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अब अगर महिला को कहा 'छम्मकछल्लो', तो जा सकते हैं जेल

हिंदी भाषा का शब्द 'छम्मकछल्लो' का इस्तेमाल बॉलिवुड के गाने में काफी लुभावना लग सकता है लेकिन असल जिंदगी में इसका इस्तेमाल करने पर कानूनी परेशानी में फंस सकते हैं। ठाणे की एक अदालत ने कहा है कि इस शब्द का इस्तेमाल करना 'एक महिला का अपमान करने' के बराबर है।

priyankajoshi
Published on: 4 Sep 2017 9:04 AM GMT
अब अगर महिला को कहा छम्मकछल्लो, तो जा सकते हैं जेल
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ठाणे : हिंदी भाषा का शब्द 'छम्मकछल्लो' का इस्तेमाल बॉलिवुड के गाने में काफी लुभावना लग सकता है लेकिन असल जिंदगी में इसका इस्तेमाल करने पर कानूनी परेशानी में फंस सकते हैं। ठाणे की एक अदालत ने कहा है कि इस शब्द का इस्तेमाल करना 'एक महिला का अपमान करने' के बराबर है।

शाहरुख खान की फिल्म 'रॉ वन' के एक हिट गाने में इस शब्द का इस्तेमाल हो चुका है। एक मैजिस्ट्रेट ने पिछले हफ्ते शहर के एक निवासी को 'अदालत के उठने तक' साधारण कैद की सजा सुनाई थी और उसपर एक रुपये का जुर्माना लगाया था। आरोपी के एक पड़ोसी ने उसे अदालत में घसीटा था।

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8 साल पहले का था मामला

पड़ोसी महिला की शिकायत के अनुसार, 9 जनवरी 2009 को जब वह अपने पति के साथ सैर से लौट रही थी, तब उसे एक कूड़ेदान से ठोकर लग गई। महिला ने कहा कि यह कूड़ेदान उक्त आरोपी ने सीढ़ियों पर रखा था। आरोपी इस दंपती पर चिल्लाने लगा और उन्हें कई चीजें कहने के बीच उसने महिला को 'छम्मकछल्लो' कहकर पुकारा। इस शब्द से गुस्साकर महिला ने पुलिस से संपर्क किया लेकिन पुलिस ने शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया। इसके बाद महिला ने अदालत का रुख किया। फिर आठ साल बाद न्यायिक मैजिस्ट्रेट आर टी लंगाले ने उनके मामले को उचित ठहराते हुए कहा कि आरोपी ने भारतीय दंड संहिता की धारा 509(शब्द, इशारे या किसी गतिविधि से महिला का अपमान) के तहत अपराध किया है।

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मैजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में कहा, 'यह एक हिंदी शब्द है। अंग्रेजी में इसके लिए कोई शब्द नहीं है। भारतीय समाज में इस शब्द का अर्थ इसके इस्तेमाल से समझा जाता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल किसी महिला का अपमान करने के लिए किया जाता है। यह किसी की तारीफ करने का शब्द नहीं है, इससे महिला को चिढ़ होती है और उसे गुस्सा आता है।'

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इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

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