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इस शहर में कम्पनियां कर्मचारियों को घर से काम करने पर देंगी वेतन

ओएमआर में लगभग 600 आईटी कंपनियां और आईटीईएस कंपनियां हैं जो आईटी पार्क के बाहर तारामणी में स्थित टीआईडीईएल पार्क और सिरुसेरी में स्थित सिपकॉट से संचालित हो रही हैं। कंपनियां पानी की खपत को कम करने के लिए बहुत से कदम उठा रही हैं।

Aditya Mishra
Published on: 13 Jun 2019 11:18 AM GMT
इस शहर में कम्पनियां कर्मचारियों को घर से काम करने पर देंगी वेतन
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फ़ाइल फोटो

चेन्नई: चेन्नई के ओल्ड महाबलिपुरम रोड (ओएमआर) पर स्थित आईटी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों से घर से काम करने के लिए कहा है। इसके पीछे कारण है पानी की कमी।

बताया जा रहा है कि लगभग 200 दिनों से शहर में बारिश नहीं हुई है और अगले तीन महीने तक पानी की कमी से उबरने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। ऐसे में आईटी कंपनियां अपने कर्मचारियों को सुविधानुसार कहीं से ही काम करने की सलाह दे रही हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि 12 कंपनियों में काम करने वाले लगभग 5,000 टेक कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा गया है। एक सूत्र ने कहा, 'चार साल पहले जब निजी टैंकर वालों ने हड़ताल की थी उस समय आखिरी बार कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा गया था।'

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ओएमआर में लगभग 600 आईटी कंपनियां और आईटीईएस कंपनियां हैं जो आईटी पार्क के बाहर तारामणी में स्थित टीआईडीईएल पार्क और सिरुसेरी में स्थित सिपकॉट से संचालित हो रही हैं।

कंपनियां पानी की खपत को कम करने के लिए बहुत से कदम उठा रही हैं। फोर्ड बिजनेस स्कूल ने अपने कर्मचारियों से पीने का पानी साथ लाने के लिए कहा है। एक तकनीकी आधारित जल प्रबंधन स्टार्टअप ग्रीनएनवायरमेंट के संस्थापक और सीईओ वरुण श्रीधरन ने कहा, 'कंपनियां अपनी जरूरत का लगभग 55% पानी उपयोग और उसकी रीयल टाइम निगरानी कर रही हैं। सीवेज उपचार संयंत्रों को कुशलतापूर्वक प्रबंधित और इसके आउटपुट का उपयोग करने पर ध्यान दिया जा रहा है।'

हालांकि एक आईटी कंपनी के एडमिन मैनेजर का कहना है कि वह इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि कंपनियां कब तक काम कर पाएंगी।

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उन्होंने कहा, 'हम कठिन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। संपत्ति कर का लगभग 30 प्रतिशत पानी और सीवेज में जाता है लेकिन हमें उसका कोई परिणाम नहीं दिख रहा है।' ओएमआर को गर्मियों में रोजाना तीन करोड़ लीटर पानी की जरूरत होती है। जिसमें से ज्यादातर पानी बाहर से मंगवाया जाता है। इसका 60 प्रतिशत पानी आईटी कंपनियों और अन्य दफ्तरों में जाता है।

ओएमआर के आईटी प्रतिनिधियों ने मदद के लिए मेट्रोवाटर से संपर्क किया। अधिकारियों ने वादे किए लेकिन वह उसे निभा नहीं पाए। इस किल्लत ने सिप्कॉट आईटी पार्क को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। यहां स्थित 46 कंपनियों को रोजाना दो मिलियन लीटर पानी की जरूरत होती है जो पार्क में मौजूद 17 कुओं से आता है।

सिप्कॉट के अधिकारी ने कहा, 'लेकिन अभी केवल एक मिलियन लीटर पानी कुओं से आ रहा है। बाकी का टैंकरों से मुहैया करवाया जा रहा है।' कुछ आईटी कंपनियों ने जल संरक्षण के लिए पोस्टर लगाए हैं।

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Aditya Mishra

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