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चंद्रयान-2 पर ज्योतिष विज्ञान क्या कहता है अब भी है उम्मीद या नहीं?
जब चंद्रयान-2 चांद तक पहुंचने वाला था तब ज्योतिषफल बता रहे थे कि अमृत योग में चंद्रयान लैंड करेगा जो शुभ होगा व जल तत्व के लिए जीवनदायी भी रहेगा। लेकिन ऐसा होते होते रह गया है। वैसे भी विज्ञान को ज्योतिष से अलग नहीं कर सकते है। जहां विज्ञान मात खाता है वहां
जयपुर: जब चंद्रयान-2 चांद तक पहुंचने वाला था तब ज्योतिषफल बता रहे थे कि अमृत योग में चंद्रयान लैंड करेगा जो शुभ होगा व जल तत्व के लिए जीवनदायी भी रहेगा। लेकिन ऐसा होते होते रह गया है। वैसे भी विज्ञान को ज्योतिष से अलग नहीं कर सकते है। जहां विज्ञान मात खाता है वहां ज्योतिषिय गणना सौ प्रतिशत सही होती है इन दोनों का संबंध अटूट है। विज्ञान प्रयोग करता है तो ज्योतिष को ग्रह-नक्षत्रों के युग्म से निकले फल पर विश्वास है।
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रात में जब चन्द्रयान-2 लैंड करने वाला था उसी समय वर्तमान नक्षत्र के परिवर्तन का समय भी था। चन्द्रमा ज्येष्ठा से मूल नक्षत्र में प्रवेश लेने वाला था। मूल नक्षत्र की प्रकृति रुकावट व काम को रोकने की होती है।इसे सभी नक्षत्रों में सबसे भारी व कष्टदायक मानते है। मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे की 27 दिन बाद शांति कराई जाती है। जिस रात चंद्रयान-2 की लैंडिंग थी उस रात ज्येष्ठा का बुध के साथ संयोग काम बिगाड़नेवाला था। उसके बाद मूल नक्षत्र और फिर शुक्रवार को चंद्रमा वृश्चिक राशि में था जो नीच राशि है। इन सब स्थितियों की वजह से हम चांद तक पहुंचते-पहुंचते रह गए।
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जब 27 दिन बाद मूल नक्षत्र का परिवर्तन होगा तो शायद एक बार फिर विक्रम लैंडर से संपर्क की उम्मीद जग सकती है। अगर इसरो को तरफ से बयान आया है कि अभी उम्मीद है तो ज्योतिष विज्ञान में भी कहता है कि 27 दिन बाद जब ग्रह-नक्षत्रों की अनुकूलता बनेगी तो शायद चंद्रयान-2 को लेकर कोई चमत्कार हो सकता है।