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क्या सीजेआई को अपने खिलाफ मामले की सुनवाई की पीठ में बैठना चाहिए था?
सीजेआई ने हालांकि सुनवाई के बीचोंबीच खुद को इससे अलग कर लिया और न्यायिक आदेश पारित करने का फैसला उन दो न्यायाधीशों के ऊपर छोड़ दिया जिन्हें पीठ में शामिल होने के लिए नामित किया गया था।
नई दिल्ली: क्या प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को उस पीठ में बैठना चाहिए था जिसने उन पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों के संबंध में सुनवाई की?
सीजेआई ने हालांकि सुनवाई के बीचोंबीच खुद को इससे अलग कर लिया और न्यायिक आदेश पारित करने का फैसला उन दो न्यायाधीशों के ऊपर छोड़ दिया जिन्हें पीठ में शामिल होने के लिए नामित किया गया था। कुछ वरिष्ठ अधिवक्ता इस मुद्दे पर बात करने पर सहमत हुए लेकिन उन्होंने अपने नामों का खुलासा नहीं करने को कहा।
इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ विधि अधिकारी ने कहा कि सीजेआई के तीन न्यायाधीशों की पीठ में बैठने में कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि वह पहले ही साफ कर चुके थे कि वह न्यायिक आदेश का हिस्सा नहीं होंगे। यह आदेश पीठ के दो अन्य न्यायाधीशों ने पारित किया।
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विधि अधिकारी ने कहा कि चूंकि न्यायाधीश प्रेस के पास नहीं जा सकते और ना ही जनता से संवाद कर सकते, ‘‘सीजेआई अपने बारे में सफाई देना चाहते थे’’ और ‘‘उन्होंने पीठ में बैठकर टिप्पणियां कीं जिन्हें प्रचारित किया जाना चाहिए।’’
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एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि सीजेआई को खुद को पीठ से अलग रखना चाहिए क्योंकि उनके खिलाफ आरोप लगे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आदर्श रूप से, अगर सीजेआई पीठ में खुद को शामिल नहीं करते तो मैं उनके कदम का सम्मान करता।’’उन्होंने कहा कि इस मामले को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने की जरूरत है।
भाषा