CAA पर मचा है बवाल, इधर 10 सालों में 57 लाख हिंदुओं ने छोड़ दिया भारत

भारत सरकार ने नागरिकता संशोधन एक्ट पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता देने का नया कानून पास किया है, जिसे लेकर लगभग पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है।

Roshni Khan
Published on: 20 Dec 2019 10:52 AM GMT
CAA पर मचा है बवाल, इधर 10 सालों में 57 लाख हिंदुओं ने छोड़ दिया भारत
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नई दिल्ली: भारत सरकार ने नागरिकता संशोधन एक्ट पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता देने का नया कानून पास किया है, जिसे लेकर लगभग पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा है। लेकिन प्रवासी हिंदुओं के बसने के आधार पर देखा जाए तो भारत को छोड़कर शीर्ष 6 देशों में बांग्लादेश और पाकिस्तान का नाम भी शामिल है जहां ये लोग जाकर बसे है।

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नागरिकता कानून: विरोध करने वालों, पहले जान तो-लो क्या कहता है ये एक्ट?

एक रिसर्च के मुताबिक, जितनी हिंदू आबादी भारत आती है उससे कहीं ज्यादा यह आबादी देश से बाहर जा रही है। भारत और अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा हिंदुओं की आबादी पड़ोसी देशों बंग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान जैसे देशों में बसी है।

सबसे ज्यादा भारत से बाहर गए हिंदू

अमेरिकी थिंक टैंक PEW के एक आंकड़े के अनुसार, करीब 37 लाख हिंदु आबादी भारत आई है। लेकिन 53 लाख हिंदू आबादी देश से बाहर दूसरी जगहों पर गई, लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि भारत से बाहर जाने वाली ज्यादातर हिंदू आबादी बांग्लादेश, नेपाल या फिर पाकिस्तान गई।

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प्रवासी हिंदुओं के बसने के हिसाब से देखा जाए तो भारत में 3,660,000 लोग बसे, इसके बाद अमेरिका में 1,340,000 तो बांग्लादेश और नेपाल में 750,000-750,000 हिंदू जाकर बसे। इसके बाद सऊदी अरब, यूएई, पाकिस्तान, इंग्लैंड, कनाडा और श्रीलंका का नंबर आता है जहां पर हिंदू बसे हैं।

भारत के हिंदू सबसे ज्यादा दूसरे देशों में जाकर बसते हैं। 53,30,000 भारतीय हिंदू दूसरे देश में जाकर बसे। बांग्लादेश से 27 लाख 60 हजार हिंदु दूसरे देशों में जाकर बसे।

बांग्लादेश के बाद पाकिस्तान का नंबर है जहां से 8 लाख हिंदू दूसरे देश गए। नेपाल में 7 लाख 20 हजार हिंदू अपने देश से निकल कर यहां जाकर बस गए।

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PEW का 10 साल का अध्ययन

अमेरिकी थिंक टैंक का कहना है कि PEW ने 10 साल यानी 2000 से 2010 के बीच हिंदू प्रवासियों पर रिसर्च किया है। वैसे तो, आपको बता दें कि सभी देशों में आबादी से जुड़े आंकड़े समान रूप से मौजूद नहीं हैं। PEW ने सभी आंकड़ों की समय सीमा को एक बराबर पर लाने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ के 2010 के अंदाजे को मिलाकर आंकड़े तैयार किया है।

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