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प्रवासी मजदूरों की वापसी पर दो सरकारें भिड़ीं, योगी सरकार पहले कोरोना टेस्ट पर अड़ी

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने महाराष्ट्र सरकार से स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि इन मजदूरों को कोरोना टेस्ट कराने के बाद ही उत्तर प्रदेश भेजा जाए जबकि महाराष्ट्र सरकार इस बात के लिए तैयार नहीं है।

Shivani Awasthi
Published on: 5 May 2020 5:01 PM GMT
प्रवासी मजदूरों की वापसी पर दो सरकारें भिड़ीं, योगी सरकार पहले कोरोना टेस्ट पर अड़ी
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अंशुमान तिवारी

मुंबई। महाराष्ट्र के विभिन्न इलाकों में फंसे प्रवासी मजदूरों की वापसी को लेकर महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की सरकार है आपस में ही उलझ गई हैं। इन प्रवासी मजदूरों की कोरोना जांच को लेकर दोनों सरकारों के बीच ठन गई है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने महाराष्ट्र सरकार से स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि इन मजदूरों को कोरोना टेस्ट कराने के बाद ही उत्तर प्रदेश भेजा जाए जबकि महाराष्ट्र सरकार इस बात के लिए तैयार नहीं है। दोनों सरकारों के बीच यह स्थिति तब पैदा हुई जब महाराष्ट्र से तीन श्रमिक स्पेशल ट्रेनें उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी हैं।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान उठा मुद्दा

महाराष्ट्र से प्रवासी मजदूरों की वापसी के मुद्दे पर प्रदेश के पुलिस अधिकारियों, महानगरपालिका आयुक्त और रेलवे विभाग के अफसरों ने संयुक्त रूप से उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की। दोनों पक्षों के बीच बातचीत के दौरान श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से प्रवासियों को वापस भेजने के मुद्दे पर चर्चा हुई। बातचीत के दौरान उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को कोविड-19 के टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद ही वापस उत्तर प्रदेश भेजा जाए। यूपी के अधिकारियों ने यह आरोप भी लगाया कि महाराष्ट्र सरकार ने बिना पर्याप्त जांच के प्रवासी मजदूरों को ट्रेन से उत्तर प्रदेश भेज दिया।

योगी सरकार पर अड़चन पैदा करने का आरोप

उधर महाराष्ट्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों को कोरोना टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद भेजने से इनकार कर दिया है। महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मंत्री नवाब मलिक का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार प्रवासी मजदूरों को वापस भेजने के मामले में अड़चन पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि कोविड-19 हराने के बाद ही प्रवासियों को वापस उत्तर प्रदेश भेजा जाए।

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टेस्ट कराकर भेजना संभव नहीं

उन्होंने कहा कि प्रवासियों को टेस्ट के बाद वापस भेजना कतई संभव नहीं है। मलिक ने कहा कि महाराष्ट्र में यूपी के करीब तीस लाख लोग रहते हैं। अगर हम इतने लोगों का टेस्ट करने लगेंगे तो इसमें सालों का वक्त लगेगा। उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि योगी सरकार इन लोगों को लेना नहीं चाहती और इसीलिए इनकी वापसी में अड़चनें पैदा की जा रही हैं। मलिक ने कहा कि एक ओर उत्तर प्रदेश सरकार प्रवासियों की वापसी में अड़चनें पैदा कर रही है तो दूसरी ओर वहां के एक मंत्री ने मुझे फोन करके मुंबई से अपने रिश्तेदार को वापस भिजवाने में मदद मांगी। इस पर मैंने उनसे पहले राज्य सरकार और डीएम से परमिशन दिलवाने की बात कही।

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दिक्कत सिर्फ उत्तर प्रदेश सरकार से

इस बीच महाराष्ट्र में कोरोना वायरस को लेकर गठित कंट्रोल रूम के प्रभारी प्रमुख सचिव भूषण गगराणी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि महाराष्ट्र से लोगों की वापसी के मुद्दे पर दिक्कत सिर्फ उत्तर प्रदेश सरकार से ही पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि यदि दूसरे राज्य अनुमति दें तो निजी वाहनों को भी पास जारी कर दिए जाएंगे। राजस्थान सरकार ने निजी वाहनों से उनके राज्य के लोगों को आने की अनुमति दे दी है।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र से अभी तक 35 हजार मजदूर दूसरे राज्यों मैं जा चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल मुंबई से यूपी के लिए कोई ट्रेन चलाने की योजना नहीं है। वैसे भविष्य में प्रवासियों की वापसी की तैयारी के मद्देनजर फार्म भरने का काम तेजी से चल रहा है।

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