#Budget 2017: राजनीतिक पार्टियों पर चला मोदी सरकार का डंडा, नहीं ले सकेंगे 2 हजार से ज्‍यादा चंदा

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By aman
Published on: 1 Feb 2017 9:34 AM GMT
#Budget 2017: राजनीतिक पार्टियों पर चला मोदी सरकार का डंडा, नहीं ले सकेंगे 2 हजार से ज्‍यादा चंदा
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नई दिल्ली: अब देश में कोई भी राजनीतिक दल दो हजार रुपए से अधिक नकद चंदा नहीं ले सकेगा। बुधवार (1 फरवरी) को वर्ष 2017-18 का आम बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इसका प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव के अनुसार अब राजनीतिक दल 2000 रुपए से ऊपर का चंदा चेक या डिजिटल ट्रांजेक्शन से ही ले सकेंगे।

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को संसद में आम बजट पेश किया। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। इनमें चुनावी चंदे को लेकर उन्होंने महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किया। वित्तमंत्री ने बताया कि आजादी के 70 सालों के बाद भी राजनीतिक दलों की फंडिंग पारदर्शी नहीं है। इसीलिए इसे पारदर्शी बनाने के लिए अब राजनीतिक दलों को मिलने वाला चंदा 2000 रुपए तक ही कैश में दिया जा सकता है। 2000 रुपए से ऊपर का चंदा या तो चेक में या डिजिटल ट्रांजेक्शन के जरिए ही दिए जायेंगे।

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मोदी सरकार की कोशिश है कि चंदों के इस तरह लेन-देन से पारदर्शिता आएगी। साथ ही पार्टी फंडिंग में पारदर्शिता पर सरकार की ओर से टैक्स में छूट दी जाएगी।

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बढ़ेंगे मोदी सरकार के दुश्मन

राजनीतिक दलों के चंदे की सीमा तय कर नरेंद्र मोदी की सरकार ने अपने दुश्मनों की संख्या बढ़ा ली है। मायावती की बसपा समेत कुछ दल तो ऐसे हैं जिनको पूरा चंदा अज्ञात श्रोतों से मिला करता है। नोटबंदी के मोदी सरकार के फैसले की राजनीतिक कारणों से कांग्रेस समेत कुछ दल भले ही आलोचना करें, लेकिन अर्थशास्त्री ये मान रहे हैं कि इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।

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पार्टी चंदा भ्रष्टाचार का बड़ा कारण

गौरतलब है कि राजनीतिक दलों को मिलने वाला चंदा भ्रष्टाचार का बड़ा कारण है। बडे औद्योगिक घराने राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में अच्छी खासी रकम दिया करते हैं। कानूनन राजनीतिक दलों को इसका श्रोत बताना अनिवार्य नहीं होता, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा।

भ्रष्टाचार पर चोट अभी भी बाकी

चंदे में नगद की समय सीमा तय कर मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि भ्रष्टाचार पर चोट अभी भी बाकी है। जाहिर है कि सरकार के इस फैसले से राजनीतिक दल या नेता खुश नहीं होंगे। यहां तक कि बीजेपी के नेता भी। राजनीतिक चंदा तो निजी आय का भी साधन हुआ करता है ।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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