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Captain Anshuman Singh : 'जो मेरे साथ हुआ, वो किसी के साथ न हो', जानिए शहीद कैप्टन अंशुमान के माता-पिता ने क्यों कही ये बात?

Captain Anshuman Singh : जम्मू-कश्मीर के सियाचिन में बीते साल 19 जुलाई को अपनी जान की परवाह किए बगैर अपने साथियों को आग से बचाने के लिए बंकर में कूद गए थे। अपने तीन साथियों को बाहर निकालने में कामयाब हो गए, लेकिन वह बुरी तरह से आग से झुलस गए थे।

Rajnish Verma
Published on: 11 July 2024 9:03 PM IST (Updated on: 11 July 2024 9:07 PM IST)
Captain Anshuman Singh :  जो मेरे साथ हुआ, वो किसी के साथ न हो, जानिए शहीद कैप्टन अंशुमान के माता-पिता ने क्यों कही ये बात?
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Captain Anshuman Singh : जम्मू-कश्मीर के सियाचिन में बीते साल 19 जुलाई को अपनी जान की परवाह किए बगैर अपने साथियों को आग से बचाने के लिए बंकर में कूद गए थे। अपने तीन साथियों को बाहर निकालने में कामयाब हो गए, लेकिन वह बुरी तरह से झुलस गए थे। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं सका। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया। इसी माह बीते छह जुलाई को राष्ट्रपति ने शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति और मां मंजू सिंह को ये सम्मान सौंपा। इस दौरान सभी की आंखें नम हो गईं। वहीं, कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता का दर्द भी छलका है, उन्होंने एनओके (NOK) पर सवाल उठाया है।

शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता रवि प्रताप सिंह और माता मंजू सिंह ने मीडिया से बातचीत में एनओके पर सवाल उठाया है। उन्होंने एनओके (Next to Kin) यानी निकटतम परिजन को लेकर कहा कि इसे लेकर जो भी मापदंड हैं, वह ठीक नहीं हैं। इसमें बदलाव की जरूरत है, क्योंकि जो हमारे साथ हुआ है, वह आगे किसी के साथ न हो। उन्होंने कहा कि एनओके को लेकर वह रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को अवगत करा चुके हैं। इसे लेकर राहुल गांधी से भी मिले थे। राहुल गांधी ने उन्हें आश्वासन दिया था कि वह इस मुद्दे पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से बात करेंगे।

एनओके की परिभाषा तय होनी चाहिए

उन्होंने आगे कहा कि बेटा अंशुमान शहीद हो गया है और अंशुमान की पत्नी अब हमारे साथ नहीं रहती है, क्या कारण है, ये कभी नहीं बताया। उन्होंने कहा कि शादी को सिर्फ पांच माह ही हुए थे, कोई बच्चा भी नहीं है। उन्होंने कहा कि अब उनके पास बेटे की सिर्फ तस्वीर है, जिस पर माला लटकी हुई है। इसलिए हम चाहते हैं कि एनओके की परिभाषा तय हो। उन्होंने कहा कि यह तय होना चाहिए कि शहीद की पत्नी परिवार में रहेगी तो किसकी कितनी डिपेंडेंसी है। बता दें कि अंशुमान की पत्नी स्मृति सिंह पेशे से इंजीनियर है। वह नोएडा में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती है।

क्या है एनओके?

बता दें कि एनओके ( Next To Kin) यानी निकटतम परिजन। सरकारी नौकरी या किसी सेवा में एनओके वैसे ही होता है, जैसे बैंक में नॉमिनी। जब भी कोई किसी सेवा में जाता है तो सबसे पहले उससे उत्तराधिकारी की डिटेल मांगी जाती है। यदि कोई व्यक्ति शादी शुदा है, तो उसकी पत्नी यानी जीवनशादी का एनओके के तौर पर नाम दर्ज होता है। यदि शादी नहीं हुई है तो उसके माता-पिता या अभिभावक का नाम दर्ज किया जाता है। इसे कानूनी उत्तराधिकारी भी कह सकते हैं।

एनओके क्यों जरूरी?

आर्मी की सेवा में जब कोई जाता है तो उसके माता-पिता और अभिभावक का नाम एनओके के रूप में दर्ज होता है, लेकिन शादी होने के बाद विवाह और यूनिट भाग II के आदेशों के अनुसार, उसके माता-पिता की जगह जीवनसाथी का नाम दर्ज कर दिया जाता है। आर्मी में प्रशिक्षण या सेवा के दौरान अगर कोई आपात स्थिति आती है तो संबंधित यूनिट सबसे पहले एनओके को सूचित करती है। इसके साथ ही यदि कोई अनहोनी होती है तो मिलने वाला सम्मान और देय राशि निकटतम परिजन यानी जीवनसाथी को दी जाती है।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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