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Lok Sabha Election 2024: महाराष्ट्र में लोकसभा सीटों को लेकर MVA में घमासान, उद्धव गुट की 23 सीटों की मांग पर कांग्रेस भड़की, दावेदारी को ठुकराया
Lok Sabha Election 2024: उद्धव गुट की ओर से की गई इस डिमांड पर कांग्रेस भड़क गई है। कांग्रेस ने उद्धव गुट की ओर से मांगी गई सीटों को काफी ज्यादा बताया है और मांग को पूरी तरह खारिज कर दिया है।
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर महाराष्ट्र के महाविकास अघाड़ी गठबंधन (MVA) में घमासान छिड़ गया है। इस गठबंधन में कांग्रेस के अलावा एनसीपी का शरद पवार गुट और शिवसेना का उद्धव गुट शामिल है। महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं और अकेले उद्धव गुट ने इनमें से 23 सीटों पर अपनी दावेदारी जता दी है।
उद्धव गुट की ओर से की गई इस डिमांड पर कांग्रेस भड़क गई है। कांग्रेस ने उद्धव गुट की ओर से मांगी गई सीटों को काफी ज्यादा बताया है और मांग को पूरी तरह खारिज कर दिया है। इसके साथ ही कांग्रेस ने यह भी कहा है है कि शिवसेना में विभाजन के बाद उद्योग गुट के पास योग्य उम्मीदवारों की कमी है। ऐसे में उद्धव गुट की यह मांग गले से नीचे नहीं उतरती।
उद्धव गुट ने रखी 23 सीटों की मांग
दरअसल महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल तीनों दलों ने सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत शुरू कर दी है मगर यह बंटवारा काफी मुश्किल माना जा रहा है। उद्धव गुट की ओर से राज्य की 23 लोकसभा सीटों की मांग की गई है।
उद्धव गुट के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने पिछले दिनों मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि हम राज्य की 23 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे क्योंकि हमारी पार्टी हमेशा इतनी सीटों पर चुनाव लड़ती रही है। राउत ने हाल में यह भी कहा था कि उन्होंने उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे के साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के अलावा सोनिया गांधी और राहुल गांधी से सीटों को लेकर बातचीत की है।
कांग्रेस मांग को पूरा करने के लिए तैयार नहीं
दूसरी ओर कांग्रेस उद्धव गुट को इतनी ज्यादा सीटें देने के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने कहा कि शिवसेना में विभाजन के बाद उद्धव गुट के सामने सबसे बड़ी चुनौती योग्य उम्मीदवारों की है। पार्टी के पास अच्छे उम्मीदवार नहीं रह गए हैं अगर इसके बावजूद इतनी ज्यादा सीटों की डिमांड की जा रही है।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण का भी कहना है कि गठबंधन में शामिल दलों के बीच अच्छे समन्वय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हर पार्टी चुनाव लड़ने के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करना चाहती है मगर मौजूदा हालात को देखते हुए शिवसेना की ओर से की जा रही सीटों की मांग काफी ज्यादा है। उद्धव गुट की ओर से की जा रही मांग गले के नीचे उतरने वाली नहीं है।
संजय निरुपम ने कहा कि विभिन्न दलों के नेताओं को जीतने वाली सीटों को लेकर विवाद पैदा करने से बचना चाहिए। शिवसेना के तमाम नेताओं के पाला बदलने के कारण पार्टी पहले ही संकट की स्थिति में दिख रही है और उसके पास चुनाव लड़ने के लिए अच्छे उम्मीदवार तक नहीं है।
सीटों के बंटवारे को लेकर क्यों फंसा पेंच
शिवसेना पहले राज्य में भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए का हिस्सा थी। उस समय शिवसेना को ताकतवर माना जाता था मगर एकनाथ शिंदे की अगुवाई में पार्टी के 40 विधायकों के बगावत के बाद शिवसेना को पहले की तरह ताकतवर नहीं माना जा रहा है। शिंदे ने भाजपा के साथ हाथ मिलाकर राज्य में अपनी सरकार बना ली थी जबकि भाजपा की वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाया गया था।
बाद में अजित पवार की अगुवाई में एनसीपी में भी बगावत हुई थी और अजित पवार ने राज्य के डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी। शिवसेना और एनसीपी में बगावत के बाद कांग्रेस दोनों दलों को ज्यादा सीटें देने के लिए तैयार नहीं दिख रही है। इस कारण राज्य में सीटों के बंटवारे को लेकर बड़ा पेंच फंस गया है। सीटों के बंटवारे की समस्या को सुलझाना राज्य में आसान नहीं माना जा रहा है।