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भारत के खिलाफ चीन-पाक की साजिश! ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी का रोका पानी
बीजिंग: चीन ने अपनी सबसे महंगी पनबिजली परियोजना के निर्माण के तहत तिब्बत में ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी का प्रवाह रोक दिया है। चीन की इस कार्रवाई से भारत में चिंता पैदा हो सकती है क्योंकि इससे नदी के निचले बहाव वाले कई देशों में पानी का प्रवाह प्रभावित हो सकता है।
गौरतलब है कि उरी हमले के बाद भारत ने पाक के विरुद्ध लगातार अभियान चलाया है। इसी के तहत मोदी सरकार सिंधु जल समझौते पर भी विचार कर रही है। भारत, पाकिस्तान को सिंधु नदी का पानी रोकने की बात तक कह चुका है। चीन की इस कार्रवाई को भारत के सिंधु समझौते वाले बयान से भी जोड़कर देखा जा सकता है। क्योंकि ये जगजाहिर है कि चीन, पाकिस्तान का किस हद तक समर्थन करता रहा है।
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चीन ने किया है भारी निवेश
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने ये जानकारी दी है। परियोजना के प्रशासनिक ब्यूरो के प्रमुख क्षांग युन्बो के हवाले से कहा कि तिब्बत के शिगाजे में यारलुंग झांग्बो (ब्रहमपुत्र का तिब्बती नाम) की सहायक नदी शियाबुकू पर बन रही लाल्हो परियोजना में 4.95 अरब युआन 74 करोड़ डॉलर का निवेश किया गया है।
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2019 तक पूरी होगी योजना
खबर के अनुसार, चीन इस सबसे महंगी परियोजना का निर्माण कार्य जून 2014 में शुरू किया था। तय कार्यक्रम के अनुसार निर्माण कार्य साल 2019 तक पूरा हो जाएगा। खबर में कहा गया है कि यह अभी साफ नहीं है कि नदी का प्रवाह रोकने का नदी के निचले बहाव वाले देशों जैसे भारत और बांग्लादेश में जल प्रवाह पर क्या असर होगा।
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चीन ने चिंताओं को बताया निराधार
बीते साल चीन ने 1.5 अरब डॉलर की लागत वाले जाम पनबिजली स्टेशन का संचालन शुरू कर दिया था। इसे लेकर भारत में चिंताएं देखी गई थीं। ब्रह्मपुत्र नदी पर बना यह पनबिजली स्टेशन तिब्बत में सबसे बड़ा पनबिजली स्टेशन है। हालांकि चीन कहता रहा है कि उसने भारत की चिंताओं पर ध्यान दिया है। उसने जल प्रवाह रोकने की आशंकाओं को दूर करते हुए कहा, उसके बांध नदी परियोजनाओं के प्रवाह पर बने हैं, जिन्हें जल रोकने के लिए नहीं बनाया गया है।