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दो बार अपने पिता के ही फैसलों को बदला, ट्विन टावर, राम मंदिर सुनवाई में थे शामिल, जानें नए CJI डीवाई चंद्रचूड़ को

CJI DY Chandrachud : जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ आज देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश बन गए। वे पहले ऐसे CJI हैं जिनके पिता भी देश के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।

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Written By aman
Published on: 9 Nov 2022 3:01 PM IST
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CJI डी.वाई चंद्रचूड़ और उनके पिता वाई.वी. चंद्रचूड़ (Social Media) 

CJI D.Y. Chandrachud : जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (Justice D.Y. Chandrachud) भारत के नए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बन गए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने बुधवार (09 नवंबर) को उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कई ऐसे फैसले दिए हैं, जो मील का पत्थर साबित हुए। इनमें अयोध्या राम मंदिर, नोएडा ट्विन टावर सहित कई फैसलों की लंबी फेहरिस्त है। इन फैसलों ने न्यायिक बिरादरी में जस्टिस चंद्रचूड़ का कद बढ़ाया। लेकिन, क्या आपको पता है दो ऐसे मौके भी आए जब डी.वाई. चंदचूड़ ने अपने पिता के ही फैसलों को पलट दिया।

CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ के पिता भी सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस थे। उनके पिता का नाम वाई.वी. चंद्रचूड़ था। वाई.वी. चंद्रचूड़ भी सुप्रीम कोर्ट के ख्याति प्राप्त मुख्य न्यायाधीश रहे हैं। CJI का पद संभालने से पहले अपने एक इंटरव्यू में जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने ये बताया था। उन्होंने ये भी बताया कि, आखिर क्यों, कैसे और किन परिस्थितियों में उन्होंने अपने पिता के फैसले को पलट था।

..जब अपने पिता के फैसले को पलटा

CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपने पिता के जिस फैसले को पलटा पहले उसके बारे में जान लें। यह फैसला 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में लगाए गए इमरजेंसी के बाद देश में हुई कानूनी लड़ाई से जुड़ा है। इस मामले को एडीएम जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला नाम से जाना जाता है। जब देश में आपातकाल लगाया तो नागरिकों को अनुच्छेद- 21 के तहत मिलने वाले (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत मिले मौलिक अधिकारों को लागू कराने के लिए कोर्ट में जाने के अधिकार को निलंबित कर दिया गया।

तत्कालीन सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। 28 अप्रैल 1976 को 4:1 के बहुमत से कोर्ट ने सरकार के इस कदम को सही ठहराया। कहने का मतलब है कि, आपातकाल जैसी स्थिति में सरकार नागरिक के मौलिक अधिकारों को निलंबित कर सकती है। जिसके तहत देश के नागरिक को सुरक्षा के लिए संवैधानिक अदालतों में जाने का अधिकार नहीं होगा।

तब इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जिस बेंच ने की थी उसमें डी.वाई. चंद्रचूड़ के पिता वाई वी चंद्रचूड़ भी शामिल थे। वर्तमान सीजेआई के पिता उन 4 जजों में थे जिन्होंने तत्कालीन इंदिरा सरकार के इस फैसले को सही माना था। उस बेंच में जस्टिस राय, जस्टिस बेग, जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ और जस्टिस भगवती थे। जबकि जस्टिस एच.आर. खन्ना ने सरकार के फैसले को गलत ठहराया था। करीब 41 साल बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने पिता के इसी फैसले को पलट दिया था। फैसला देते हुए उन्होंने कहा था, कि एडीएम जबलपुर केस में बहुमत के साथ सभी 4 जस्टिस की ओर से दिया गया फैसला गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण है।

व्यभिचार पर पिता-पुत्र की भिन्न राय

इसी तरह व्याभिचार कानून मामले में भी CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने पिता के फैसले को पलट दिया था। व्यभिचार से जुड़े इस मामले में भी भारत के पूर्व CJI वाई वी चंद्रचूड़ शामिल थे। ये मामला वर्ष 1985 का है। तत्कालीन सीजेआई वाई वी चंद्रचूड़ ने जस्टिस आरएस पाठक तथा एएन सेन के साथ धारा- 497 की वैधता को बरकरार रखा था। पिता के उस फैसले को 33 साल बाद उन्हीं के बेटे जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ ने पलट दिया। इस मामले में फैसला देते हुए वर्तमान CJI ने कहा था, कि हमें अपने फैसलों को आज के समय के हिसाब से प्रासंगिक बनाना चाहिए। इस दौरान उन्होंने कामकाजी महिलाओं का उदाहरण दिया। कहा, देखने को मिलता है कि कामकाजी महिलाएं घर की देखभाल करती हैं, बावजूद उनके पतियों द्वारा मारपीट की जाती है, जो कमाते नहीं हैं।

डी.वाई चंद्रचूड़ ने उठाए थे गंभीर सवाल

डी.वाई चंद्रचूड़ ने इस मामले में आगे कहा, वैसी महिलाएं तलाक चाहती है लेकिन यह मामला सालों कोर्ट में लंबित रहता है। अगर, वह किसी दूसरे पुरुष में प्यार और सांत्वना ढूंढती हैं, तो क्या वह इससे वंचित रह सकती है। उन्होंने अपने फैसले में लिखा कि, अक्सर व्यभिचार तब होता है जब शादी पहले ही टूट चुकी होती है। युगल अलग-अलग रह रहे होते हैं। यदि उनमें से कोई भी किसी अन्य व्यक्ति के साथ यौन संबंध रखता है, तो क्या उसे धारा- 497 के तहत दंडित किया जाना चाहिए?

डी.वाई चंद्रचूड़ ने कहा, व्यभिचार में कानून पितृसत्ता का एक संहिताबद्ध नियम है। उन्होंने यौन स्वायत्तता (Sexual Autonomy) के सम्मान पर जोर देने की भी बात कही। साथ ही कहा कि, विवाह स्वायत्तता की सीमा को संरक्षित नहीं करता। धारा- 497 विवाह में महिला की अधीनस्थ प्रकृति को अपराध करता है।

10 नवंबर 2024 तक होगा कार्यकाल

जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ देश के नए चीफ जस्टिस बन गए हैं। डी.वाई. चंद्रचूड़ देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए हैं। बुधवार को राष्ट्रपति भवन में हुए कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक होगा।



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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