‘सेना दिवस पर पैदा हुआ था, सेना के लिए समर्पित हो गया', शहीद कैप्टन बृजेश थापा की मां नम आंखों से बोलीं

Doda Encounter: शहीद के पिता ने कहा कि कैप्टन बृजेश थापा का अंतिम संस्कार हम अपने पैतृक गांव में करेंगे, क्योंकि गांव वाले इंतजार कर रहे हैं।

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Published on: 16 July 2024 11:45 AM GMT (Updated on: 16 July 2024 11:48 AM GMT)
Doda Encounter
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Doda Encounter (सोशल मीडिया) 

Doda Encounter: जम्मू-कश्मीर के डोडा में बीती रात भारतीय सेना और आतंकवादियों से मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़म में सेना के चार जवान शहीद हुए, जिसमें कैप्टन बृजेश थापा, नायक डी. राजेश, सिपाही बिजेंद्र और अजय शामिल हैं। 26 वर्षीय सेना अधिकारी बृजेश थापा की जैसे ही शहादत की खबर परिवार वालों को मिली तो दुख का पहाड़ तोड़ गया। दार्जिलिंग की पहाड़ियों में शोक की लहर दौड़ी पड़ी है। वह दार्जिलिंग के बड़ा गिंग बाजार के रहने वाले थे। शहीद थापा के पिता खुद कर्नल रैंक से रिटायर हुए। उनकी तीन पीढ़ियां सेना में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं, थापा तीसरी पीढ़ी के थे और सेना में अधिकारी के रूप में ज्वाइन हुए थे।

सेना पंसद करता था, सेना ही उसका गर्व था

बृजेश थापा की शहादत से परिवार से सबसे बुरा हाल उनकी मां निलिमा थापा का है। एक ओर उनका सीना गर्व से ऊंचा होता है कि बेटा देश के लिए शहीद हुआ, दूसरी ओर अपने बेटे को खोने से आंख से आंसू निकल आ रहे हैं। यह आंसू बहती गंगा की धार की तरह खत्म होने का नाम नहीं ले रहे। शहीद थापा का पार्थिव शरीर सेना बुधवार को परिवार वालों को सौंपेगी। शहीद की मां अपने बेटे के खोने का दर्द बंया करते हुए कहा कि वह सेना को पसंद करता था। सेना में होना उसको का गर्व था। उसके पापा ने कहा था कि नेवी में चला, लेकिन वह आर्मी को ज्वाइन करना चाहता था और वही किया।

मेरा बेटा है तो क्या हुआ...

निलिमा थापा ने कहा कि मेरे बेटा का जन्म 15 जनवरी को हुआ था। इस दिन को ही सेना दिवस मनाया जाता है। 15 जनवरी को ही मेरा बेटा आर्मी की ड्यूटी करते हुए देश के लिए समर्पित हो गया। बेटे की साथ हुई आखिरी मुलाकात को याद करते हुए रोते हुए निलिमा थापा ने कहा कि बृजेश मार्च में घर आया था। इसी महीने आने वाला था. वह हमेशा खुश रहता था। रविवार को उससे अंतिम बार बात हुई थी सरकार हमेशा कोशिश करती है कि आतंकवाद को रोके। जवान तो कभी डरते नहीं हैं। ठीक है... ये उनकी ड्यूटी का हिस्सा है। 26 साल का था मेरा बेटा। देश के लिए हमेशा कुछ करना चाहता था। मेरा बेटा था तो क्या हुआ, किसी को जाना तो पड़ेगा सीमा पर वरना कौन लड़ेगा देश दुश्मनों से।

रविवार को हुई थी आखिरी बात

बृजेश थापा के पिता कर्नल भुवनेश कुमार थापा ने कहा कि आखिरी बार मेरी बात रविवार को रात 9:30 बजे हुई थी। एक दिन पहले वह पहाड़ से आर्मी बेस पर आया था, क्योंकि बारिश थी वहां बहुत। बोल रहा था कि आज रात फिर 7 घंटे की चढ़ाई करके ऊपर जाना है, आदेश आया है कि कुछ काम है, क्योंकि वहां रोड नहीं है। पार्टी लेकर उसे जंगल के रास्ते ऊपर जाना था। उन्होंनें कहा कि बृजेश हमेशा कहता था कि मैं आप जैसा ही बनूंगा। जब मैं फौज में था तो गाड़ी में आगे बैठता था और वह पीछे बोलता था किसी दिन मैं भी अफसर बनूंगा और आर्मी की गाड़ी में आगे की सीट पर बैठूंगा।

पैतृक गांव में होगा शहीद का अंतिम संस्कार

शहीद के पिता ने कहा कि कैप्टन बृजेश थापा का अंतिम संस्कार हम अपने पैतृक गांव में करेंगे, क्योंकि गांव वाले इंतजार कर रहे हैं। बढ़ी रही आतंकी घटनाओं उन्होंने कहा कि आतंकी को ढूंढ पाना मुश्किल है। मैं भी फौज में रहा हूं, जंगल में ऑपरेट करना आसान नहीं होता है। कैप्टन बृजेश थापा के चाचा योगेश थापा ने अपने भतीजे को याद करते हुए कहा, 'हम उसके शव के आने का इंतजार कर रहे हैं, जिसके बाद हम दार्जिलिंग जाएंगे. उसके माता-पिता दार्जिलिंग में रहते हैं। यह कहना आसान है कि उन्होंने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया, लेकिन एक परिवार के रूप में हमें जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कभी नहीं की जा सकती।

Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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