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Mahua Moitra Case: महुआ पर संकट पर ममता खामोश, क्या है माजरा?

Mahua Moitra Case: पार्टी की एमपी महुआ मोइत्रा पर रिश्वत के बदले लोकसभा में सवाल पूछने के गंभीर आरोप लगे हुए हैं लेकिन पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी समेत पूरी पार्टी शांत पड़ी हुई है। बात-बात में हल्ला मचने वाले पार्टी नेता चुप्पी साधे हुए हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 22 Oct 2023 2:26 AM GMT
Chief Minister Mamata Banerjee is silent on Mahua crisis, know what is the matter
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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी महुआ संकट पर खामोश हैं जानें क्या है माजरा?: Photo- Social Media

Mahua Moitra Case: किसी पार्टी का संसद सदस्य संकट में हो लेकिन पार्टी सुप्रीमो समेत पूरी पार्टी ने चुप्पी साध रखी हो, ऐसा कम ही देखने को मिलता है। लेकिन यही हो रहा है तृणमूल कांग्रेस में। पार्टी की एमपी महुआ मोइत्रा पर रिश्वत के बदले लोकसभा में सवाल पूछने के गंभीर आरोप लगे हुए हैं लेकिन पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी समेत पूरी पार्टी शांत पड़ी हुई है। बात-बात में हल्ला मचने वाले पार्टी नेता चुप्पी साधे हुए हैं।

टीएमसी की चुप्पी ने पार्टी के भीतर सुगबुगाहट शुरू कर दी है कि क्या पार्टी महुआ का साथ देने में रुचि नहीं रखती या फिर वेट एंड वाच की रणनीति अपनायी जा रही है। न तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, न ही उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी और न ही कोई टीएमसी नेता अब तक भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा महुआ के खिलाफ लगाए गए आरोपों को ख़ारिज करने और महुआ के समर्थन में खड़े होने के लिए आगे आए हैं, लेकिन बताया जाता है कि पार्टी नेतृत्व इस मुद्दे से संबंधित घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक टीएमसी के एक सीनियर नेता ने कहा - सांसद अपने खिलाफ लगाए गए आरोप पर आवश्यक कार्रवाई कर रही हैं। मामले में कथित रूप से संलिप्त व्यवसायी की ओर से संबंधित अधिकारियों को शपथ पत्र सौंपा गया है, हम स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं।

Photo- Social Media


फ़िलहाल ‘नो कमेन्ट’

अधिकारिक रूप से टीएमसी के रुख की बात करें तो 20 अक्टूबर को पार्टी ने दो शब्दों में कहा – नो कमेन्ट। प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा - पार्टी को महुआ पर कुछ नहीं कहना है। टीएमसी इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया जारी नहीं करेगी। कुणाल घोष की अभिषेक बनर्जी से काफी निकटता है। बताया जाता है कि पार्टी ने फैसला किया है कि फिलहाल इस मुद्दे पर कोई भागीदारी नहीं होनी चाहिए। अगर कुछ कहने की जरूरत है, तो वह मुख्यमंत्री या अभिषेक की ओर से आएगा।

महुआ से दूरी

वैसे, ममता और महुआ में पहले भी दूरियां बनीं रहीं हैं। इसी जुलाई में, टीएमसी ने मोइत्रा की उस टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया, जिसमें उन्होंने देवी काली को "मांस खाने और शराब स्वीकार करने वाली देवी" कहा था। टीएमसी द्वारा यह ट्वीट किए जाने के बाद मोइत्रा ने पार्टी को अनफॉलो कर दिया कि "देवी काली पर व्यक्त किए गए उनके विचार उनकी व्यक्तिगत क्षमता में हैं और पार्टी किसी भी तरीके या रूप में इसका समर्थन नहीं करती है।"

ममता बनर्जी ने दिसंबर 2021 में नादिया जिले में एक सार्वजनिक बैठक में मोइत्रा की खिंचाई की थी क्योंकि वह जिले में पार्टी रैंकों के भीतर बढ़ती गुटबाजी से बहुत नाराज थीं। दिसंबर 2020 में, महुआ को कथित तौर पर मीडिया को "दो कौड़ी का" बताने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा।

Photo- Social Media

ताजा मामला

भाजपा नेता निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर आरोपों की जांच के लिए एक समिति गठित करने का आग्रह किया है और पैनल द्वारा अपनी रिपोर्ट सौंपने तक महुआ को सदन से निलंबित करने की मांग की है। नामचीन व्यवसायी हीरानंदानी ग्रुप के दर्शन हीरानंदानी द्वारा प्रस्तुत हलफनामें में स्वीकार किया गया कि महुआ ने उन्हें अपनी ओर से सीधे प्रश्न पोस्ट करने के लिए अपनी संसद लॉगिन आईडी और पासवर्ड प्रदान किया था, यह हलफनामा संसद की नैतिक समिति को भेज दिया गया है।

हालाँकि टीएमसी ने चुप रहना पसंद किया है लेकिन टीएमसी सांसद महुआ अपने एक्स-हैंडल पर खूब मुखर हैंहे। लॉगिन आईडी और पासवर्ड साझा करने के आरोप का जिक्र करते हुए महुआ ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) से सभी सांसदों का विवरण जारी करने का अनुरोध किया। उन्होंने लिखा - एनआईसी से अनुरोध है कि कृपया सांसदों के सभी विवरण सार्वजनिक रूप से जारी करें ताकि यह दिखाया जा सके कि वे उस स्थान पर शारीरिक रूप से मौजूद थे जहां से उनके सहयोगियों और शोधकर्ताओं/प्रशिक्षुओं/कर्मचारियों द्वारा आईडी तक पहुंच बनाई गई थी। लीक के लिए फर्जी डिग्री वाले का इस्तेमाल न करें, इसे अभी सार्वजनिक करें।

बता दें कि इस साल मार्च में महुआ ने निशिकांत दुबे की लोकसभा सदस्यता समाप्त करने की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि उनकी एमबीए और पीएचडी की डिग्री "फर्जी" है। महुआ ने आचार समिति के अध्यक्ष के मीडिया से खुलकर बात करने की भी आलोचना की और उनसे इस बात की जांच करने को कहा कि हीरानंदानी का हलफनामा कैसे लीक हुआ।

Shashi kant gautam

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