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चन्द्रयान-2: मिशन बाहुबली का आज से शुरू हुआ काउन्टडाउन, कल होगा लांच
अंतरिक्ष की दुनिया में भारत ने एक और उपलब्धि की ओर कदम बढ़ा दिया है। भारत के दूसरे मून मिशन चन्द्रयान-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई को सुबह 2.51 बजे होगी। अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) वैज्ञानिकों और देश के लोगों की धड़कने इसे लेकर तेज हो रही हैं।
नई दिल्ली : अंतरिक्ष की दुनिया में भारत ने एक और उपलब्धि की ओर कदम बढ़ा दिया है। भारत के दूसरे मून मिशन चन्द्रयान-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई को सुबह 2.51 बजे होगी। अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) वैज्ञानिकों और देश के लोगों की धड़कने इसे लेकर तेज हो रही हैं।
14 जुलाई यानी आज रविवार को सुबह 6.51 बजे से चंद्रयान-2 की 20 घंटे की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। 15 जुलाई सुबह दो बजकर 51 मिनट पर चंद्रयान अपने अभियान के लिए रवाना हो जाएगा। इसरो चीफ डॉ. के. सिवन ने बताया कि अब तक सबकुछ सही तरीके से चल रहा है।
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लांचिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन प्रक्षेपण केंद्र से होगी। इस अभियान की सफलता के साथ ही चांद पर यान उतारने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, चीन और रूस अपने यान चांद पर उतार चुके हैं।
चंद्रयान-2 को इसरो का सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी-MK3 अंतरिक्ष में ले जाएगा।
640 टन वजनी इस रॉकेट को तेलुगु मीडिया ने "बाहुबली" नाम दिया है। इसरो ने इसे "फैट बॉय" (मोटा लड़का) कर संज्ञा दी है।
16 मिनट की उड़ान के बाद रॉकेट इस यान को पृथ्वी की बाहरी कक्षा में पहुंचा देगा। यहां से कक्षा बढ़ाते हुए धीरे-धीरे इसे चांद की कक्षा तक पहुंचाया जाएगा।
अब तक इसरो इस श्रेणी के तीन रॉकेट लॉन्च कर चुका है। 2022 में भारत के पहले मानव मिशन में भी इसी रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा।
लगभग 7,500 लोग लाइव देखेंगे चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग
भारत के मून मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को देखने के लिए लोगों में भी खासा उत्साह है। उसे लाइव देखने के लिए ISRO की साइट पर अब तक करीब 7,537 लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। बता दें कि इसरो ने हाल ही में यह शुरुआत की है कि लोग विशेषतौर पर बनाई गई स्पेस थीम पार्क में बैठकर इसरो के लॉन्च देख सकें।
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चंद्रयान-2 में महिलाओं का भी विशेष योगदान रहा है। इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने बताया कि इस अभियान में करीब 30 फीसदी महिलाओं ने भूमिका निभाई है। इसकी प्रोजेक्ट डायरेक्टर इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम्स इंजीनियर एम. वनिता और मिशन डायरेक्टर रितु करिधल हैं।
ये है मकसद, इसे पूरा करेगा चंद्रयान
- चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर पानी के प्रसार और मात्रा का अध्ययन करेगा।
- चंद्रमा के मौसम का अध्ययन करेगा।
- चंद्रमा की सतह में मौजूद खनिजों और रासायनिक तत्वों का अध्ययन करेगा।
- चंद्रमा के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा।
ऐसे होती है लॉन्चिंग की प्रक्रिया
भारत ने 2008 में चंद्रयान-1 भेजा था। इस अभियान में केवल ऑर्बिटर भेजा गया था, जिसने 10 महीने तक चांद की परिक्रमा करते हुए प्रयोगों को अंजाम दिया था। चांद पर पानी की खोज का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है।
चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं-ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर। अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के सम्मान में लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है। वहीं रोवर का नाम प्रज्ञान है, जो संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ज्ञान।
चांद की कक्षा में पहुंचने के चार दिन बाद लैंडर-रोवर अपने ऑर्बिटर से अलग हो जाएंगे। लैंडर विक्रम छह सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक उतरेगा और वहां तीन वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा।
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चांद पर लैंडर उतरने के बाद रोवर उससे अलग होकर 14 दिन तक अन्य प्रयोगों को अंजाम देगा। चांद के हिसाब से यह अवधि एक दिन की बनेगी। वहीं ऑर्बिटर सालभर चांद की परिक्रमा करते हुए आठ प्रयोग करेगा। इस पूरे अभियान में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी एक प्रयोग को अंजाम देगी।
चंद्रयान-2 चांद के जिस दक्षिणी ध्रुव वाले क्षेत्र में उतरेगा, वहां अब तक किसी देश ने अभियान को अंजाम नहीं दिया है। यह अभियान चांद के इस हिस्से को समझने और साथ ही चांद के विकासक्रम को जानने में भी मददगार होगा। इस क्षेत्र में कई विशाल क्रेटर (अंतरिक्षीय पिंडों के टकराने से बने गड्ढे) हैं, जिनमें हमारी सौर व्यवस्था के बहुत शुरुआती समय के प्रमाण मिलने की उम्मीद है।
चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को लेकर 28 जून 2019 से लेकर वैज्ञानिकों तैयारी
28 जून 2019 - बाहुबली रॉकेट जीएसएलवी-MK3 के सभी स्टेज में बैट्री लगाई गई। ताकि रॉकेट से जुड़ने वाले सैटेलाइट के कुछ हिस्सों और रॉकेट के कैमरे व अन्य इलेक्ट्रॉनिक हिस्सों को बिजली का कनेक्शन मिल पाए।
29 जून 2019 - रोवर प्रज्ञान को लैंडर विक्रम में जोड़ा गया। फिर इन दोनों को चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में जोड़ा गया।
30 जून 2019 - रॉकेट के सभी इलेक्ट्रिकल और पाइरो आर्मिंग (एक स्टेज से दूसरे स्टेज के इंजन को जोड़ने की प्रणाली) की जांच की गई। साथ ही लॉन्च बैट्री की चार्जिंग पूरी की गई।
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1 जुलाई 2019 - GSLV रॉकेट के आखिरी हिस्से में चंद्रयान-2 को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की गई।
2 जुलाई 2019 - रॉकेट और सैटेलाइट के बीच मौजूद इक्विपमेंट बे कैमरा प्रणाली को इंस्टॉल किया गया और उनकी जांच की गई। रॉकेट जब अंतरिक्ष में जाता है तब इन्हीं कैमरों से उसपर और पेलोड के अलग होने तक की सभी प्रक्रिया पर नजर रखी जाती है।
4 जुलाई 2019 - चंद्रयान-2 की जीएसएलवी रॉकेट के साथ एसेंबलिंग पूरी की गई।
5 जुलाई 2019 - लैंडर विक्रम और ऑर्बिटर का ग्राउंड स्टेशन से लिंक जांचा गया।
6 जुलाई 2019 - लॉन्च व्हीकल जीएसएलवी रॉकेट को एसेंबलिंग यूनिट से लॉन्च पैड 2 की तरफ ले जाने की प्रक्रिया शुरू हुई।
7 जुलाई 2019 - जीएसएलवी रॉकेट लॉन्च पैड 2 पर पहुंचा। इसके बाद उसके अंदर मौजूद चंद्रयान-2 की जांच की गई।
8 जुलाई 2019 - फुल ड्रेस रिहर्सल शुरू हुई। यानी मिशन से जुड़े सभी वैज्ञानिक, केंद्र तय कार्यक्रम के अनुसार अपने-अपने काम की जांच करेंगे।
9 जुलाई 2019 - रॉकेट और चंद्रयान-2 के पाइरो, प्रेशर सेंसर्स, यूसीयू, कनेक्टर केबल आदि की जांच की गई।
10 जुलाई 2019 - क्रायोजेनिक स्टेज और ऑनबोर्ड ऐलीमेंट्री जांच की गई। लिक्विड स्टेज के कंट्रोल सिस्टम की जांच पूरी की गई।
11 जुलाई 2019 - लॉन्च व्हीकल जीएसएलवी की बैट्री पूरी तरह से चार्ज कर ली गई। रूटीन जांच की प्रक्रिया शुरु हुई।
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12 जुलाई 2019 - लॉन्च को लेकर शुरू की गई फुल ड्रेस रिहर्सल की प्रक्रिया पूरी कर ली गई। रॉकेट के टैंक्स में तय दबाव के साथ भरे गए ईंधन की जांच की गई।
चंद्रयान-1 की सफलता को देखते हुए वैज्ञानिक समुदाय को इस अभियान से भी बड़ी उम्मीदें हैं।