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छत्तीसगढ़: जोगी और माया के असंतुष्टों के भरोसे कांग्रेस की चुनावी नाव

Manali Rastogi
Published on: 23 Sept 2018 1:28 PM IST
छत्तीसगढ़: जोगी और माया के असंतुष्टों के भरोसे कांग्रेस की चुनावी नाव
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संजय तिवारी

लखनऊ: छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी से गठबंधन के बाद मायावती ने कांग्रेस की बानी बनायी हर रणनीति पर पानी फेर दिया है। कांग्रेस जहा इस बार गठबंधन के सहारे राज्य की सत्ता पर काबिज होने के सपने देख रही थी अब वह इतने बैकफुट पर चली गयी है कि उसको नए सिरे से सोचना पड़ रहा है। हालत यह है कि देश की इस बड़ी पार्टी को अब एक रास्ता यह सूझ रहा है कि वह जोगी और मया को प्रत्याशी घोषित करने की प्रतीक्षा करे।

जब ये दोनों पार्टियां अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी होंगी तब कांग्रेस को इन पार्टियों के असन्तुष्टो को पकड़ने में सुविधा होगी। कांग्रेस के रणनीतिकार यह मान कर काम कर रहे हैं कि पहले इन दोनों पार्टियों ने 90 सीटों पर लड़ने की तैयारी की थी। गठबंधन के बाद अब बसपा के केवल 35 और जोगी की पार्टी के 55 को ही मौक़ा मिलेगा। ऐसे में बचे हुए नेताओ पर दांव लगाया जा सकता है।

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कांग्रेस इससे आगे की रणनीति पर भी विचार कर रही है। उसको लगता है कि अभी एससी आरक्षित 10 सीटों में से नौ पर भाजपा का कब्जा है। कांग्रेस के पास केवल एक सीट है। बसपा के पास एक भी सीट नहीं है। जकांछ और बसपा का गठबंधन एससी वोटों पर प्रभाव डालेगा तो उसका नुकसान भाजपा को ज्यादा होने की संभावना है, क्योंकि सीटें उसकी कम होंगी। ऐसे में कांग्रेस अपनी सीट बढ़ाने की जिम्मेदारी अनुसूचित जाति विभाग को सौंपेगी।

जिस तरह आदिवासी कांग्रेस आदिवासी क्षेत्रों में जंगल सत्याग्रह कर रही है, उसी तरह से एससी विभाग भी कोई अभियान शुरू कर सकता है। हालांकि यह रणनीति सोच के स्तर पर तो अच्छी दिखती है लेकिन इसके धरातल पर उतरने में बहुत पसीने बहाने होंगे। कांग्रेस को लगता है कि राज्य की वे दस सीट ही इस गठबंधन से ज्यादा प्रभावित होने की दशा में हैं जहा पहले से ही नौ पर भाजपा काबिज है। यह अलग बात है कि राज्य की 13 फीसद आबादी ऐसी है जिस पर जोगी और माया का ही जादू चलेगा।

दरअसल मायावती ने ऐसे समय में कांग्रेस को झटका दिया है जब वह छत्तीसगढ़ के साथ ही मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी उन्ही का साथ लेकर कुछ करिश्मा करने की सोच रही थी। कांग्रेस को लगता था कि मायावती का साथ मिल जाने के बाद वह इन विधानसभा चुनाव में तो अपनी स्थिति सुधारेगी ही , आने वाले लोकसभा चुनाव में उसे अपने नेता राहुल गांधी को करिश्माई बनाने में सहूलियत होगी। बसपा सुप्रीमो की चाल के बाद से ही चित्त पड़ी कांग्रेस अब नए रास्ते तलाश रही है और इसके लिए फिलहाल कोई ठोस रणनीति नहीं दिखाई पड़ रही।



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