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जिन्हें लगता है यूरोप वाले ज्यादा काबिल हैं, उनकी सोच बदल देगा छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य जहां प्रकृति इठलाती है, शर्माती है, मुस्काती है और गीत गाती है। ये बात हम ऐसे ही नहीं कह रहे एक बार आप इस राज्य में कुछ दिन बिता लीजिए इश्क ना हो जाए तो कहिएगा। यही छत्तीसगढ़ अब प्रकृति के संग विकास की नई इबारत उकेरने वाला है।

Anoop Ojha
Published on: 21 Feb 2019 5:33 PM IST
जिन्हें लगता है यूरोप वाले ज्यादा काबिल हैं, उनकी सोच बदल देगा छत्तीसगढ़
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बिलासपुर : छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य जहां प्रकृति इठलाती है, शर्माती है, मुस्काती है और गीत गाती है। ये बात हम ऐसे ही नहीं कह रहे एक बार आप इस राज्य में कुछ दिन बिता लीजिए इश्क ना हो जाए तो कहिएगा। यही छत्तीसगढ़ अब प्रकृति के संग विकास की नई इबारत उकेरने वाला है। जिससे ना सिर्फ नहर का पानी खेतों की प्यास बुझाएगा बल्कि बिजली उत्पादन भी करता चलेगा। ये बिजली गांव-चौबारों को रोशन करेगी। कैसे होगा ये सब ये सवाल कौंध रहा है ना आपके दिमाग में तो हम सिलसिलेवार जवाब देते हैं आपको!

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छोटे टर्बाइन लगाकर बिजली पैदा की जाएगी

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में सूक्ष्म सिंचाई परियोजना के अंतर्गत नहर के पानी का इस्तेमाल खेतों की सिंचाई के साथ ही बिजली उत्पादन में भी होगा। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा होगा कैसे! तो जनाब आपको बता दें, नहर में छोटे टर्बाइन लगाकर बिजली पैदा की जाएगी। इसकी शुरुआत सिंचाई विभाग बिलासपुर के मरवाही क्षेत्र के छपराटोला जलाशय से हो रही है। उस पर टर्बाइन लगाकर बिजली बनाई जाएगी। इस बिजली से आस-पास के गांव की स्ट्रीट लाइट्स जलेंगी।

मजे की बात ये है कि बैराज के पानी को लिफ्ट करने के लिए लगने वाले पंप भी इसी बिजली से चलेंगे। विभाग की मंशा ये है कि ये छोटा प्रयोग सफल रहा तो इसे बड़े पैमाने पर अमल में लाया जाएगा।

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ऑफ सीजन पानी फालतू नहीं बहेगा

आपको बता दें, छपराटोला क्षेत्र ऊंचाई पर है। इसके बाद अरपा नदी में तेज ढलान पड़ती है। ये ऐसी जगह है जहां कम मात्रा में पानी छोड़ने पर भी टर्बाइन को घुमाने लायक फोर्स मिलेगा। सबसे अहम बात यह है कि ऑफ सीजन में भी बैराज से नहर में पानी छोड़े जाने पर पानी फालतू नहीं बहेगा। छपराटोला के नीचे अरपा- भैंसाझार बैराज मौजूद है। टर्बाइन चलाने के लिए छोड़ा गया पानी कुछ किलोमीटर बहने के बाद इस बैराज में जमा होता जाएगा। इसका उपयोग इस जगह से दूसरी फसल के पानी देने या गर्मी के सीजन में तालाबों को भरने के लिए किया जा सकेगा।

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तीन गांवों को रोशन करने की योजना है

ये टर्बाइन प्रतिदिन 7 मेगावाट बिजली पैदा करेगा। इसे छपराटोला और आसपास के तीन गांवों में सप्लाई की जाएगी। खपत के अनुसार तय किया जाएगा कि और गांवों में इसका विस्तार किया जाए या नहीं। इसमें छोटे टर्बाइन से बिजली तो बनेगी और पानी भी बेकार नहीं जाएगा।



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Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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