×

बस्तर में लहलहा रही कैंसर रोधी हल्दी की जैविक फसल

seema
Published on: 1 Jun 2018 12:28 PM IST
बस्तर में लहलहा रही कैंसर रोधी हल्दी की जैविक फसल
X

जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में इन दिनों सैकड़ों आदिवासी महिलाएं आर्गेनिक हल्दी के उत्पादन में जुटी हुई हैं। अन्य क्षेत्रों की तुलना में यहां उत्पादित हल्दी कुछ खास है। इसमें कैंसर रोधी तत्व करकुमिन सामान्य हल्दी के मुकाबले अधिक मात्रा में पाया जाता है। अन्य राज्यों की हल्दी में जहां इस तत्व की मौजूदगी 0.32 फीसदी तक होती है, वहीं बस्तर की हल्दी में इसकी मात्रा 0.73 फीसदी है। इस खूबी के चलते बस्तर की ऑर्गेनिक खेती को बड़ा बाजार मुहैया हो चला है। सरकारी पहल पर जिले के आठ गांवों के करीब 300 परिवारों की 900 महिलाएं हल्दी की खेती कर रही हैं। प्रोसेसिंग व पैकेजिंग के लिए प्रोसेसिंग प्लांट भी तैयार हो रहा है। ऑनलाइन मार्केटिंग की भी तैयारी है। उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. केपी सिंह बताते हैं कि बस्तर की भूमि हल्दी की खेती के लिए बेहद उपयुक्त है।

क्या है करकुमिन

करकुमिन एंटी बैक्टीरियल तत्व है, गंध से इसकी पहचान होती है। बस्तर में उत्पादित हल्दी के वैज्ञानिक परीक्षणों में कैंसर रोधी करकुमिन 0.73 फीसदी पाया गया है जबकि देश के अन्य राज्यों में इसका औसत 0.32 फीसदी है। इसके साथ ही बस्तर की एक किलो कच्ची हल्दी प्रोसेसिंग के बाद 350-400 ग्राम तक पाउडर देती है जबकि देश के अन्य प्रांतों की हल्दी में यह मात्रा अधिकतम 250 ग्राम तक ही है।

यह भी पढ़ें : हाई ब्लड शुगर को करना है नियंत्रित तो खाइये इस फल को, भूल जाएंगे दवाई

2016 में शुरू हुआ था प्रोजेक्ट

बस्तर में ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक मजबूती प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत शासकीय उद्यानिकी महाविद्यालय, जगदलपुर ने वर्ष 2016 में इस प्रोजेक्ट को हाथ में लिया। इसके लिए बस्तर जिले की पीरमेटा और लालागुड़ा पंचायत के छह गांवों और बस्तर ब्लॉक के बड़ेचकवा व दरभा ब्लॉक के सेड़वा गांव को चुना गया। इन गांवों के 300 परिवारों की 900 महिलाओं को 20-20 के समूह में बांटकर करीब 300 एकड़ में हल्दी की खेती शुरू की गई है। इस खेती की खास बात यह है कि खेत में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग न कर इसे पूरी तरह से जैविक रूप दिया गया है। हल्दी की फसल नौ महीने की होती है। जून में इसके कंद को खेतों में लगाया जाता है, जो फरवरी में तैयार हो जाता है। हल्दी की खेती, प्रोसेसिंग व मार्केटिंग में पूरी तरह से समूह की महिलाओं को ही जो?ा गया है। उद्यानिकी महाविद्यालय जगदलपुर में 45 लाख रुपये की लागत से प्रोसेसिंग प्लांट की स्थापना का काम चल रहा है।

seema

seema

सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

Next Story