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आतंकी मसूद अजहर को फिर चीन का साथ, वैश्विक आतंकी घोषित करने से इनकार

चीन ने पुलवामा हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी की सूची में डालने की भारत की अपील का समर्थन करने से फिर इनकार किया है। आपको बता दें कि चीन इससे पहले भी संयुक्त राष्ट्र में भारत की इस मांग पर अड़ंगा लगा चुका है।

Aditya Mishra
Published on: 15 Feb 2019 4:07 PM IST
आतंकी मसूद अजहर को फिर चीन का साथ, वैश्विक आतंकी घोषित करने से इनकार
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नई दिल्ली: चीन ने पुलवामा हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी की सूची में डालने की भारत की अपील का समर्थन करने से फिर इनकार किया है। आपको बता दें कि चीन इससे पहले भी संयुक्त राष्ट्र में भारत की इस मांग पर अड़ंगा लगा चुका है।

चीन का कहना है कि अजहर आतंकवादी के लिए निर्धारित सुरक्षा परिषद के मानक पूरे नहीं करता है। इससे पहले चीन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया था कि "संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में किसी व्यक्ति और संगठन को तब शामिल किया जाता है। जब वह उसकी शर्तें पूरी करता है।यह परिषद के सभी सदस्यों का दायित्व है कि वे सुनिश्चित करें कि शर्तो का अनुपालन हो।"

जब पूछा गया कि अजहर कैसे आतंकवादी नहीं है तो चीन इस पर कोई विस्तार से जवाब नहीं दिया। लेकिन कहा कि अजहर आतंकवादी के लिए निर्धारित सुरक्षा परिषद की शर्तें पूरी नहीं करता है।

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संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति से भारत ने किया था आग्रह

गौरतलब है कि पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हमले के बाद भारत ने मसूद अजहर को आंतकवादियों की सूची में शामिल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति से आग्रह किया था। समिति में संयुक्त राष्ट्र के नियम 1267 के तहत सदस्यों द्वारा प्रस्ताव पारित किया जाने के बाद पाकिस्तान तथा अन्य देशों को अजहर की संपत्ति को जब्त करना होगा तथा उसके आवागमन पर प्रतिबंध लगाना होगा।

सभी 14 सदस्य सहमत, चीन असहमत

समिति की बैठक में सभी 14 सदस्य अजहर को आतंकवादियों की सूची में रखने पर सहमत थे, लेकिन चीन ने अड़ंगा लगा दिया था। सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य की ओर से प्रतिबंध समिति में रोक लगने का अर्थ एक तरह से वीटो का इस्तेमाल ही है। भारत ने चीन की रोक को छिपे हुए वीटो की संज्ञा दी है।

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कब किया भारत पर हमला

1. श्रीनगर के बादामी बाग में भारतीय सेना के मुख्यालय में हमला।

2. जम्मू-कश्मीर सचिवालय की इमारत पर भी हमला किया।

3. साल 2001 में विस्फोटक पदार्थों से भरी कार से जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में हमला किया। इस घटना में 38 लोगों की मौत हो गई थी।

4. साल 2001 में ही संसद और साल पंजाब के पठानकोट में हुए हमले इसी आतंकी संगठन का हाथ था।

5. वहीं उड़ी में सेना के कैंप में हुए हमले में भी इसी आतंकी संगठन का हाथ था जिसमें 18 सैनिक शहीद हुए थे।

6. पुलवामा में हमला।

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Aditya Mishra

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