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Chandrayaan-3: भारत का चंद्रमा अभियान, 2035 तक चांद की मिट्टी के नमूने तक लाने का प्रोग्राम

Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक लांच कर दिया गया है। 50 दिन बाद चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा। लेकिन ये यहीं तक नहीं है बल्कि इसरो ने आगे भी योजनाएं तय रखी हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 14 July 2023 9:54 AM GMT (Updated on: 14 July 2023 10:03 AM GMT)
Chandrayaan-3: भारत का चंद्रमा अभियान, 2035 तक चांद की मिट्टी के नमूने तक लाने का प्रोग्राम
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Chandrayaan-3: (Image: Social Media)

Chandrayaan-3: चंदा मामा दूर के। लेकिन अब मामाजी उतना दूर नहीं रह गए हैं। सन 58 यानी बीते 65 बरसों में चंदा मामा हमारे बहुत नजदीक आ चुके हैं तभी तो इन छह दशकों में छह देश चंद्रमा पर 70 सफल और आंशिक रूप से सफल मिशन कर चुके हैं। हालांकि इनमें से कई ने बिना लैंडिंग के सिर्फ चंदा मामा की परिक्रमा भर की है।

साल 1950, 1960 और 1970 के दशक के दौरान, अमेरिका और सोवियत संघ एकमात्र देश थे जिन्होंने चंद्रमा पर मिशन का प्रयास किया था। इन्हीं दोनों ने कम से कम 90 चंद्रमा मिशनों का प्रयास किया, जिनमें से 40 असफल रहे। 1980 के दशक के दौरान, कोई चंद्र मिशन लॉन्च नहीं किया गया था।

भारत के प्रयास

चंद्रमा पर भारतीय मिशन का विचार पहली बार 1999 में भारतीय विज्ञान अकादमी की एक बैठक के दौरान रखा गया था। एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने 2000 में इस विचार को आगे बढ़ाया। इसके तुरंत बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने राष्ट्रीय चंद्र मिशन टास्क फोर्स की स्थापना की, जिसने निष्कर्ष निकाला कि इसरो के पास चंद्रमा पर भारतीय मिशन को अंजाम देने के लिए तकनीकी विशेषज्ञता है।

फिर अप्रैल 2003 में 100 से अधिक प्रतिष्ठित भारतीय वैज्ञानिकों ने चर्चा की और चंद्रमा पर एक भारतीय अभियान शुरू करने के लिए टास्क फोर्स की सिफारिश को मंजूरी दी। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 15 अगस्त 2003 को अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में "चंद्रयान परियोजना' की घोषणा की थी। उसी साल नवंबर में, भारत सरकार ने मिशन के लिए मंजूरी दे दी।

चंद्रयान प्रोग्राम

भारत का चंद्रयान प्रोग्राम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की बाह्य अंतरिक्ष मिशनों की एक सीरीज़ है। इस कार्यक्रम में चंद्र ऑर्बिटर, इम्पैक्टर, सॉफ्ट लैंडर और रोवर अंतरिक्ष यान शामिल हैं।

- भारत के चन्द्रमा अभियान के तहत 22 अक्टूबर 2008 को पीएसएलवी एक्सएल रॉकेट से चंद्रयान-1 लॉन्च किया गया। यह इसरो के लिए एक बड़ी सफलता थी क्योंकि चंद्रयान-1 के पेलोड मून इम्पैक्ट प्रोब ने चंद्रमा पर पानी की खोज की। पानी की खोज के अलावा चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा की मैपिंग और वायुमंडलीय प्रोफाइलिंग जैसे कई अन्य कार्य भी किए।

- चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को एलवीएम-3 रॉकेट पर लॉन्च किया गया। ये अंतरिक्ष यान को 20 अगस्त 2019 को सफलतापूर्वक चंद्र कक्षा में स्थापित किया गया। लेकिन 6 सितंबर 2019 को चन्द्रमा पर उतरने का प्रयास करते समय लैंडर नष्ट हो गया। लेकिन चंद्रयान -2 का ऑर्बिटर अब भी चालू है और वैज्ञानिक डेटा एकत्र कर रहा है। इसके 7.5 वर्षों तक कार्य करने की उम्मीद है।

चंद्रयान-3

नवंबर 2019 में इसरो के अधिकारियों ने कहा कि नवंबर 2020 में लॉन्च के लिए एक नए चंद्र लैंडर मिशन का अध्ययन किया जा रहा है। इस नए प्रस्ताव को चंद्रयान -3 नाम दिया गया है। यह चंद्र ध्रुवीय अन्वेषण मिशन के लिए आवश्यक लैंडिंग क्षमताओं को प्रदर्शित करने का एक पुनः प्रयास है।

मिशन की लागत

चंद्रयान-3 मिशन की लागत 250 करोड़ रुपये और एलवीएम-3 के लिए 365 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लॉन्च लागत होगी।

अगले अभियान

- चंद्रयान-4 अगला मिशन होगा जो चन्द्रमा पर ध्रुवीय अन्वेषण करेगा। इसे 2025 में लॉन्च करने का प्लान है। भारत इस मिशन में जापान के साथ सहयोग कर रहा है। यह चंद्र ध्रुव के पास एक लैंडर-रोवर मिशन होगा जो साइट पर एकत्रित चंद्र सामग्री का नमूना एकत्र करके उनका विश्लेषण करेगा।

- चंद्रयान-5 मिशन 2025 से 30 के बीच होगा। इसमें लैंडर चन्द्रमा की सतह पर 1 से 1.5 मीटर की गहराई तक ड्रिलिंग करके कट का विश्लेषण करेगा।

- चंद्रयान-6 मिशन 2030 से 35 की समय सीमा के लिए प्रस्तावित है। इसमें चंद्रमा की मिट्टी की ड्रिलिंग और नमूनों को पृथ्वी पर वापस लाना शामिल होगा।

Neel Mani Lal

Neel Mani Lal

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