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लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास, इन देशों से आए गैर मुस्लिमों को मिलेगी नागरिकता
मंगलवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया है। इससे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर मुस्लिमों (हिंदु, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी व इसाई) समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का रास्ता तैयार होगा।
नई दिल्ली: मंगलवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया है। इससे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर मुस्लिमों (हिंदु, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी व इसाई) समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का रास्ता तैयार होगा।
अभी के कानून के मुताबिक इन लोगों को 12 साल बाद भारत की नागरिकता मिल सकती है, लेकिन बिल पास हो जाने के बाद यह समयावधि 6 साल हो जाएगी। वैध दस्तावेज न होने पर भी 3 देशों के गैर मुस्लिमों को इसका लाभ मिलेगा। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि असम की जनता की परंपराओं, संस्कृति को संरक्षित करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।
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गृहमंत्री ने कहा कि यह विधेयक केवल असम तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि यह पूरे देश में प्रभावी रहेगा। पश्चिमी सीमा से गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में आने वाले पीड़ित प्रवासियों को इससे राहत मिलेगी।
राजनाथ सिंह ने संसद की संयुक्त समिति द्वारा यथाप्रतिवेदित नागरिकता संशोधन विधेयक पर सदन में हुई चर्चा के जवाब में यह बात कही। उनके जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पारित कर दिया। कांग्रेस एवं तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया
जानिए क्या है कानून
नागरिकता संशोधन विधेयक कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है। इस विधेयक के कानून बनने के बाद, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय 6 साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी।
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गृह मंत्री ने कहा कि नागरिकता विधेयक के संबंध में गलतफहमी पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है और असम के कुछ भागों में आशंकाएं पैदा करने की कोशिश हो रही हैं। उन्होंने कहा, 'इस विधेयक को लेकर तरह तरह की आशंकाएं, भ्रम पैदा करने की कोशिशें निर्मूल हैं, निराधार हैं। असम के लोगों की परंपराओं, संस्कृति को संरक्षित करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।' उन्होंने कहा कि यह गलतफहमी पैदा की जा रही है कि इस विधेयक का बोझ असम सहेगा। ऐसा नहीं है, पूरा देश इसे सहेगा। सरकार और पूरा देश असम की जनता के साथ खड़े हैं।
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राजनाथ सिंह ने जोर दिया कि पाकिस्तान में राष्ट्र एवं समुदाय के स्तर पर अल्पसंख्यकों के साथ सुनियोजित तरीके से भेदभाव किया जाता है। उन्हें बुनियादी अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता से वंचित किया जाता है। गृह मंत्री ने कहा कि ऐसे में इन लोगों के पास भारत में रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।