहा - यह आश्वस्त करने वाली बात है कि जिन लोगों में कोरोना ठीक होने के बाद लगातार लक्षण थे, वे अपने संज्ञानात्मक कार्यों में कुछ सुधार का अनुभव करने की उम्मीद कर सकते हैं। लेकिन दीर्घकालिक नैदानिक ​​और निरंतर निगरानी भी बेहद जरूरी है।

Shashi kant gautam

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