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छत्तीसगढ़ का मांझी! जिसने 27 साल में अकेले खोद डाला तालाब

Rishi
Published on: 1 Sep 2017 11:47 AM GMT
छत्तीसगढ़ का मांझी! जिसने 27 साल में अकेले खोद डाला तालाब
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रायपुर। यदि इंसान किसी काम को पूरा करने के लिए ठान ले तो कोई भी काम मुश्किल नहीं। अपने जज्बे के बल पर वह ऐसा काम कर डालता है जिससे दूसरे लोग हैरत में पड़ जाते हैं। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के श्याम लाल ने अपने जज्बे के बल पर ही ऐसे काम को पूरा कर दिखाया जो दूसरों को असंभव लग सकता है।

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श्याम लाल ने गांव में तालाब खोदने के लिए अपनी जिंदगी के 27 साल लगा दिए मगर हार नहीं मानी। इस दौरान गांव के लोग उसका मजाक भी उड़ाते रहे मगर श्यामलाल ने कभी भी उसकी फिक्र नहीं की। श्यामलाल की आंखों में तो सिर्फ एक तालाब का सपना था ताकि उसके गांव वालों की प्यास बुझ सके और गांव के जानवर बेमौत न मरें।

फैसले पर लोगों ने उड़ाया था मजाक

श्याम लाल कोरिया जिले के सजा पहाड़ गांव का रहने वाला है। जब वह पंद्रह साल का था तो उसे गांव वालों की यह दिक्कत महसूस हुई कि उसके गांव वालों को पानी की किल्लत से काफी परेशानी उठानी पड़ती है। ग्रामीणों को खुद अपने और अपने मवेशियों के लिए पानी का इंतजाम करने में काफी परेशानी होती थी। इस दिक्कत को दूर करने की दिशा में वे कुछ भी नहीं कर पा रहे थे। दूसरी ओर सरकार भी उनकी परेशानी का निदान करती नहीं दिख रही थी।

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अपने गांव के लोगों की इस दिक्कत को दूर करने के लिए एक दिन श्याम लाल ने बड़ा फैसला कर डाला। उसने अपने बल पर तालाब खोदने का फैसला लिया। श्याम लाल के इस फैसले पर किसी ने उसकी हौसला अफजाई नहीं की, उल्टे उसका मजाक ही उड़ाया। उसके गांव के लोग हंसते थे कि अकेले तालाब कैसे खोदा जा सकता है मगर यह आदिवासी नाबालिग लडक़ा अपने फैसले पर अडिग रहा। श्याम लाल ने इसके लिए जीतोड़ मेहनत की। वह जंगलों में जाता और 27 साल तक तालाब खोदने के लिए मेहनत की।

मदद के लिए कोई आगे नहीं आया

आखिरकार श्यामलाल की मेहनत ने रंग दिखाया। इस मेहनत का परिणाम बिहार के माउंटेनमैन दशरथ मांझी के कार्य से कम नहीं था क्योंकि एक एकड़ में खुदाई कर श्याम लाल ने 15 फीट गहरा तालाब खोद डाला था। यह गांव के लोगों के लिए अमृत से कम नहीं था। श्याम लाल की उम्र अब 42 हो चुकी है।

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हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार अपनी इस कामयाबी पर श्याम लाल ने कहा कि जब मैं खुदाई के लिए जाता था तो गांव के लोग मुझ पर हंसते थे। कोई मेरी मदद करने के लिए आगे नहीं आया। इस महत्वपूर्ण काम में न तो किसी गांव वाले और न ही प्रशासन ने मेरी किसी तरह की मदद की। श्याम लाल ने कहा कि मैंने यह काम अपने गांव के लोगों और उनके मवेशियों के लिए पानी का इंतजाम करने के लिए किया।

श्यामलाल के प्रति ग्रामीणों का नजरिया

अब ग्रामीणों को श्यामलाल के इस काम की मेहनत समझ में आने लगी है। पहले श्याम लाल की खिल्ली उड़ाने वाले ग्रामीण अब उसे अपना रोल मॉडल मानते हैं। 70 वर्षीय स्थानीय निवासी रामसरन बार्गर नें कहा कि श्याम लाल ने कठिन परिश्रम कर ग्रामीणों की जिंदगी में खुशियां बिखेर दी है।

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उन्होंने तालाब खोदने के लिए श्यामलाल के प्रति आभार जताते हुए कहा कि अब गांव के सभी लोग इस तालाब का इस्तेमाल करते हैं। अब सभी लोगों को पानी की सुविधा हो गयी है। स्थानीय विधायक श्याम बिहारी जायसवाल ने श्याम लाल की इस कड़ी मेहनत के लिए उसे दस हजार रुपए का इनाम दिया। उन्होंने गांव का दौरा कर उस तालाब को भी देखा जिसे श्यामलाल ने खोदा है।

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जिला कलेक्टर नरेंद्र दुग्गल ने भी श्याम लाल को हरसंभव मदद का विश्वास दिलाया है। सजा पहाड़ एक ऐसा गांव है जहां बिजली व रोड कनेक्टिविटी की सुविधा नहीं है। गांव के लोग पानी के लिए कुछ कुओं पर निर्भर हैं। श्याम लाल के इस काम को बिहार के माउंटेन मैन दशरथ राम मांझी जैसा बताया जा रहा है। दशरथ मांझी ने पहाड़ को चीरकर 110 मीटर लंबा और 9 मीटर चौड़ा रास्ता सिर्फ हथौड़े की मदद से बना दिया था। मांझी ने इस काम में 22 साल खर्च किए थे। मांझी के इस काम से 55 किलोमीटर का रास्ता घटकर 15 किलोमीटर रह गया।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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