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Census 2021: जनगणना फिर टली, कब होगी कुछ तय नहीं

Census: 2021 में होने वाली जनगणना अब शायद 2023-24 में होगी। भारत के रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय ने प्रशासनिक सीमाओं को फ्रीज करने की समय सीमा 31 दिसंबर, 2022 तक बढ़ा दी है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 15 Jun 2022 6:48 PM IST
Census postponed again, when will nothing be decided
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कब होगी जनगणना: Photo - Social Media 

Census: 2021 में होने वाली जनगणना (Census) अब शायद 2023-24 में होगी। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे गए एक पत्र में। भारत के रजिस्ट्रार जनरल (आरजीआई) के कार्यालय ने प्रशासनिक सीमाओं को फ्रीज करने की समय सीमा 31 दिसंबर, 2022 तक बढ़ा दी है। चूंकि प्रशासनिक सीमाएं फ्रीज करने के कुछ महीने बाद ही जनगणना शुरू हो सकती है, इसलिए 2022 में जनगणना की संभावना नहीं (Census) है। साथ ही, जनगणना की कवायद हाउस-लिस्टिंग (house-listing) से पहले की जाएगी। इससे पहले, क्षेत्राधिकार में बदलाव की समय सीमा 30 जून रखी गई थी।

इस साल मार्च में सरकार ने जनगणना के नियमों में कुछ संशोधनों को अधिसूचित किया था ताकि नागरिकों को जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में खुद की गणना करने की अनुमति मिल सके। इससे ये अटकलों लगाई गईं थीं कि जनगणना का हाउस लिस्टिंग चरण इस वर्ष ही शुरू हो सकता है।

कोरोना महामारी का हवाला

राज्यों को भेजे गए पत्र में आरजीआई ने समय सीमा बढ़ाने की वजह के लिए कोरोना महामारी (corona pandemic) का हवाला दिया है। पत्र में कहा गया है कि कोरोना महामारी के कारण मौजूदा परिस्थितियों, इसके फैलने की संभावना बढ़ने का खतरा और देश में कोरोना टीकाकरण अभियान को तेज करने में राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों की व्यस्तता और भागीदारी, के चलते जनगणना के काम संभव नहीं होंगे। इसके अलावा, आगामी जनगणना के संचालन की समय अवधि अभी तय नहीं की गई है।

जनगणना नियम, 1990 के नियम 8(4) के अनुसार, प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं को जनगणना आयुक्त द्वारा सूचित तिथि से फ्रीज कर दिया जाएगा। ये तिथि जनगणना से एक वर्ष से पहले की नहीं होगी।

सीमाओं को फ्रीज करने की तारीख को 31 दिसंबर, 2022 तक बढ़ाने का निर्णय

पत्र में कहा गया है कि अब सक्षम प्राधिकारी द्वारा सीमाओं को फ्रीज करने की तारीख को 31 दिसंबर, 2022 तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। प्रत्येक जनगणना से पहले अधिसूचित जिलों, गांवों, कस्बों और अन्य प्रशासनिक इकाइयों जैसे तहसील, तालुका और पुलिस स्टेशनों की संख्या में बदलाव के बारे में राज्यो द्वारा रजिस्ट्रार जनरल को जानकारी देना होता है।

2021 की जनगणना के लिए, आरजीआई ने पहली बार 22 दिसंबर, 2017 को एक क्षेत्राधिकार परिवर्तन नोटिस जारी किया था। इसके बाद राज्यों को 31 जनवरी, 2020 तक परिवर्तनों को अपडेट करने के लिए कहा गया था। इसमें जनगणना के प्रयोजन के लिए 31 दिसंबर, 2019 को प्रशासनिक सीमाओं को फ्रीज करने की समय सीमा तय की गई थी।

जनगणना 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 आयोजित होने वाला था

जनगणना का हाउस-लिस्टिंग चरण तब 1 अप्रैल, 2020 से 30 सितंबर, 2020 तक आयोजित होने वाला था। इस अवधि के दौरान आरजीआई को राष्ट्रीय नागरिक पंजी या एनपीआर के लिए गणना का संचालन करना था। बता दें कि एनपीआर और एनआरसी दोनों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के मद्देनजर बहुत विवाद पैदा किया है। कई राज्यों ने खुले तौर पर उनका विरोध किया है।

देश में कोरोना के प्रकोप के कारण जनगणना की समय सीमा 2020 की शुरुआत में अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई थी। समय सीमा पहले 31 दिसंबर, 2020 तक, फिर 31 मार्च, 2021, फिर 30 जून, 2021, फिर 31 दिसंबर, 2021 और बाद में 30 जून, 2022 तक बढ़ाई गई। अनंतिम आरजीआई आंकड़ों के अनुसार, जिलों की संख्या 2011 में 640 से बढ़कर 736 हो गई है।

बहरहाल, अब जनगणना कब होगी ये तय नहीं है। जिस तरह जातीय जनगणना के मसला उठा हुआ है, उससे मुमकिन है कि सामान्य जनगणना पर उसका कोई प्रभाव पड़े।



Shashi kant gautam

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