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Chandrayaan 3 Moon Landing: चाँद बहुत है खास, यहां धातुओं और मिनरल्स की भरमार

Chandrayaan 3 Moon Landing:नासा के डेटा के अनुसार अनुमान है कि चंद्रमा पर लोहे और टाइटेनियम जैसी धातुओं की मौजूदगी प्रचुर मात्रा में है। चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव के आसपास बड़े गड्ढों में मेटल ऑक्साइड के प्रमाण मिले हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 23 Aug 2023 1:28 PM IST
Chandrayaan 3 Moon Landing: चाँद बहुत है खास, यहां धातुओं और मिनरल्स की भरमार
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Chandrayaan 3 Moon Landing Update (photo: social media )

Chandrayaan 3 Moon Landing: भारत के चंद्रयान 3 मिशन की सफलता से टेक्नोलॉजी में नए आयाम जुड़ जायेंगे। चूँकि चंद्रयान चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव को टारगेट कर रहा है जहाँ बर्फ के समंदर हैं सो पानी की खोज से आउटर स्पेस के अन्वेषण में बहुत बड़ी मदद साबित होगी। सभी देशों को चंद्रमा में रुचि इसलिए भी है कि वहां पर धातुओं और खनिजों की भरमार है। ऐसे ऐसे तत्व वहां मिलने का अनुमान है जो हमारी पृथ्वी पर बहुत सीमित मात्रा में हैं और इसीलिए चीन जैसे देशों की मोनोपोली बनी हुई है और कीमतें बेहद ज्यादा हैं।

नासा के डेटा के अनुसार, जितना पहले अनुमान लगाया गया था उससे कहीं ज्यादा धातुएं चंद्रमा की सतह के नीचे हो सकती हैं। यही वजह है कि चंद्रमा पर माइनिंग यानी खनन का विचार अमेरिकी सरकार ने तीन साल पहले ही रख दिया था। नासा के डेटा के अनुसार अनुमान है कि चंद्रमा पर लोहे और टाइटेनियम जैसी धातुओं की मौजूदगी प्रचुर मात्रा में है। चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव के आसपास बड़े गड्ढों में मेटल ऑक्साइड के प्रमाण मिले हैं। इसके अलावा चंद्रमा के ‘मारिया’ क्षेत्र में जिसे आमतौर पर "समुद्र" के रूप में जाना जाता है – पृथ्वी की तुलना में कहीं ज्यादा धातुएं मौजूद हैं।

अमेरिका की रुचि

अमेरिका द्वारा चंद्रमा पर खनन में इतनी रुचि लेने का एक कारण दुर्लभ धातुओं की मजबूत आपूर्ति को हासिल करना और उनको कंट्रोल करना है। फिलवक्त चीन पृथ्वी की दुर्लभ धातुओं के उत्पादन का लगभग 95 फीसदी हिस्सा कण्ट्रोल करता है। इसीलिए अमेरिका ने साधन के रूप में चंद्रमा पर अपनी नजरें जमा ली हैं। चन्द्रमा पर ये सब काम करना न तो असंभव है और न बहुत मुश्किल है। अप्रैल 2020 में तत्कालीन अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिकी कंपनियों को चंद्रमा और अन्य खगोलीय पिंडों में खनन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक आदेश पर हस्ताक्षर भी किये थे। आदेश में प्रावधान किया गया है कि कमर्शियल पार्टनर और कमर्शियल संस्थाओं को बाहरी अंतरिक्ष में संसाधनों को निकालने और उनका उपयोग करने की आवश्यकता होगी।

एलोन मस्क की परिकल्पना

अरबपति व्यवसायी एलोन मास्क ने तो एक चंद्र खनन कॉलोनी की परिकल्पना भी की हुई है जिसे स्वचालित या रिमोट-कंट्रोल मशीनरी और पंपों के जरिये ऑपरेट किया जा सकेगा। चूँकि चाँद पर पानी की मौजूदगी है सो किसी प्रकार की स्थाई मानव बस्ती बनाने बसाने की पूरी संभावना है। इसके लिए पृथ्वी से सामान धो कर चाँद पर ले जाने की भी जरूरत नहीं होगी क्योंकि 3डी प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी के चलते से सामग्री और उपकरण चाँद पर ही बनाये जा सकेंगे। ये भी बता दें कि चंद्रमा पर खनन करने से हमारे जीवन की गुणवत्ता पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा - चंद्रमा का द्रव्यमान 73 क्वाड्रिलियन टन है। भले ही हम प्रतिदिन चंद्रमा से एक मीट्रिक टन हटा दें, तब भी 1 फीसदी ख़त्म होने में 220 मिलियन वर्ष लगेंगे। यानी चंद्रमा पर बहुत कुछ और बहुत ही बड़ी मात्रा में मौजूद है।

खनन कम्पनियाँ

अंतरिक्ष खनन के लिए कई कंपनियां भी बन चुकी हैं, ये कंपनियां नासा या अन्य सरकारी सपोर्ट या फिर एलोन मस्क के स्पेसएक्स जैसे बड़े निजी अंतरिक्ष उद्यमों की सहायता के बिना काम नहीं कर सकेंगी। अमेरिका की प्लानिंग है कि वह 2024 तक चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतार देगा। धातु और खनिजों का बहुत बड़ा आकर्षण तो है ही, लेकिन कुछ और भी वजहें हैं जिसके चलते चंद्रमा मिशन प्लान किये जा रहे हैं। चंद्रमा या अन्तरिक्ष के मिशनों से टेक्नोलॉजी को बेहद फायदा मिलता है और नई नई चीजें निकल कर आती हैं जिनका इस्तेमाल जीवन के अन्य क्षेत्रों में किया जा सकता है।

सो चंद्रमा को मात्र एक एडवेंचर न समझिये, ये विज्ञान को आगे बढ़ाने का एक बड़ा रास्ता है।



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Neel Mani Lal

Neel Mani Lal

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