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Bundelkhand Naxal Districts: बुन्देलखण्ड में नक्सलवाद की पदचाप

Naxalism In Bundelkhand: चंदौली और सोनभद्र इलाके तक सीमित रहने वाले नक्सली अब बुंदेलखंड के सातों जिलों में धीरे-धीरे अपनी धमक दर्ज कराने लगे हैं।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 31 May 2022 1:42 PM GMT (Updated on: 31 May 2022 3:13 PM GMT)
Bundelkhand Naxal hit districts list in up
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Bundelkhand Naxal hit districts list in up (फोटो- न्यूजट्रैक)

Bundelkhand Naxal Districts List: बदहाल बुंदेलखंड (Bundelkhand Latest News) को भूख और प्यास से उबारने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के बीच चल रहे सियासत के खेल में शह और मात किसकी होगी यह कहना मुश्किल है। पर इस सियासी खेल में बुंदेलों की सरजमीं नक्सलियों (Naxalites Area In UP) को उर्वर दिखने लगी है। चंदौली (Chandauli) और सोनभद्र (Sonbhadra) इलाके तक सीमित रहने वाले नक्सली अब बुंदेलखंड (Bundelkhand) के सातों जिलों में धीरे-धीरे अपनी धमक दर्ज कराने लगे हैं। केंद्रीय खुफिया एजेंसी के दस्तावेज बताते हैं, ''उप्र में नक्सलियों ने अपने गढ़ सोनभद्र, चंदौली व मिर्जापुर की अपेक्षा आसान रास्ता पकड़ने के बजाय मध्य प्रदेश के रीवा वाले घुमावदार रास्ते को बुंदेलखंड प्रवेश के लिए चुना है।

नक्सलवाद यहां पनप भले न पाया हो पर इसके बीज तो कभी के पड़ चुके हैं। खुफिया दस्तावेज बताते हैं, ''अस्सी के दशक में बिहार के जहानाबाद में सक्रिय नामचीन नक्सली डा. विनयन और उनके शिष्य विनोद मिश्र यहां अरसे तक नक्सली पौध उगाने में जुटे रहे। उस समय बुंदेलों की यह सरजमीं इतनी तंगहाली और दुश्वारियों में नहीं जी रही थी। नतीजतन, यहां बोए गए नक्सलवाद (Bundelkhand Naxalites Activity) के बीज उग नहीं पाए। लेकिन अब यही सरजमीं खासी उर्वर हो गई है। सरकारी मशीनरी की खाऊ-कमाऊ नीति के चलते मौत को गले लगाना किसानों को ज्यादा मुफीद नजर आ रहा है।

गरीबी, भुखमरी और कर्ज के चलते कई मौतें

तकरीबन 25 फीसदी दलित आबादी वाले इस इलाके में पिछले चार सालों में तकरीबन 500 लोगों ने गरीबी, भुखमरी और कर्ज के चलते मौत को गले लगाना बेहतर समझा है। हालांकि सरकार ने मौत की वजहें फाइलों में ऐसी दर्ज की हैं कि मरने वालों के परिजन और शुभचिंतकों की मुट्ठियाँ अभी भी गुस्से में भींची हुई हैं।

Bundelkhand News Today - यही नहीं, अकेले महोबा जनपद (Mahoba) में अर्जुन बांध से जरूरत का पानी चुराने के आरोप में 1890 लोगों के खिलाफ सरकारी हुक्मरानों ने मुकदमा दर्ज कराया है। रोजगार की तंगहाली के चलते बुंदेलखंड क्षेत्र के कई जनपदों से लोग महानगरों को मजदूरी के लिए पलायन कर रहे हैं। भारतीय रेलवे प्रशासन के आंकड़ों को देखें तो, ''पिछले छह माह में पांच लाख नागरिकों ने पलायन किया। जिला प्रशासन के आंकड़ों से पता लगता है, ''ग्रामीणों की 87 फीसद, शहरी क्षेत्रों की 49 फीसद आबादी के साथ 95 फीसदी पशुधन अपना जीवन बचाने के लिए इस क्षेत्र से पलायन कर गये हैं। बुंदेलखंड वासियों को समझाया जाने लगा कि हक के लिए ताकत जरूरी है।

नक्सली (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

खुफिया एजेंसी के एक अफसर के मुताबिक, ''अब सुदूर बुंदेलखंडी गांवों के नौजवान यह जुमला बोलने लगे हैं- सत्ता बंदूक की नली से निकलती है। कामरेड राजेंद्र शुक्ला मानते हैं, ''केंद्र सरकार की चिंता और मायावती सरकार की तमाम मेहरबानियों का ढिंढोरा पीटे जाने के बावजूद बुंदेलखंड में हर ओर निराशा के बादल छाये होने से यदि नक्सलियों की मुहिम (Naxalites Activity) परवान चढ़ती दिखे तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए। डकैत इश्तहार लगाकर अपने गिरोहों के लिए नौजवानों की भर्ती करने में महज इसलिए कामयाब होते हैं क्योंकि यहां युवाओं के हाथ में काम नहीं है। उन्होंने मोस्ट वांटेड दुर्दांत डकैत सरगना ठोकिया समेत सभी डाकू गिरोहों को अपने साथ मिलाने की कोशिशें भी तेज कर रखी है। चित्रकूटधाम (बांदा) के डीआईजी श्रीराम त्रिपाठी नक्सलियों की आहट स्वीकारते हैं।

नक्सलवाद (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

खदान मुक्ति मोर्चा के बैनर तले काम कर रहा नक्सलवाद

चित्रकूट के पुलिस अधीक्षक डा. प्रीतेन्दर सिंह ने कहा, ''रीवा में नक्सलियों के मूवमेंट की खबर दुरुस्त थी। नक्सली संगठनों की सक्रियता की पुष्टि के बाद सघन जांच जारी है। लेकिन जांच में इन अफसरों को कुछ भी मिल नहीं रहा है। सात जिलों के आठ मंत्रियों की आमद रफ्त भी नक्सली पदचाप नहीं सुन पा रही है। केंद्रीय खुफिया सूत्र इस बात को पुख्ता तौर पर स्वीकार करते हैं, ''बुंदेलखंड में नक्सलवाद (Bundelkhand Naxalites Activity), खदान मुक्ति मोर्चा (Khadan Mukti Morcha) के बैनर तले काम कर रहा है। डेढ़ साल पहले यह इत्तला कर चुकी हैं, ''पचास हजार का ईनामी जोनल एरिया कमांडर संजय कोल ने बीते साल चित्रकूट और बांदा इलाके का दौरा किया था। इस दौरे से लौटते हुए मुठभेड़ में संजय मारा गया। उसकी पत्नी सुषमा कोल पकड़ ली गयी। संजय उप्र, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मप्र समेत पांच राज्यों का काम करता था। बुंदेलखंड इलाके में पकड़ी जा रही आरडीएक्स की खेपें भी इस बात को तस्दीक करती हैं कि इलाके में कोई संगठन बड़ी वारदात को अंजाम देने में जुटा हुआ है।

मात्र दो लाइसेंसियों के लिए तकरीबन सौ लोग विस्फोटक पहुंचाने के काम में जुटे हुए हैं। मोटर साइकिल पर 70 किलो आरडीएक्स लादकर जा रहे दो युवकों की मोबाइल फोन बज जाने की वजह से हुए विस्फोट में मौत हो गयी। बीस हजार की ईनामी व उप्र महिला विंग की कमांडर हार्डकोर नक्सली बबिता सोनभद्र पुलिस के हत्थे चढ़ी तो उसने माओवादियों के प्रचार-प्रसार की भावी योजनाओं का खुलासा भी किया। खुलासे के मुताबिक, ''डाला व सुकृत (सोनभद्र), अहरौरा (मिर्जापुर), चकिया (चंदौली), शंकरगढ़ (इलाहाबाद) व बांदा की पत्थर खदानों के बीच प्रचार-प्रसार चालू है। जमानत पर छूटने के बाद करीब सवा दो सौ नक्सली कहां हैं। इसका पता पुलिस नहीं कर रही है? बुंदेलखंड (Bundelkhand) के बीहड़ तथा दुर्दशाग्रस्त सुदूर गांवों में भूख से तड़पते किसानों को सरकार के खिलाफ भड़काते हुये यह समझाने की पुरजोर कोशिश जारी है कि साधन-संपन्न लोगों ने गरीबों के हकों पर डाका डालकर उन्हें मरने के लिए मजबूर किया है।

(यह मूल रूप से 5 मई, 2008 को प्रकाशित हुई थी।)

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Shreya

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