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नक्सलियों की धमकी पर बीजेपी का पलटवार
चंदौली। मुगलसराय रेलवे स्टेशन के नाम को लेकर सियासत जारी है। सियासी पार्टियों के बाद अब नक्सली संगठन भी नाम बदलने पर आपत्ति जाहिर कर रहे हैं। नक्सलियों के पोस्टर वॉर के खिलाफ बीजेपी ने भी मोर्चा संभाल लिया है।
बीजेपी के स्थानीय नेताओं के मुताबिक पार्टी इन धमकियों से डरने वाली नहीं है। बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष शमशेर सिंह ने स्थानीय पुलिस प्रशासन से इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। अपना भारत-न्यूजट्रैक से बात करते हुए उन्होंने कहा कि नक्सलियों की कायराना हरकत से पार्टी अपने कदम पीछे नहीं हटाने वाली है।
पुलिस ले रही है सीसीटीवी का सहारा
वहीं पुलिस ने पोस्टर लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। एसपी संतोष सिंह के मुताबिक स्टेशन के पास लगे सीसीटीवी कैमरों का सहारा लिया जा रहा है ताकि पोस्टर लगाने वालों की पहचान हो पाए।
इसके अलावा आसपास मौजूद दुकानदारों और स्थानीय लोगों से भी पूछताछ हो रही है। एसपी के अनुसार मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पोस्टर लगाने और छपवाने वाले की पहचान की जा रही है ताकि उन्हें गिरफ्तार किया जा सके।
नक्सल प्रभावित जिला है चंदौली
चंदौली की गिनती नक्सल प्रभावित जिलों में होती है। नक्सली प्राय: जन अदालत लगाकर छह इंच छोटा करने की धनकी ही नहीं देते बल्कि उसे अमली जामा भी पहनाते हैं। हालांकि जिले में एक दशक से कोई बड़ी नक्सली वारदात नहीं हुई है, लेकिन मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलने को लेकर वे धमकी भरे अंदाज फिर सामने आए हैं। उनके पोस्टर लगाने के बाद पुलिस चौकस हो गयी है।
लंबे समय से नाम बदलने को लेकर चल रही राजनीति
लंबे समय से मुगलसराय जंक्शन का नाम बदले जाने को लेकर राजनीति अपने चरम पर है। पूर्व में केन्द्र में बीजेपी की सरकार बनने के समय से ही भाजपा मुगलसराय जंक्शन का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर करने के लिए प्रयासरत रही है। भाजपाइयों का तर्क है कि पंडित दीनदयाल जी की डेड बॉडी ट्रेन में घायल होने के बाद यहां मिली थी।
इस कारण यहां का नाम उनके नाम पर रखा जाना तर्कसंगत होगा। दूसरी तरफ कांग्रेस इसका विरोध करती रही है। कांग्रेसियों का तर्क है कि स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री का जन्म मुगलसराय में हुआ था और वे देश के प्रधानमंत्री बने। इसलिये उनके नाम पर मुगलसराय जंक्शन का नाम रखा जाना न्यायसंगत होगा।