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Electoral Bonds: 'सोशल मीडिया से निपटने के लिए हमारे कंधे काफी मजबूत', CJI की मीडिया ट्रॉयल पर अहम टिप्पणी
Electoral Bond: सीजेआई ने कहा, सोशल मीडिया से निपटने के लिए हमारे कंधे काफी चौड़े हैं। हम कानून के शासन द्वारा शासित हैं। हमारा इरादा केवल बॉन्ड का खुलासा करना था।
Supreme Court on Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (18 मार्च) को भी स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) चुनावी बॉन्ड मामलों से जुड़ी याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अगुवाई वाली पांच जजों की संविधान पीठ (SC Constitution Bench) ने एसबीआई को चुनावी बॉन्ड से संबंधित सभी विवरणों के खुलासा के निर्देश दिए।
चुनावी बॉन्ड मामले में शीर्ष अदालत के निर्णय को सोशल मीडिया पर वायरल किए जाने के आरोप पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'इस तरह की टिप्पणियों से निपटने के लिए अदालत हमेशा तैयार रहा है। एक संस्था के रूप में हमारे कंधे काफी मजबूत हैं'।
CJI- अदालत फैसला सुना देती है, तो यह राष्ट्र की संपत्ति
इलेक्टोरल बॉन्ड (CJI on Electoral Bonds) मामले की सुनवाई कर रही पांच जजों की संविधान पीठ का नेतृत्व कर रहे चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'एक बार जब अदालत फैसला सुना देती है, तो यह राष्ट्र की संपत्ति बन जाती है। बहस करने के लिए सभी अवसर मिलता है। उन्होंने ये भी कहा, कि शीर्ष अदालत केवल अपने 15 फरवरी के फैसले में दिए गए निर्देशों को लागू करने के बारे में चिंतित थी'।
जानें क्या है मामला?
आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को अपने ऐतिहासिक निर्णय में केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना (Electoral Bond Scheme) को रद्द कर दिया था। केंद्र ने इस योजना में 'गुमनाम राजनीतिक फंडिंग' की अनुमति दी थी। शीर्ष अदालत ने इसे असंवैधानिक करार दिया था। चुनाव आयोग (Election Commission) को दानदाताओं उनके द्वारा दान की गई राशि और प्राप्तकर्ताओं के बारे में 13 मार्च तक खुलासा करने के आदेश दिए थे। 15 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय ने अधूरी जानकारी पेश करने के लिए SBI को फटकार लगाई थी। चुनावी बॉन्ड से जुड़ी पूरी जानकारी देने के लिए बैंक को नोटिस भी जारी किया था।
'जो रिपोर्ट्स बन रही, उनके लिए बने दिशा-निर्देश'
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड को लेकर किए जा रहे मीडिया ट्रायल (Media Trial) को रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने सीजेआई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली संविधान पीठ से ये मांग रखी कि, 'चुनावी बॉन्ड के बारे में जानकारी देनी चाहिए, लेकिन इसे लेकर जो रिपोर्ट्स बनाई जा रही हैं, उन्हें रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी करें। इस पर कोर्ट ने कहा कि, एक बार जब अदालत कोई फैसला सुना देती है। यह राष्ट्र की संपत्ति बन जाती है। कोई भी इस पर बहस कर सकता है।'
SG- मुझे पता है कि आप नियंत्रित नहीं कर सकते
केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने शीर्ष अदालत के फैसले के बाद सोशल मीडिया पर सूचनाओं को तोड़-मोड़ कर पेश करने के बारे में संविधान पीठ का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा, 11 मार्च के आदेश के बाद अदालत से पहले उन लोगों ने मीडिया इंटरव्यू देना शुरू कर दिया। उन्होंने ये भी कहा, अब तोड़-मरोड़कर पेश किए गए और अन्य आंकड़ों के आधार पर, किसी भी तरह की पोस्ट की जा रही है। मुझे पता है कि आप इसे नियंत्रित नहीं कर सकते'।
'हमारा इरादा केवल बॉन्ड का खुलासा करना था'
एसजी तुषार मेहता की इस दलील पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, 'सोशल मीडिया से निपटने के लिए हमारे कंधे काफी चौड़े हैं। हम कानून के शासन द्वारा शासित हैं। हमारा इरादा केवल बॉन्ड का खुलासा करना था और खुद को यहीं तक सीमित रखेंगे। उन्होंने कहा कि हमारी अदालत को उस राजनीति में एक संस्थागत भूमिका निभानी है जो संविधान और कानून के शासन द्वारा शासित होती है। यही हमारा एकमात्र काम है।'
गौरतलब है कि, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjeev Khanna), जस्टिस बीआर गवई (Justice BR Gavai), जस्टिस जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) और जस्टिस मनोज मिश्रा (Justice Manoj Mishra) की पांच सदस्यीय संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।