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Chandrayaan-3 : चांद के ऑर्बिट में चंद्रयान-3 का प्रवेश, अब सतह पर उतरना बाकी, 23 अगस्त को रचेगा इतिहास
Chandrayaan-3 : चंद्रयान-3 मिशन में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं, जो 16 अगस्त, 2023 तक चंद्रमा के चक्कर लगाएंगे। 17 अगस्त को लैंडर से प्रोपल्शन मॉड्यूल अगल हो जाएगा और 23 अगस्त को लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। भारत के लिए ये बड़ी सफलता होगी।
Chandrayaan-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो (ISRO) ने 14 जुलाई को चंद्रयान-3 मिशन की सफल लॉन्चिंग की थी। जिसके बाद से देश और दुनिया की नजर इस मिशन पर टिकी है। चंद्रयान-3 से जुड़ी ख़बरों को देशवासी दिलचस्पी के साथ पढ़ते हैं। क्योंकि, उन्हें पता है इस मिशन की सफलता भारत का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित कराएगा। इसलिए, हर कोई इसकी मौजूदा स्थिति के बारे में जानना चाह रहा है। आपको बता दें, चंद्रयान-3 ने एक और लक्ष्य हासिल कर लिया है। इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 शनिवार (05 अगस्त) की शाम चंद्रमा की कक्षा (Lunar Orbit) में प्रवेश कर गया।
चंद्रयान-3 के चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश का मतलब ये है कि अब यह चंद्रमा की गोलाकार कक्षा में चला गया है। पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह के चारों ओर चक्कर लगाना शुरू करेगा। इस मिशन की सफलता में ये बड़ा पड़ाव था जिसे चंद्रयान ने हासिल किया।
Chandrayaan-3 Mission:
“MOX, ISTRAC, this is Chandrayaan-3. I am feeling lunar gravity ?”
?
Chandrayaan-3 has been successfully inserted into the lunar orbit.
A retro-burning at the Perilune was commanded from the Mission Operations Complex (MOX), ISTRAC, Bengaluru.
The next… pic.twitter.com/6T5acwiEGb— ISRO (@isro) August 5, 2023
चन्द्रमा की कक्षा के लगाएगा चक्कर
चंद्रयान-3 चंद्रमा की बाहरी कक्षा में रफ़्तार पकड़ ली है। अब चंद्रयान-3 चंद्रमा के चारों तरफ 166 km x 18054 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाएगा। इसरो ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ने के लिए करीब 20 से 25 मिनट तक 'थ्रस्टर्स ऑन' (Thrusters On) रखा। इसी के साथ चंद्रयान-3 चंद्रमा की ग्रेविटी में फंस गया। अब वह उसके चारों तरफ चक्कर लगाता रहेगा।
चन्द्रमा की कक्षा के लगाएगा चक्कर
चंद्रयान-3 चंद्रमा की बाहरी कक्षा में रफ़्तार पकड़ ली है। अब चंद्रयान-3 चंद्रमा के चारों तरफ 166 km x 18054 किलोमीटर की अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाएगा। इसरो ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ने के लिए करीब 20 से 25 मिनट तक 'थ्रस्टर्स ऑन' (Thrusters On) रखा। इसी के साथ चंद्रयान-3 चंद्रमा की ग्रेविटी में फंस गया। अब वह उसके चारों तरफ चक्कर लगाता रहेगा।ऐसे बदलता जाएगा ऑर्बिट
तकनीकी भाषा में इसे लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन या इंसर्शन (Lunar Orbit Injection or Insertion - LOI) भी कहते हैं। चंद्रमा के चारों ओर 5 ऑर्बिट बदले जाएंगे। 6 अगस्त की रात 11 बजे के आस-पास चंद्रयान की ऑर्बिट को 10 से 12 हजार किलोमीटर वाली ऑर्बिट में डाला जाएगा। इसके बाद, 9 अगस्त की दोपहर 01:45 बजे करीब इसके ऑर्बिट को बदलकर 4 से 5 हजार किलोमीटर की ऑर्बिट में डाला जाएगा।अब 23 अगस्त पर नजर
इसरो के अनुसार, 14 अगस्त की दोपहर इसे घटाकर 1000 किलोमीटर किया जाएगा। 5वें ऑर्बिट मेन्यूवर में इसे 100 किलोमीटर की कक्षा में डाला जाएगा। इसके बाद, 17 अगस्त को प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे। फिर, 18 और 20 अगस्त को डी-ऑर्बिटिंग (De-Orbiting) होगी। अर्थात, चांद के ऑर्बिट की दूरी को कम किया जाएगा। लैंडर मॉड्यूल 100 x 35 KM के ऑर्बिट में जाएगा। जिसके बाद बाद 23 अगस्त की शाम 5:47 बजे चंद्रयान की लैंडिंग कराई जाएगी। लेकिन, उस रोमांचक क्षण के लिए देशवासियों को अभी 18 दिन इंतजार करना पड़ेगा।