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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मॉनीटरिंग डैशबोर्ड ‘उत्कर्ष’ से सुशासन की उम्मीद

raghvendra
Published on: 29 Dec 2017 2:08 PM IST
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मॉनीटरिंग डैशबोर्ड ‘उत्कर्ष’ से सुशासन की उम्मीद
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देहारादून: सुशासन दिवस के इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हाल ही में सीएम मॉनीटरिंग डैशबोर्ड का लोकार्पण किया है। सुशासन दिवस पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन के अवसर पर मनाया गया था। सीएम डैशबोर्ड से सरकार के कार्यों में पारदर्शिता व गतिशीलता लाने की मंशा है। माना जा रहा है कि इसके माध्यम से आम जनता तक सरकार की योजनाओं व कार्यों की जानकारी सुगमता से उपलब्ध हो सकेगी तथा जनसेवाओं को पारदर्शिता के साथ लागू करने, व्यवस्थित व सकारात्मक ढ़ंग से लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। सीएम डैशबोर्ड का नाम ‘‘उत्कर्ष’ रखा गया है, नाम के अनुरूप यह अच्छी शुरूआत कर दे तो अच्छा है क्योंकि अभी तक तो जनता सीएम के मौन से परेशान रही है।

उत्तराखंड में विभिन्न क्षेत्रों में विकास की असीम संभावनाएं बतायी जाती हैं, अब यह कहा जा रहा है कि इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने में डैशबोर्ड सहायक होगा। सरकार को सुधार के प्रयास तथा भविष्य की कार्ययोजना बनाने में मदद मिलेगी। विभागों के कार्यकलापों की वास्तविक स्थिति की भी जानकारी मिलेगी। उत्कर्ष के बारे में सबसे बड़ा दावा यह है कि यह एप विभागों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा तथा सकारात्मक सोच को बढ़ावा देगा।

दावा है कि इस डैश बोर्ड के माध्यम से विभागों को दिये जाने वाले बजट व भौतिक लक्ष्यों की प्राप्ति, इससे लाभान्वित होने वाली जनता तथा योजनाओं के धरातलीय आंकड़ों की मॉनीटरिंग की जा सकेगी। स्वास्थ्य सेवाओं के विकास, लिंगानुपात के अन्तर को कम करने, नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत आपूत्र्ति की उपलब्धता आदि की निगरानी में और सोच में परिवर्तन लाने की प्रक्रिया में यह डैशबोर्ड मददगार बताया जा रहा है। विभिन्न विभागों के साथ ही जिलों में भी आगे रहने की प्रतिस्पर्धा शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। सीएम डैशबोर्ड में सभी प्रमुख विभागों ने अपनी प्राथमिकताएं बतायी हैं।

वैसे देखा जाए तो सीएम डैश बोर्ड के जरिए सरकारी विभागों के कामकाज की समीक्षा आसान हो जाएगी। सबसे अहम बात ये है कि भ्रष्टाचार मिटाने की दिशा में डैशबोर्ड फायदेमंद साबित होगा। अगर किसी विभाग में भ्रष्टाचार कीशिकायत होती है, या उसके कामकाज को लेकर सवाल उठते हैं तो, मुख्यमंत्री को यह बात विभाग की परफारमेंस रिपोर्ट देखकर पता चल जाएगी। सचिवालय से लेकर जिलों तक किसी भी विभाग या अधिकारी ने लापरवाही बरती तो उस पर सीधी नजर रखी जा सकेगी। डैशबोर्ड से सभी कल्याणकारी योजनाओं की प्रगति पर एक साथ नजर रखी जा सकती है। यानी किस किस योजना की क्या प्रगति है, लोगों को उस योजना का कितना फायदा मिल रहा है, विभाग किस गति से काम कर रहे हैं, किन क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है, इन तमाम बातों पर इसके जरिये मुख्यमंत्री एक ही जगह से नजर रख सकते हैं।

मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह

डैशबोर्ड से सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की निगरानी और विभागों की समयबद्ध समीक्षा हो सकती है। सीएम डैशबोर्ड पूरी तरह आईटी पर आधारित है, जहां सारे विभाग ऑनलाइन जुड़े हैं। उत्तराखंड के सीएम डैशबोर्ड को उत्कर्ष नाम दिया गया है। उत्कर्ष का पूरा नाम उत्तराखंड अचीविंग रिजल्ट्स इन सिस्टेमैटिक एंड होलिस्टिक वे है। शुरुआत में 14 अलग-अलग विभाग इस डैशबोर्ड के साथ जुड़े हैं। भविष्य में अन्य विभागों को भी इसमें शामिल किया जाना है। डैशबोर्ड से मुख्यमंत्री पता कर सकते हैं कि किस विभाग की कौन सी योजना की क्या प्रगति है। विभागों और योजनाओं के लिए स्वीकृत बजट में कितना खर्च हुआ है, और कहां-कहां खर्च हुआ है। यह भी पता लग सकता है कि राज्य में मानव विकास सूचकांक, इकॉनोमिक इंडेक्स आदि सूचनाओं की क्या स्थिति है।

मसलन पेयजल विभाग के तहत कितने घरों में पानी के कनेक्शन दिए गए हैं या कितने घरों में बिजली पहुंच चुकी है। कितने स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित है, कितने स्कूलों में छात्र संख्या कम है आदि। इसी तरह डैशबोर्ड से यह भी पता चलेगा कि राज्य में कितने बच्चों और कितनी गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण हुआ, कितनी महिलाओं का सुरक्षित प्रसव हुआ, कितने लोगों तक जीवनरक्षक दवाएं पहुंच रही हैं। डैशबोर्ड का एक और फायदा ये होगा कि इससे रियल टाइम डेटा जुटाया जाएगा। देखा जाए तो सीएम डैशबोर्ड बहुत काम की चीज है लेकिन भ्रष्ट तंत्र इसे कितने दिन चलने देगा ये भविष्य बताएगा।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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