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मोदी की पिच पर जीतना मुश्किल, उम्मीदवारों के बाद साफ होगी तस्वीर

Newstrack
Published on: 28 Oct 2017 1:45 PM IST
मोदी की पिच पर जीतना मुश्किल, उम्मीदवारों के बाद साफ होगी तस्वीर
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अहमदाबाद/शिमला: गुजरात की खुफिया एजेंसियों ने प्रधानमंत्री मोदी को सीटों के अनुमान के जो आंकड़े मुहैया कराए हैं वह 70 के आसपास हैं, लेकिन यह आंकड़ा इसलिए सही नहीं कहा जा सकता क्योंकि गुजरात के महाभारत में अभी योद्धाओं के नाम ही स्पष्ट नहीं हैं। किसी चुनाव में उम्मीदवार सबसे महत्वपूर्ण होता है। यह भारतीय जनता पार्टी की सफलता है कि इस बार गुजरात चुनाव सॉफ्ट हिंदुत्व बनाम हार्ड हिंदुत्व पर हो रहा है। जबकि नरेंद्र मोदी की पिच पर कोई भी खेलने आता है तो उसका जीतकर जाना मुश्किल होता है।

मौत का सौदागर, सर क्रीक और सुल्तान अहमद सरीखे मुद्दों को अपने पक्ष में कैश कराने की दक्षता नरेंद्र मोदी बीते विधानसभा चुनावों में जगजाहिर कर चुके हैं। बीजेपी के पक्ष में यह भी जाता है कि पटेलों को आरक्षण नहीं देने की वजह से ओबीसी उसके साथ हैं। अल्पेश ठाकोर ने पटेलों के आरक्षण का विरोध किया था। इसलिए हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर एक मंच पर रहें और फायदा भी उठा लें, यह संभव नहीं लगता। गौरतलब है कि गुजरात में दलितों की संख्या 7 फीसदी, पटेल 16 फीसदी और राजपूत 9 फीसदी हैं।

कांग्रेस को उम्मीदें

जीएसटी को लेकर व्यापारियों की नाराजगी दूर करने की दिशा में सरकार कदम उठा चुकी है। कांग्रेस के लिए यह चुनाव बेहद उम्मीदों भरा है। राहुल गांधी की सोशल मीडिया टीम पहली बार अच्छा काम कर रही है। राहुल हर छोटे बड़े मंदिर में दर्शन कर रहे हैं। सुरेंद्रनगर जिले के चोटिला मंदिर की 350 सीढिय़ों के जरिए उसकी चोटी पर बहुत तेजी से चढऩे वाला राहुल गांधी का वीडियो काफी वायरल हो रहा है। इस जिले की पांच में से 4 सीटों पर भाजपा का कब्जा है। ‘विकास पागल हो गया’ के जरिए भी भाजपा के विकास के दावों की खिंचाई जारी है। पहली बार अहमद पटेल नेपथ्य में हैं। वैसे भी अहमद पटेल और राहुल गांधी के रिश्ते अच्छे नहीं कहे जाते हैं।

कांग्रेस गुजरात में तुष्टीकरण से बच रही है। शंकर सिंह वाघेला के निकल जाने से अंदरूनी खींचतान से भी कांग्रेस को मुक्ति मिल गयी है, लेकिन उसके पास मुख्यमंत्री का कोई चेहरा नहीं है। जिन तीन युवा नेताओं पर वह भरोसा कर रही है उनकी राजनीतिक शक्ति का परीक्षण कभी नहीं हुआ है। जबकि भाजपा के पास नरेंद्र मोदी, अमित शाह, विजय रूपाणी, नितिन पटेल सरीखे चेहरे हैं। भाजपा के पास तीन चुनावों में कसौटी पर कसे जा चुके कार्यकर्ता और नेता हैं।

राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के जिन 15 विधायकों अपने पाले में खड़ा कर लिया है उनमें सात ऐसे हैं जिनको जीतने के लिए किसी दल और किसी सिंबल की दरकार नहीं है। ये विधायक भी भाजपा को मजबूत बनाते हैं क्योंकि कांग्रेस इन जगहों पर भाजपा के लोगों में सेंधमारी नहीं कर पाई है। उत्तर प्रदेश भी गुजरात चुनाव में भाजपा को शक्ति देगा। अयोध्या की दीपावली, नगर निकाय चुनाव में भाजपा की मजबूती और गोंड़ा से गए स्वामी नारायण संप्रदाय का अक्षरधाम।

गोंडा में होने वाले छपिया महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए गुजरात से भी काफी संख्या में लोग गोंडा पहुंच रहे हैं। इस महोत्सव को भाजपा कितना महत्व दे रही है यह इसी से समझा जा सकता है कि इसमें केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, सीएम योगी आदित्यनाथ सहित मंत्रियों की पूरी फौज हिस्सा लेगी। माना जा रहा है कि इस महोत्सव के जरिये भाजपा गुजरात को साधने की कोशिश करेगी।गुजरात का रिश्ता उत्तराखंड के बद्रीनाथ से भी है जहां से मोदी अभी होकर आए हैं। जिस तरह मोदी के करीब तीन दिन के बनारस प्रवास ने उत्तर प्रदेश के अंतिम चरण के चुनाव में सारे समीकरण बदल कर रख दिए थे उसी तरह उनकी पार्टी को उम्मीद है कि मोदी के गुजरात आते ही सबकुछ बदल जाएगा। गुजरात में लेहुआ और कड़वा दो तरह के पटेल हैं जो एक साथ एक पार्टी को मत नहीं देते। हालांकि हार्दिक पटेल के अभियान में दोनों एक साथ थे। यह सच है कि गुजरात में नरेंद्र मोदी का 125 का आंकड़ा दोहराया नहीं जा सकता है पर कांग्रेस की उम्मीद का जगना भी लाजमी है क्योंकि उसे सीटों में अच्छा इजाफा दिख रहा है।



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