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Chandrayaan 3 Moon Landing: चंद्रयान-3 के लैंडिंग टाइम का ऐलान, 23 अगस्त की शाम 6.04 बजे उतरेगा चंद्रमा की सतह पर

Chandrayaan 3 Moon Landing Update: 23 अगस्त की शाम को चंद्रयान 3 के लैंडर को 25 किमी की ऊंचाई से चांद की सतह तक पहुंचने में 15 से 20 मिनट लगेंगे।

Neel Mani Lal
Published on: 20 Aug 2023 12:20 PM IST (Updated on: 21 Aug 2023 8:17 AM IST)
Chandrayaan 3 Moon Landing: चंद्रयान-3 के लैंडिंग टाइम का ऐलान, 23 अगस्त की शाम 6.04 बजे उतरेगा चंद्रमा की सतह पर
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Chandrayaan 3 Moon Landing Update (photo: social media )

Chandrayaan 3 Moon Landing Update: चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) की कक्षा को सफलतापूर्वक कम कर दिया गया है जिससे यह चंद्रमा के और करीब पहुँच गया है। इसरो ने बताया है कि लैंडर मॉड्यूल को अब आंतरिक जांच से गुजरना होगा। लैंडर मॉड्यूल में लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ शामिल हैं और इसके 23 अगस्त की शाम को चंद्र सतह पर उतरने की उम्मीद है।

सफल रहा यह भी फेज

इसरो ने कहा है कि दूसरे और अंतिम डीबूस्टिंग यानी रफ़्तार को धीमा करके के ऑपरेशन ने लैंडर कक्षा को सफलतापूर्वक 25 किमी गुणे 134 किमी तक कम कर दिया है। मॉड्यूल को आंतरिक जांच से गुजरना होगा और नियत लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार करना होगा। इसरो ने कहा कि 23 अगस्त, 2023 को लगभग 1745 बजे पावर्ड डिसेंट शुरू होने की उम्मीद है।

14 जुलाई को मिशन लॉन्च होने के 35 दिन बाद बीते गुरुवार को चंद्रयान-3 का एलएम सफलतापूर्वक प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया था। अलग होने के बाद लैंडर को एक कक्षा में स्थापित करने के लिए "डीबूस्ट" (धीमा करने की प्रक्रिया) ऑपरेशन से गुजरने की उम्मीद है, जहां पेरिल्यून (चंद्रमा से कक्षा का निकटतम बिंदु) 30 किलोमीटर दूर है और अपोलोन (चंद्रमा से सबसे दूर बिंदु) 100 किमी दूर है, जहां से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास किया जाएगा।

30 किमी की ऊँचाई से शुरू होगी लैंडिंग प्रक्रिया

चंद्रमा से लगभग 30 किमी की ऊंचाई पर लैंडर पावर्ड ब्रेकिंग चरण में प्रवेश करेगा और चंद्रमा की सतह तक पहुंचने के लिए अपने थ्रस्टर्स का उपयोग करना शुरू कर देगा। लगभग 100 मीटर की ऊंचाई पर, लैंडर जांच करने के लिए चंद्रमा की सतह को स्कैन करेगा कि कहीं किसी तरह की बाधा तो नहीं है। फिर इसके बाद वह सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए नीचे उतरना शुरू करेगा। चूँकि चंद्रमा पर कोई वायुमंडल नहीं है सो लैंडिंग अपने आप में जटिल प्रक्रिया है। ज्यादा तेजी से लैंडर उतरा तो वह क्रेश कर सकता है जैसा कि चंद्रयान 2 के साथ हुआ था।

अभी तक क्या हुआ

14 जुलाई को अपने प्रक्षेपण के बाद चंद्रयान - 3 ने 5 अगस्त को चंद्र कक्षा में प्रवेश किया। जिसके बाद अगस्त में इसके दोनों मॉड्यूलों के अलग होने से पहले, 6, 9, 14, 16 और 17 अगस्त को उपग्रह पर कक्षा में कमी की प्रक्रियाएँ की गईं। ये प्रोसेस लैंडिंग की तैयारी में किये गए। इससे पहले, 14 जुलाई के लॉन्च के बाद से तीन हफ्तों में पांच से अधिक चरणों में इसरो ने चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी से दूर की कक्षाओं में पहुंचाया।

1 अगस्त को एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की ओर सफलतापूर्वक भेजा गया। इस ट्रांस-लूनर इंजेक्शन के बाद चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान पृथ्वी की परिक्रमा करने से बच गया और उस पथ का अनुसरण करना शुरू कर दिया जो इसे चंद्रमा के आसपास ले गया था।

क्या है चंद्रयान

चंद्रयान-3 चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने की संपूर्ण क्षमता प्रदर्शित करता है। चंद्रयान-3 के मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना, चंद्रमा पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन करना और वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना है।लैंडर में एक नियत चंद्र स्थल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की क्षमता है और यह रोवर को चंद्रमा की सतह पर तैनात करेगा जो अपनी गतिशीलता के दौरान चंद्रमा की सतह का रासायनिक विश्लेषण करेगा। लैंडर और रोवर के पास चंद्र सतह पर प्रयोग करने के लिए वैज्ञानिक पेलोड यानी उपकरण हैं।

Neel Mani Lal

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