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Climate Change in India: मौसम की मार से 6 हजार मौतें, 59 हजार करोड़ रुपए का नुकसान

Climate Change in India: आंकड़े केवल 70 प्रतिशत राज्यों द्वारा रिपोर्ट की गई स्थिति को दर्शाते हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 1 Aug 2022 5:56 AM GMT
Climate Change in India
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Climate Change in India (photo: social media )

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Climate Change in India: भारत में जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले तीन साल में लगभग 6,000 लोगों की जान चली गई और 59,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। ये सब जलवायु परिवर्तन की वजह से बाढ़ जैसी चरम मौसम की घटनाओं का नतीजा है।

ये आंकड़े भी केवल 70 प्रतिशत राज्यों द्वारा रिपोर्ट की गई स्थिति को दर्शाते हैं।कई प्रमुख राज्यों जैसे महाराष्ट्र और तमिलनाडु के साथ-साथ लगभग आधा दर्जन राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों ने बाढ़ के कारण हुए नुकसान से संबंधित डेटा को केंद्र के साथ साझा ही नहीं किया है।यदि पूरे देश में आंकड़े उपलब्ध होते हैं, तो बाढ़ से होने वाले नुकसान की लागत बहुत अधिक हो सकती है। भारी बारिश और बाढ़ के कारण हुए नुकसान के आंकड़े केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा संबंधित राज्यों से पुष्टि प्राप्त होने के बाद संकलित किए जाते हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि 2018 में 1839 लोगों की जान चली गई, जबकि फसलों, घरों और अन्य सार्वजनिक चीजों को 21,849 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। जबकि 2019 में 2754 लोगों की मौत हो गई और 15,863 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। 2020 में कई राज्यों में बाढ़ से 1365 लोगों की मौत हो गई और 21,190 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, ये सब जानकारी लोकसभा में एक सवाल के जवाब मे जल शक्ति मंत्रालय द्वारा दी गई है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 2030 के दशक की रिपोर्ट से पता चलता है कि तापमान में वृद्धि से सदी के अंत (2071-2100) के दौरान बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि होगी। रिपोर्ट के अनुसार, हिमालयी क्षेत्र में तापमान 2.6 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का अनुमान है और 2030 तक तीव्रता में 2-12 प्रतिशत की वृद्धि भी होगी। इसके परिणामस्वरूप बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि होगी जिससे बड़े पैमाने पर भूस्खलन होगा और कृषि क्षेत्र का नुकसान खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करेगा।

अत्यधिक बारिश से भारी बाढ़

जलवायु विशेषज्ञों के अनुसार, देश के कई राज्यों में इस मानसून में अत्यधिक बारिश की घटनाओं के कारण भारी बाढ़ आई है और यह एक नियमित घटना बन रही है और आने वाले वर्षों में इसके तेज होने की संभावना है। अरब सागर में समुद्र की सतह के तापमान में 1.2 से 1.4 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हुई है जिसके परिणामस्वरूप तीव्र चक्रवातों में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और अत्यधिक वर्षा की घटनाओं में तीन गुना वृद्धि हुई है, जिससे पूरे भारत में बाढ़ की घटनाएं हुईं हैं। अगर कार्बन उत्सर्जन में कटौती नहीं करते हैं तो जलवायु अनुमान सदी के अंत तक हिंद महासागर में 3.8 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि का संकेत देते हैं।

एक्सट्रीम मौसम से हम सभी प्रभावित हो रहे हैं। इस साल की गर्मी दुनिया के अनेक देशों के लिए बेहद कष्टकारी रही है। वैज्ञानिकों का तो कहना है कि एक्सट्रीम मौसम अब ऐसा ही रहने वाला है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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