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Arvind Kejriwal Bail: CBI ने केजरीवाल की गिरफ्तारी सिर्फ ED केस में जमानत को फेल करने के लिए की: जस्टिस भुइयां

Arvind Kejriwal Bail: सीबीआई मामले में केजरीवाल को जमानत देने वाले अपने अलग, सहमत फैसले में न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा - "...सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी से जवाब से ज्यादा सवाल उठते हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 13 Sept 2024 12:20 PM IST (Updated on: 13 Sept 2024 12:26 PM IST)
Arvind Kejriwal Bail
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Arvind Kejriwal Bail: सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने कहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा गिरफ्तारी सिर्फ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मामले में उन्हें दी गई जमानत को विफल करने के लिए थी।

टाइमिंग पर सवाल

सीबीआई मामले में केजरीवाल को जमानत देने वाले अपने अलग, सहमत फैसले में न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा - "...सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी से जवाब से ज्यादा सवाल उठते हैं। सीबीआई ने तब उन्हें गिरफ्तार करने की जरूरत महसूस नहीं की जब मार्च 2023 में उनसे पूछताछ की गई थी और यह गिरफ्तारी तब हुई जब उनकी ईडी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई। बाद में सीबीआई सक्रिय हो गई और उसने केजरीवाल की हिरासत मांगी और इस तरह 22 महीने से अधिक समय तक गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं थी। सीबीआई द्वारा की गई इस तरह की कार्रवाई गिरफ्तारी के टाइमिंग पर गंभीर सवाल उठाती है और सीबीआई द्वारा की गई इस तरह की गिरफ्तारी केवल ईडी मामले में दी गई जमानत को विफल करने के लिए थी।"

पिंजरे में बंद तोता

न्यायाधीश भुइयां ने आगे कहा कि सीबीआई को इस धारणा को दूर करना चाहिए कि वह केंद्र सरकार का "पिंजरे में बंद तोता" है। उन्होंने कहा - सीबीआई को निष्पक्ष दिखना चाहिए और हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए ताकि गिरफ्तारी मनमानी तरीके से न हो। एक देश में, धारणा मायने रखती है और सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता होने की धारणा को दूर करना चाहिए और दिखाना चाहिए कि वह पिंजरे से बाहर का तोता है। सीबीआई को सीज़र की पत्नी की तरह होना चाहिए - संदेह से परे।"

सुप्रीम कोर्ट की पीठ में शामिल न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सीबीआई की गिरफ्तारी की वैधता को बरकरार रखा, जबकि न्यायमूर्ति भुयान ने असहमति जताई। न्यायाधीश ने सीबीआई के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू द्वारा दिए गए तर्कों पर चर्चा की कि केजरीवाल को जमानत के लिए पहले ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा। उन्होंने कहा, "ऐसी दलील स्वीकार नहीं की जा सकती और जब केजरीवाल को ईडी मामले में जमानत मिल चुकी है। इस मामले में आगे हिरासत में रखना पूरी तरह से अस्वीकार्य है। जमानत न्यायशास्त्र विकसित न्यायशास्त्रीय प्रणाली का एक पहलू है। इसलिए जमानत नियम है और जेल अपवाद है। मुकदमे की प्रक्रिया या गिरफ्तारी की ओर ले जाने वाले कदम उत्पीड़न नहीं बनने चाहिए। इसलिए सीबीआई की गिरफ्तारी अनुचित है और इसलिए अपीलकर्ता (केजरीवाल) को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।"

न्यायाधीश ने दोहराया कि जांच में सहयोग करने का मतलब यह नहीं है कि आरोपी को अभियोजन पक्ष की इच्छा के अनुसार सवालों का जवाब देना होगा। "जब केजरीवाल ईडी मामले में जमानत पर हैं तो उन्हें जेल में रखना न्याय का मजाक होगा। गिरफ्तारी की शक्ति का इस्तेमाल संयम से किया जाना चाहिए...कानून का इस्तेमाल लक्षित उत्पीड़न के लिए नहीं किया जा सकता।" न्यायमूर्ति भुइयां ने केजरीवाल को दिल्ली सचिवालय में प्रवेश करने और फाइलों पर हस्ताक्षर करने से रोकने वाली सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले निर्धारित शर्तों पर अपनी आपत्ति व्यक्त की। उन्होंने कहा, "मुझे उन शर्तों पर गंभीर आपत्ति है, जो केजरीवाल को सचिवालय में प्रवेश करने या फाइलों पर हस्ताक्षर करने से रोकती हैं, लेकिन मैं न्यायिक संयम के कारण कोई टिप्पणी नहीं कर रहा हूं, जैसा कि एक अन्य ईडी मामले में था।"



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Shalini singh

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