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Chhawla Rape Case: 'निर्भया' से कम नहीं हुई थी दरिंदगी, सजा-ए-मौत के बाद रिहाई पर फफक पड़ी मां, बोलीं-..अब क्या जीना

Chhawla Rape Case : छावला निवासी युवती की फरवरी 2012 में अपहरण के बाद चलती कार में गैंगरेप के बाद निर्ममता से हत्या कर दी गई थी। 3 दिन बाद क्षत-विक्षत शरीर मिला था।

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Written By aman
Published on: 8 Nov 2022 8:28 AM GMT
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प्रतीकात्मक चित्र (Social Media)

Chhawla Rape Case: दिल्ली के छावला इलाके में 19 साल की युवती से गैंगरेप और बेरहमी से हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने कईयों को झकझोड़ कर रख दिया। कोर्ट के फैसले के बाद पीड़िता के मां-बाप ने कहा,'..हम जंग हार गए। अब हमारे जीने की इच्छा भी ख़त्म हो गई है।' पीड़िता के माता-पिता ने सर्वोच्च अदालत के फैसले पर घोर निराशा जाहिर की। कहा, 11 साल की लड़ाई के बाद न्यायपालिका से विश्वास उठ गया है।

आपको बारे दें, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के छावला इलाके में 2012 में एक 19 वर्षीय युवती के साथ तीन लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था। गैंगरेप के बाद युवती की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। दुष्कर्म के इसी मामले में तीनों आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया। आरोपियों को बरी किए जाने से जहां पीड़िता के मां-बाप टूट चुके हैं, वहीं देशभर में गुस्सा और नाराजगी देखी जा रही है।

मां बोली- 'मैं उम्मीद के साथ जी रही थी..सब खत्म'

छावला केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद पीड़िता की मां कोर्ट परिसर के बाहर फूट-फूटकर रोयी। उन्होंने कहा, '11 साल से ये लड़ाई लाडे जा रही थी। उम्मीद थी मेरी बेटी को इंसाफ मिलेगा। ..मगर ये फैसला हमें तोड़ गया। हम हार गए।...हम इस जंग को हार गए। अब तक मैं उम्मीद के साथ जी रही थी। लेकिन, अब मेरे जीने की इच्छा भी खत्म हो गई है। उन्होंने कहा, इतने दिनों मुझे लगता रहा कि मेरी बेटी को इंसाफ मिलेगा।'

'अपराधियों के साथ जो होना था, वह हमारे साथ हुआ'

रेप पीड़िता के पिता ने कहा, कि 'जो अपराधियों के साथ जो होना था, वह हमारे साथ हुआ। 11 वर्षों तक हमने दर-दर की ठोकरें खाई। भटकते रहे। उम्मीद रही की बेटी को न्याय मिलेगा। निचली अदालत ने भी अपना फैसला सुनाया। तब हमें राहत मिली। हाईकोर्ट से भी हमें आश्वस्त किया। मगर, सुप्रीम कोर्ट ने हमें निराश किया। हमारे साथ अपराधियों जैसा सलूक हुआ।'

निर्भया केस से 9 महीने पहले हुई थी वारदात

आपको बता दें कि, छावला रेप कांड दिल्ली के चर्चित निर्भया दुष्कर्म मामले (16 दिसंबर, 2012) से करीब 10 महीने पहले का था। तब इस रेप कांड ने दिल्ली वालों को झकझोड़ दिया था। दरअसल, कार सवार तीन युवकों ने छावला निवासी 19 वर्षीय युवती को अगवा कर लिया था। चलती कार में उसके साथ गैंगरेप हुआ। दरिंदों ने दरिंदगी की इंतहा पार कर दी। यह घटना तब मीडिया की सुर्खियों में रही थी। इस मामले में दिल्ली के छावला इलाके से हरियाणा के रेवाड़ी तक यानी करीब 70 किलोमीटर की दूरी एक युवती के साथ दरिंदगी होती रही। हालांकि, इस रेप कांड को निर्भया मामले की तरह बहुत अधिक सुर्खियां नहीं मिली। लेकिन, दर्द तो वही था।

निचली अदालत ने माना 'दुर्लभतम' मामला

इस तरह के मामलों में पीड़ित परिवार सफर कर जाता है। ऐसा ही इस केस में भी हुआ। छावला केस में पीड़िता के माता-पिता ने कहा कि 'सिस्टम' उनकी गरीबी का फायदा उठा रहा है। साल 2014 में सुनवाई के दौरान निचली अदालत ने मामले को 'दुर्लभतम' बताते हुए तीनों आरोपियों को सजा-ए-मौत सुनाई थी। बाद में, ये मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा था। छावला रेप कांड फरवरी 2012 में हुआ था। युवती का रेप और बेरहमी से हत्या कर शव को फेंक दिया गया था। अपहरण के तीन दिन बाद 19 वर्षीय युवती का क्षत-विक्षत शव पुलिस को मिला था।

आजीवन कारावास में बदलने की थी उम्मीद

छावला रेप केस में महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ताओं ने भी सर्वोच्च अदालत के फैसले की आलोचना की। ये लोग अदालत परिसर के बाहर पीड़िता के माता-पिता के साथ मौजूद रहे। उनका कहना है, हम इस फैसले से स्तब्ध हैं। सुबह तक हमें पूरी उम्मीद थी, कि शीर्ष अदालत मौत की सजा को बरकरार रखेगी। हमें यह भी लगता रहा कि वे मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल सकते हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।'

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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