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उपचुनाव : कांग्रेस के हौसले बुलंद, भाजपा के साथ आप को भी दिखाया धरातल

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Published on: 27 Oct 2017 2:38 PM IST
उपचुनाव : कांग्रेस के हौसले बुलंद, भाजपा के साथ आप को भी दिखाया धरातल
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दुर्गेश पार्थसारथी

चंडीगढ़। गुरदासपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे अप्रत्याशित जरूर थे, लेकिन चौंकाने वाले नहीं। इस लोकसभा सीट का इतिहास रहा है कि प्रदेश में जिसकी सरकार रही है वहां से उसी दल का एमपी चुनकर लोकसभा में जाता रहा है। चाहे वह विनोद खन्ना रहे हों या फिर कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा। इस चुनाव में राजनीतिक समीकरण भी कुछ ऐसे बने कि नामांकन के बाद से ही चुनाव परिणाम करीब-करीब स्पष्ट हो गया था। लेकिन कांग्रेस के सुनील जाखड़ की जीत का अंतर दो लाख के करीब होगा इसका अनुमान भाजपा तो क्या खुद कांग्रेस को भी नहीं था।

भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली गुरदासपुर लोकसभा सीट फतह करने के बाद जहां कांग्रेस इसे पार्टी के लिए अच्छे दिन की शुरुआत मान रही है वहीं भाजपा छोड़ कांग्रेसी बने स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू इससे भी दो कदम आगे बढ़कर इसे अकाली-भाजपा गठजोड़ के गाल पर थप्पड़ बताते हुए यह कहते नहीं थक रहे कि इस थप्पड़ की गूंज पूरे हिन्दुस्तान में सुनाई देगी।

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने गुरदासपुर उपचुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के स्वर्ण सलारिया को 193219 मतों के रिकॉर्ड अंतर से हराया। इस सीट पर साल 2009 के चुनाव में भाजपा के विनोद खन्ना कांग्रेस प्रत्याशी प्रताप सिंह बाजवा से 8342 मतों के अंतर से हार गए थे। सुनील जाखड़ ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव व 2017 के विधानसभा चुनाव में लगातार हार के बाद जो जीत हासिल की है उससे कांग्रेस को न केवल संजीवनी मिली है बल्कि कई मोर्चों आलोचना का सामना कर रही पार्टी का मनोबल भी बढ़ा है। सुनील जाखड़ की जीत को कांग्रेस के दिग्गज व अन्य नेता कैप्टन सरकार के छह माह के अच्छे कार्यकाल से जोड़कर देख रहे हैं।

कांग्रेस की इस जीत से न केवल भाजपा बल्कि आम आदमी पार्टी को भी धरातल दिखाई देने लगा है। भाजपा में लंबे समय से रहे स्वर्ण सलारिया का जमीनी तौर जहां यह पहला अनुभव रहा है वहीं आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े मेजर जनरल सुरेश खजूरिया भी इस खेल में नए थे। विनोद खन्ना की स्वच्छ राजनीतिक जीवन शैली व क्षेत्र में किए गए कार्यों के बावजूद स्वर्ण सलारिया को 306533 वोट मिले वहीं सुरेश खजूरिया अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। भाजपा ने इस चुनाव अपनी साख गंवा दी, लेकिन आप के पास खोने के लिए पहले से ही कुछ नहीं था।

विनोद खन्ना के कामों को नहीं भुना सकी भाजपा

राजनीति के जानकारों का मानना है कि लगातार चार बार गुरदासपुर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद रहे विनोद खन्ना के कार्यों व उनके निधन से उमड़ी जनभावनाओं को भाजपा सही ढंग से नहीं भुना पाई। पिछले 19 साल में भाजपा ने इस सीट पर कुछ छह चुनाव लडे हैं जिनमें दो चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा को शिकस्त दी है। चार चुनावों में भाजपा के विनोद खन्ना ने जीत हासिल की। विनोद खन्ना अपनी स्वच्छ व बिना भेदभाव की राजनीति के लिए जाने जाते थे। विनोद खन्ना के कामों को लोग आज भी याद करते हैं। पुलों व सड़कों के निर्माण के कारण लोग उन्हें पुलों वाला खन्ना कहने लगे थे, लेकिन भाजपा नेता खन्ना के इन कार्यों नहीं भुना सके।

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कविता व स्थानीय नेताओं की नाराजगी भी बनी हार का कारण

कुछ लोगों का यह भी कहना है कि पार्टी नेतृत्व राजनीतिक समीकरण को सही ढंग से नहीं परख सका। उनका मानना है कि शीर्ष नेतृत्व ने स्वर्ण सलारिया की जगह कविता खन्ना को टिकट दिया होता तो शायद भाजपा की यह परंपरागत सीट भाजपा के पास ही रहती। अगर कविता खन्ना चुनाव हारतीं भी तो हार का अंतर इतना बड़ा नहीं होता। राजनीतिक समझ रखने वाले यह भी कहते हैं कि सलारिया को टिकट दिए जाने से पार्टी के स्थानीय नेता भी नाराज थे। विनोद खन्ना के करीबी समझे जाने वाले एक विधायक को भी सलारिया से नाराज बताया जा रहा है। लोगों का कहना है कि यदि कविता खन्ना को टिकट मिलता तो उनके साथ लोगों की सहानुभूति भी होती।

बड़े नेताओं का प्रचार में न आना भी बना हार का कारण

कुछ लोगों का कहना है कि उपचुनाव में भाजपा के किसी बड़े लीडर का प्रचार के लिए गुरदासपुर या पठानकोट न आना भी हार का एक कारण है। उपचुनाव में सुनील जाखड़ की जीत के मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सहित कई बड़े नेताओं ने गुरदासपुर में डेरा डाल रखा था। वहीं कुछ लोग चुनाव के दौरान सुनील जाखड़ व कविता खन्ना की मुलाकात को भी सलारिया की हार का कारण मान रहे हैं। सलारिया के हार का एक कारण यह भी हो सकता है कि पूरे चुनाव प्रचार के दौरान जिस विनोद खन्ना के नाम व काम पर भाजपा चुनाव लड़ रही थी उसी विनोद खन्ना की पत्नी को नजरअंदाज किया गया। कविता खन्ना ने एक भी मंच साझा नहीं किया।

लंगाह ने पूरी कर दी कसर

भाजपा की हार का एक कारण अकाली नेता सुच्चा सिंह लंगाह को भी माना जा रहा है। चुनाव प्रचार के दौरान ही सुच्चा सिंह का दुष्कर्म का वीडियो आया था। इस दौरान सलारिया की भी एक अश्लील फोटो लोगों के सामने आई थी। खुद लंगाह के क्षेत्र डेरा बाबा नानक में भाजपा को बहुत कम वोट हासिल हुए।

जीजा साले के मुंह पर तमाचा

जाखड़ की जीत से खुश सिद्धू ने इसे पूर्व उपमुख्यमंत्री व शिरोमणि अकाली दल बादल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल व उनके साले बिक्रमजीत सिंह मजीठिया के गाल पर करारा तमाचा बताया है। उन्होंने कहा कि गुरदासपुर के लोगों ने अकालियों के मुंह पर जोरदार तमाचा जड़ा है। सलारिया की यह हार अकाली-भाजपा के लिए सीख है। सिद्धू ने तो सीधे तौर पर भाजपा की हार का कारण अकालियों को बताया है।

बहुत कुछ कहती है कविता की चुप्पी

गुरदासपुर चुनाव व चुनाव परिणाम आने के बाद से कविता खन्ना की चुप्पी बहुत कुछ कहती है। खुद पठानकोट के लोगों का कहना है कि कविता की चुप्पी के पीछे कहीं न कहीं उनकी नाराजगी भी छिपी है। वह अपने पति की बोई फसल नहीं काट सकी। लोग यह भी कयास लगा रहे हैं कि कविता अब पठानकोट भाजपा को अलविदा कह सकती हैं। वहीं कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं व नेताओं के करीबियों का मानना है कि 2019 के चुनाव में हो सकता है कि इस सीट पर कविता खन्ना या उनके बेटे अक्षय खन्ना को पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया जाय। फिलहाल कविता का मौन एक सवाल बना हुआ है।

असल जंग तो बाकी है

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा कहते हैं कि असल लड़ाई तो हिमाचल में होनी है। यहाँ पता चलेगा कि कांग्रेस के अच्छे दिन आए है या बुरे क्योंकि यहाँ तो राजा से लेकर वजीर तक भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं। हिमाचल हमारा पड़ोसी राज्य नहीं बल्कि दूसरा घर भी है। वह कहते हैं सिद्धू कुछ भी कह सकते हैं। गुरदासपुर भाजपा की परंगागत सीट रही और 2019 के चुनाव में हम अपनी खोई हुई सीट को फिर से हासिल करेंगे। इस बार कुछ गलतियां हुई हैं जिसे सुधारने का प्रयास किया जाएगा।

कप्तान ने लगाया गाय, भैंस, कुत्ता, बिल्ली पालने पर टैक्स

कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने जानवर पालने पर टैक्स लगा दिया है। नोटिफिकेशन के अनुसार यदि पंजाब में कोई व्यक्ति गाय-भैंस-बैल, घोड़ा, कुत्ता, बिल्ली या अन्य कोई जानवर अपने पास रखता है तो उसके लिए अब टैक्स देना होगा।

यह टैक्स हर साल ढाई सौ से ५०० रुपए तक प्रति जानवर देना होगा। इतना ही नहीं अगर टैक्स समय पर नहीं भरा गया तो 10 गुना ज्यादा पेनल्टी लगाई जाएगी। जारी किए गए नोटिफिकेशन के अनुसार सभी पालतू जानवरों को रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य होगा और उनसे संबंधित यूएलबी व लाइसेंस जारी किए जाएंगे। जानवरों के मालिक को म्युनिसिपल कॉरपोरेशन से एक टैग भी जारी कराना होगा, जिस पर जानवर का रजिस्ट्रेशन नंबर और मालिक का नाम लिखा होगा। ऐसे जानवरों को दो बार से अधिक बार यदि सड़क पर आवारा घूमते पाया गया तो उनका रजिस्ट्रेशन नंबर कैंसल कर दिया जाएगा।

जानवरों पर किसी भी प्रकार की हिंसा करते हुए पाए जाने की स्थिति में मालिक का लाइसेंस रद कर दिया जाएगा और ऐसे में मालिक जानवर पालने का हक खो देगा। उसे हमेशा के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। दोबारा लाइसेंस जारी करने से पहले उस व्यक्ति के आचार व्यवहार की निगरानी की जाएगी और ठीक पाए जाने पर ही उसे दोबारा जानवर पालने का अधिकार प्रदान किया जाएगा। राज्य सरकार ने पंजाब म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट के तहत यह नोटिफिकेशन जारी किया है। गौरतलब है कि पंजाब इस समय वित्तीय संकट से जूझ रहा है और शायद सरकार की मंशा अब इस तरह के टैक्स लगाकर घाटे को पूरा करने की है। यह नोटिफिकेशन स्थानीय निकाय विभाग ने जारी किया है, जिसके मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू हैं। विपक्ष ने इस आदेश का कड़ा विरोध किया है।

बिजली हुई महंगी

पंजाब में स्टेट पावर कॉरपोरेशन ने बिजली की दरें 9.33 फीसदी तक बढ़ाने की घोषणा की है। पंजाब स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन ने बढ़ी दरों की घोषणा की है। इसके तहत दलितों तथा किसानों को 200 यूनिट बिजली मुफ्त मिलती रहेगी। बिजली की नयी दरें पहली अप्रैल से लागू होंगी और अप्रैल से लेकर नवंबर तक का बकाया उपभोक्ताओं को 9 किश्तों में अदा करना पड़ेगा। रेगुलेटरी कमीशन ने २४ अक्टूबर को २०१७-१८ का टैरिफ आर्डर जारी करते हुए बढ़ी हुई दरों को मंजूरी दे दी थी। कमीशन द्वारा नई दरें तय करने से लोगों पर २५२२ करोड़ रुपए का भार पड़ा है।

आयोग ने अपने टैरिफ ऑर्डर में सभी उपभोक्ताओं के लिए 'टू पार्ट टैरिफ स्ट्रक्चर' लागू किया है। इसमें एक फिक्स खर्चे और दूसरे परिवर्तनशील खर्चे शामिल किए गए हैं। ऐसा नेशनल टैरिफ पॉलिसी को लागू करने के कारण किया गया है। उद्योगों के लिए लगाया गया निरंतर प्रोसेस इंडस्ट्री चार्ज - सरचार्ज खत्म कर दिया गया है। नई दरों के अनुसार घरेलू उपभोक्ताओं को 7 से 12 फीसदी ज्यादा बिल भरना होगा जबकि कॉमर्शियल उपभोक्ताओं पर 8.5 से 10.5 फीसदी का बोझ पड़ेगा।



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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