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67 साल पुराने इस कानून के तहत मोदी सरकार पाक, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को दे रही नागरिकता

आपने CAA नागरिकता अधिनियम के बारे में ही सुना होगा। मगर, क्या आपको पता है कि साल 1955 में एक ऐसा कानून बन चुका था,जिसके तहत पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता दिया जा सकता है।

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Written By aman
Published on: 1 Nov 2022 7:07 AM GMT (Updated on: 1 Nov 2022 7:08 AM GMT)
Centre to grant citizenship to minorities of bangladesh pakistan afghanistan under citizenship act 1955
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 प्रतीकात्मक चित्र (Social Media) 

Minority Citizenship : केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Pakistan), अफगानिस्तान (Afghanistan) और बांग्लादेश (Bangladesh) से आने वाले तथा वर्तमान में गुजरात के दो जिलों में रह रहे हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों तथा पारसियों और ईसाइयों को भारत की नागरिकता देने का फैसला किया है। उन्हें नागरिकता कानून, 1955 के तहत भारत में बसाया जाएगा। आपको बता दें, केंद्र सरकार ये कदम विवादित नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 यानी CAA के बजाय नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत उठा रही है।

नरेंद्र मोदी सरकार साल 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद से ही पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को भारत में बसाने की बात करती रहे है। जिसके तहत 2019 में CAA के रूप में नागरिकता संशोधन अधिनियम लाया गया था। हालांकि, उस वक्त देश भर में इसका काफी विरोध हुआ था। इसे मुस्लिम विरोधी भी बताया जाता रहा है। यह कानून भी पड़ोसी देशों से आने वाले अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान करता है।

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नहीं, 67 साल पुराने कानून से मिलेगी नागरिकता

चूंकि, इस अधिनियम के तहत नियम अब तक केंद्र सरकार द्वारा नहीं बनाए गए हैं, इसलिए अब तक किसी को भी नागरिकता नहीं दी जा सकी है। इसी वजह से 1955 के अधिनियम का सहारा लिया गया है। अब तक आपने CAA नागरिकता अधिनियम के बारे में ही सुना होगा जो 2019 में नरेंद्र मोदी सरकार ने लाया था, जिसका भारी विरोध भी हुआ था। मगर, वर्तमान में उस संशोधन को हाथ लगाए बगैर 67 साल पुराने नागरिकता अधिनियम का सहारा लेते हुए ही केंद्र सरकार गुजरात में अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने जा रही है।

क्या है नागरिकता अधिनियम 1955 का प्रावधान?

नागरिकता अधिनियम, 1955 (Citizenship Act, 1955) संविधान लागू होने के बाद भारतीय नागरिकता (Indian Citizenship) हासिल करने, इसके निर्धारण तथा रद्द करने संबंध में एक विस्तृत कानून है। यह अधिनियम भारत में एकल नागरिकता का प्रावधान (Single Citizenship in India) करता है। अर्थात, भारत का नागरिक किसी और देश का नागरिक नहीं हो सकता। इस अधिनियम में वर्ष 2019 से पहले 5 बार संशोधन (1986, 1992, 2003, 2005 और 2015 में) किया जा चुका है। नए संशोधन के बाद इस अधिनियम में पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।

इसी तरह पिछले संसाधनों में भी नागरिकता दिए जाने की शर्तों में कुछ मामूली बदलाव किए जाते रहे हैं। भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार कुछ प्रावधानों के अंतर्गत भारत की नागरिकता ली जा सकती है।

गुजरात चुनाव से पहले बड़ा दांव !

केंद्र के इस कदम को हालिया गुजरात विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। विपक्षी इसे केंद्र सरकार के 'दांव' के रूप में देख रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) की अधिसूचना के अनुसार, गुजरात के आणंद (Anand) और मेहसाणा (Mehsana) जिलों में रहने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी तथा ईसाईयों को नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6 के तहत और नागरिकता नियम, 2009 के प्रावधानों के अनुसार भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण की अनुमति दी जाएगी। इन लोगों को भारत के नागरिक होने का प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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