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Himachal Congress: कांग्रेस में हुई बगावत में कैप्टन अमरिंदर का हाथ, शाही परिवार के साथ मिलकर किया खेला
Himachal Congress Crisis: कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ही वीरभद्र सिंह के परिवार के जरिए कांग्रेस में सेंध लगाने में कामयाबी हासिल की।
Himachal Congress Crisis: हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस की हार ने राज्य की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के लिए बड़ा संकट पैदा कर दिया है। इस चुनाव के दौरान कांग्रेस के 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग करते हुए भाजपा प्रत्याशी को जीत दिला दी। अब विधानसभा के स्पीकर ने इन सभी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है। हिमाचल कांग्रेस में हुई इस बगावत में अब चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।
जानकारी सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने इस ऑपरेशन में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को लगाया था। कैप्टन अमरिंदर सिंह का हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के परिवार के साथ करीबी रिश्ता है और इस कारण कैप्टन अमरिंदर सिंह हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में बड़ा खेला करने में कामयाब रहे। भाजपा ने इस खेल की बिसात तो काफी पहले से बिछा रखी थी जिसके कारण उत्तर भारत में कांग्रेस की एकमात्र सरकार संकट में फंसी हुई दिख रही है।
वीरभद्र के परिवार से कैप्टन का नजदीकी रिश्ता
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पांच बेटियों में से एक बेटी का विवाह कैप्टन अमरिंदर सिंह के नाती से हुआ है। वीरभद्र सिंह की बेटी अपराजिता की शादी कैप्टन की बेटी जय इंदर कौर के बेटे अंगद सिंह के साथ हुई है। दोनों राजघराने के बीच रिश्तों की इस मजबूत डोर के कारण ही कैप्टन अमरिंदर सिंह को हिमाचल प्रदेश में ऑपरेशन की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
जानकार सूत्रों का कहना है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ही वीरभद्र सिंह के परिवार के जरिए कांग्रेस में सेंध लगाने में कामयाबी हासिल की। मजे की बात यह है कि राज्यसभा चुनाव के दौरान बागी तेवर दिखाने वाले 6 कांग्रेस विधायक वीरभद्र कैंप से ही जुड़े माने जा रहे हैं।
इन कांग्रेस विधायकों से कैप्टन अमरिंदर सिंह ने संपर्क साधा था। बाद में इन विधायकों ने राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग की जिसकी वजह से भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को हराने में कामयाब रहे।
विधायकों में खत्म नहीं हुई है नाराजगी
राज्यसभा चुनाव के नतीजे की घोषणा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा देते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। हालांकि इसके बाद कांग्रेस हाईकमान भी संकट सुलझाने की कोशिश में जुट गया। शिमला पहुंचे कांग्रेस के पर्यवेक्षकों डीके शिवकुमार और भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विक्रमादित्य सिंह के साथ ही कांग्रेस के अन्य सभी विधायकों से चर्चा की है। इस चर्चा के बाद कांग्रेस की ओर से संकट टलने की बात कही जा रही है। हालांकि अभी भी कई कांग्रेस विधायकों की भीतर ही भीतर नाराजगी बनी हुई है।
कांग्रेस में इसलिए भड़का असंतोष
हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर वीरभद्र सिंह के परिवार की नजर थी मगर कांग्रेस हाईकमान ने मुख्यमंत्री पद की कमान सुखविंदर सिंह सुक्खू के हाथों में सौंप दी थी। इसके बाद से ही वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह और उनकी मां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह नाराज बताई जा रही थीं।
जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा को वीरभद्र सिंह के परिजनों की इस नाराजगी के संबंध में बखूबी जानकारी थी और इस कारण ही कैप्टन अमरिंदर सिंह को हिमाचल प्रदेश के इस ऑपरेशन में लगाया गया था।
कैप्टन अपने इस ऑपरेशन को बखूबी अंजाम देने में कामयाब रहे हैं। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस की ओर से भले ही संकट टलने का दावा किया जा रहा हो मगर अभी भी सुक्खू सरकार पर संकट टला नहीं है। आने वाले दिनों में भी हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में सियासी उठापटक जारी रहेगी और भाजपा इस मौके को भुना सकती है।