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Captain Vikram Batra: कारगिल का हीरो कैप्टेन विक्रम बत्रा, जिन्होंने कहा था 'ये दिल मांगे मोर'

Captain Vikram Batra:

Krishna Chaudhary
Published on: 26 July 2022 2:47 PM GMT
Captain Vikram Batra Kargil Hero
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Captain Vikram Batra Kargil Hero (Image: Newstrack)

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Captain Vikram Batra: 26 जुलाई एक ऐसी तारीख है जिस दिन हर भारतीय का सीना फख्र से चौड़ा हो जाता है। आज से 23 साल पहले इसी दिन भारतीय सेना के वीर जवानों ने अपने शौर्य और पराक्रम को दिखाते हुए पाकिस्तान सेना के नापाक मंसूबों को कुचल दिया था। 26 जुलाई 1999 ही वह दिन था, जब भारतीय सेना ने कारगिल को पाकिस्तानी घुसपैठियों से मुक्त कराकर वहां तिरंगा झंडा लहराया था और ऑपरेशन विजय के सफल होने की घोषणा की थी। इस साल हम इस ऐतिहासिक विजय की 23वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।

ऐसे में इस मौके पर देश के उस वीर सपूत का जिक्र करना जरूरी है, जो युद्ध के मैदान में देश के लिए बहादुरी से लड़ते हुए शहीद हो गए। जी हां हम बात कर रहे हैं परमवीर चक्र विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा कि जिनके बलिदान की कहानी के बगैर कारगिल के जंग का किस्सा अधूरा है।

कॉलेज छोड़कर सेना में हुए थे शामिल

9 दिसंबर 1974 को एक शिक्षक के परिवार में जन्म लेने वाले विक्रम बत्रा में फौज के प्रति दीवानगी बचपन के दिनों से ही थी। वह फौज की वर्दी से काफी आकर्षित हुआ करते थे। उनके इसी आकर्षण ने आखिकार उन्हें भारतीय सेना में खींच ही लिया। बत्रा ने सेना में जाने के लिए 1996 में सीडीएस की परीक्षा दी और चयनित हो गए। वह इस परीक्षा में चयनित होने वाले शीर्ष 35 उम्मीदवारों में से एक थे। सेना में शामिल होने के लिए उन्होंने कॉलेज को बीच में ही छोड़ दिया।

कश्मीर में मिली पहली नियुक्ति

दिसंबर 1997 में प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद 6 दिसंबर 1997 को कैप्टन विक्रम बत्रा जम्मू कश्मीर रायफल्स की 13वीं बटालियन में बतौर लेफ्टिनेंट शामिल हुए। बत्रा की मंगेतर और दोस्त डिंपल चीमा ने बताया कि कारगिल युद्ध में शहादत से पहले कैप्टन विक्रम बत्रा ने कहा था कि या तो मैं लहराते तिरंगा को लहरा कर आऊंगा या फिर तिरंगे में लिपटा हुआ आऊंगा, लेकिन मैं आऊंगा जरूर। उन्होंने कारगिल युद्ध में जम्मू कश्मीर रायफल्स की 13वीं बटालियन का नेतृत्व किया था।

ये दिल मांगे मोर

कारगिल युद्ध के दौरान 20 जून 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा को 5140 चोटी को कब्जे में लेने का ऑर्डर मिला था। ये एक मुश्किल टास्क था क्योंकि चोटी के ऊपर पाकिस्तानी सैनिक मशीन गन लेकर बैठे हुए थे और ऊपर से उनके लिए निशाना लगाना आसान था। लेकिन बत्रा अपने पांच साथियों के साथ मिशन पर निकल गए, इस दौरान ऊपर से पाकिस्तानी सेना द्वारा जबरदस्त गोलीबारी की जा रही थी। मगर वह इससे घबराए नहीं उन्होंने अपनी वीरता और सूझबूझ के बदौलत एक – एक कर दुश्मनों को खत्म कर चोटी को अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद उन्होंने जीत का कोड बोला – ये दिल मांगे मोर। इस मिशन के दौरान कमाडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल वाय.के. जोशी ने विक्रम को शेरशाह का कोडनेम दिया था।

शेरशाह की शहादत

भारतीय सेना ने 7 जुलाई 1999 को प्वाइंट 4875 चोटी को दुश्मनों के चंगुल से मुक्त करने के लिए एकबार कैप्टन विक्रम बत्रा को चुना। उनके नेतृत्व में जवानों की एक टुकड़ी मिशन को अंजाम देने के लिए निकली। चोटी के कब्जे को लेकर दोनों पक्षों के बीच आमने – सामने के बीच भयंकर लड़ाई हुई। बत्रा ने खुद पांच पाकिस्तानी जवानों को मार गिराया था। उनकी मौजूदगी ने पाकिस्तानी कैंप में खलबली मचा दी थी। इस दौरान वे दुश्मन के स्नाइपर का निशाना बन गए और गंभीर रुप से जख्मी हो गए। हालांकि, तब भी उन्होंने लड़ाई जारी रखी, उनके आखिरी शब्द थे जय माता दी। उनके शहादत के बाद इस चोटी का नाम बत्रा टॉप कर दिया गया।

परमवीर चक्र से सम्मानित

भारत माता के इस वीर सपूत को सरकार ने सबसे प्रतिष्ठित पुरस्तार परमवीर चक्र से सम्मानित किया। कारगिल जंग के बाद से विक्रम बत्रा को कारगिल का शेर बुलाया जाने लगा था। हाल ही में उनके जीवन पर एक बॉलीवुड फिल्म बनी थी, जिसमें कैप्टन विक्रम बत्रा का किरदार निभाया था अभिनेता सिद्धार्थ मल्होत्रा ने और उनकी मंगेतर का किरदार निभाया था अभिनेत्री कियारा आडवाणी ने। फिल्म को दर्शकों ने काफी पसंद किया था।

Rakesh Mishra

Rakesh Mishra

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