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छत्तीसगढ़ की महिलाओं ने दिखाया हुनर, धान के इन आभूषणों को देख हो जाएंगे दीवाने

सोने-चांदी के जवेर महिलाएं बहुत करती हैं, लेकिन आज हम आपको धान के जेवरों के बारे में बताए जा रहे हैं। धान के जेवरों की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि इनकी डिमांड दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। छत्तीसगढ़ में महिलाओं का एक समूह धान से नौलखा हार, ईयर रिंग, टॉप्स समेत तरह-तरह के खूबसूरत गहने बना रहा है।

Dharmendra kumar
Published on: 21 Dec 2018 11:21 AM GMT
छत्तीसगढ़ की महिलाओं ने दिखाया हुनर, धान के इन आभूषणों को देख हो जाएंगे दीवाने
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रायपुर: सोने-चांदी के जवेर महिलाएं बहुत करती हैं, लेकिन आज हम आपको धान के जेवरों के बारे में बताए जा रहे हैं। धान के जेवरों की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि इनकी डिमांड दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। छत्तीसगढ़ में महिलाओं का एक समूह धान से नौलखा हार, ईयर रिंग, टॉप्स समेत तरह-तरह के खूबसूरत गहने बना रहा है।

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इस हुनर की वजह से अपने पैरों पर खड़ी हैं महिलाएं

छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के गुंडरदेही ब्लॉक अंतर्गत पैरी गांव की कई महिलाएं व युवतियां आज अपनी इस हुनर की वजह से अपने पैरों पर खड़ी हैं। इन महिलाओं द्वारा बनाए आभूषणों की मांग गांव के स्थानीय बाजार से लेकर मॉल तक है। इन आभूषणों की कीमत 50 रुपये से शुरू होकर पांच हजार रुपये तक है।

घर और गृहस्थी का काम संभालने वाली महिलाएं व कॉलेज में पढ़ने वाली युवतियां इस कला की वजह से अच्छी आमदनी कर रही हैं और अपने परों पर खड़ी हैं। इन महिलाओं से आस-पास के गांव की महिलाएं भी प्रेरित हो रही है। पैरी गांव की महिलाओं ने धनधान्य लक्ष्मी स्व सहायता समूह बनाया है।

इस समूह की अध्य देशीला साहू हैं। इस समूह में कॉलेज में पढ़ने वाली युवतियां भी हैं। छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विभाग ने गांव की 20 महिलाओं को धान के दानों से आभूषण बनाने का प्रशिक्षण दिया गया था।

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कई तरह के बनाती हैं जेवर

इस काम से जुड़ी महिलाएं धान के दानों से झुमका, टॉप्स, मंगलसूत्र, ब्रेसलेट, माला, चूड़ियां, कंगन, मोतीहार, देवरानी हार, राखी, मूर्तियां, साड़ी पिन आदि तैयार करती हैं। आभूषण बनाने के लिए पेंड्रा रोड से खास किस्म का धान मंगाया जाता है। इसमें कई वेराइटी होती है। बारीक और मोटे, सभी प्रकार के धान से आभूषण तैयार किए जाते हैं। इसमें धान की भूसी व प्राकृतिक रंगों का भी इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि इन आभूषणों को पानी से बचाना होता है, अन्यथा ये अंकुरित हो जाएंगे।

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इन महिलाओं ने आपस में चंदा इकट्ठा कर यह काम शुरू किया गया था। लेकिन आभूषणा की मांग के साथ इनकी आमदनी भी बढ़ गई। इन्हें माॅल और पड़ोसी राज्यों से आॅर्र मिलते हैं। इन आभूषणों को पहनने के साथ ही घर की सजावट के रूप में भी उपयोग किया जाता है।

Dharmendra kumar

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