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बड़ी पहल: यहां बनाया जा रहा सस्ता सैनिटाइजर, मिली एक्सपर्ट की हरी झंडी
सैनिटाइजर और मास्क की उपयोगिता कोरोना संक्रमण को देखते हुए बढ़ गयी है। यही वजह है कि सैनिटाइजर अब बाजार में भी नहीं मिल रहे हैं। साथ ही इसकी कालाबाजारी भी पूरे देश में होने लगी है। इसकी उपयोगिता और आवश्यकता को देखते हुए छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के स्वास्थ्य विभाग की टीम ने WHO
नई दिल्ली : सैनिटाइजर और मास्क की उपयोगिता कोरोना संक्रमण को देखते हुए बढ़ गयी है। यही वजह है कि सैनिटाइजर अब बाजार में भी नहीं मिल रहे हैं। साथ ही इसकी कालाबाजारी भी पूरे देश में होने लगी है। इसकी उपयोगिता और आवश्यकता को देखते हुए छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के स्वास्थ्य विभाग की टीम ने WHO के गाइडलाइन के अनुरूप अल्कोहल से सैनिटाइजर बनाकर अस्पताल और शासकीय विभागों को उपलब्ध कराने के लिए एक बड़ी पहल की है।
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इस संक्रमण से बचाव के लिए पूरे देश में सैनिटाइजर की मांग इतनी ज्यादा हो गई है कि जो सैनिटाइजर बाजार में मिल रहा है वह कालाबाजारी के चलते लिखित मूल्य से कई गुना ज्यादा मूल्य पर बेचा जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी जो इस बीमारी से लोगों को बचाने में अपनी जान दांव पर लगा रहे हैं उन्हें भी अपनी सुरक्षा के लिए सैनिटाइजर के उपयोग की लगातार जरूरत पड़ रही है। लोगों की इस परेशानी का हल निकालने के लिए महासमुंद के सरकारी अस्पताल के जिला स्वास्थ्य सलाहकार और फार्मासिस्ट के रूप में कार्य कर चुके संदीप चंद्राकर और लैब टेक्नीशियन पंकज साहू ने WHO के गाइडलाइन के अनुसार सैनिटाइजर को तैयार किया है। संदीप और पंकज साहू ने महासमुंद के आबकारी विभाग से अल्कोहल की व्यवस्था की।
इसके बाद अल्कोहल, डिस्टिल वाटर, हाइड्रोजन पैराऑक्साइड, ग्लिसरीन, मिलाकर पहले पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में 500 मिली लीटर सैनिटाइजर बनाया गया। संदीप और पंकज साहू ने महासमुंद के आबकारी विभाग से अल्कोहल की व्यवस्था की। इसके बाद अल्कोहल, डिस्टिल वाटर, हाइड्रोजन पैराऑक्साइड, ग्लिसरीन, मिलाकर पहले पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में 500 मिली लीटर सैनिटाइजर बनाया गया।
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संदीप और पंकज साहू ने महासमुंद के आबकारी विभाग से अल्कोहल की व्यवस्था की। इसके बाद अल्कोहल, डिस्टिल वाटर, हाइड्रोजन पैराऑक्साइड, ग्लिसरीन, मिलाकर पहले पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में 500 मिली लीटर सैनिटाइजर बनाया गया। संदीप और पंकज साहू ने महासमुंद के आबकारी विभाग से अल्कोहल की व्यवस्था की। इसके बाद अल्कोहल, डिस्टिल वाटर, हाइड्रोजन पैराऑक्साइड, ग्लिसरीन, मिलाकर पहले पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में 500 मिली लीटर सैनिटाइजर बनाया गया।