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केंद्रीय कैबिनेट ने दी विजया, देना और बैंक ऑफ बड़ौदा के विलय को मंजूरी
केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के विजया बैंक और देना बैंक के बैंक आफ बड़ौदा में विलय को मंजूरी दे दी है। एक अप्रैल 2019 से ये तीनों बैंक मिलकर एक हो जाएंगे। विलय के बाद यह बैंक एसबीआइ व आइसीआइसीआई के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक हो जाएगा।
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के विजया बैंक और देना बैंक के बैंक आफ बड़ौदा में विलय को मंजूरी दे दी है। एक अप्रैल 2019 से ये तीनों बैंक मिलकर एक हो जाएंगे। विलय के बाद यह बैंक एसबीआइ व आइसीआइसीआई के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक हो जाएगा।
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कैबिनेट ने लगाई अंतिम मुहर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक के विलय को मंजूरी दी। यह पहली बार है जब सरकार ने तीन बैंकों के एक साथ विलय को मंजूरी दी है। कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह विलय एक मजबूत तथा वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बैंक बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विलय के बाद देना बैंक और विजया बैंक के सभी कर्मचारी बैंक ऑफ बड़ौदा में आ जाएंगे और किसी भी कर्मचारी को निकाला नहीं जाएगा।
फिर से खोलना पड़ सकता है खाता
इन तीन बैंकों के ग्राहकों को नए बैंक में अपना फिर से खाता खोलना होगा। इससे उनका पेपर वर्क काफी बढ़ जाएगा। ग्राहकों को खाता खोलने के लिए एक बार फिर से केवाईसी की प्रक्रिया को दोहराना होगा। केवाईसी हो जाने के बाद ग्राहकों को नई चेकबुक, एटीएम कार्ड और पासबुक मिलेगी।
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विलय के खिलाफ है बैंकों के कर्मचारी
हालांकि, इस विलय के खिलाफ बैंक कर्मचारी लगातार अपना विरोध जता रहे हैं। पिछले साल 21 और 26 दिसंबर को लगभग 10 लाख बैंक कर्मचारियों ने इस विलय के खिलाफ हड़ताल की थी। इसके पहले पिछले साल भारत सरकार ने देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक में उसके पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय कर दिया था। इसके बाद स्टेट बैंक दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में शामिल हो गया। उसी समय केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली ‘वैकल्पिक व्यवस्था’ ने तीन बैंकों के विलय का निर्णय ले लिया था।
कैबिनेट ने नेशनल हेल्थ एजेंसी के रिस्ट्रकचरिंग को भी मंजूरी प्रदान की है। इसके माध्यम से प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का बेहतर तरीके से अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। अब इसे नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के नाम से जाना जाएगा। इसके अलावा कैबिनेट ने अरुणाचल प्रदेश के अनुसूचित जनजातियों की सूची में संशोधन के लिए संविधान (अनुसूचित जनजाति) संशोधन विधेयक 2018 को भी मंजूरी दी है।
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